| 1. | मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन) होना:
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| 2. | मूत्रकृच्छ अर्थात पेशाब करने में कष्ट होना।
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| 3. | मूत्रकृच्छ (पेशाब करते समय परेशानी होना)-
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| 4. | यदि किसी को अचानक मूत्रकृच्छ रोग हो गया है।
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| 5. | डायबीटीज़, मधुप्रमेह, मूत्रकृच्छ 7.
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| 6. | पुराने सूजाक और मूत्रकृच्छ में भी इससे आश्चर्यजनक लाभ होता है।
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| 7. | पुराने सूजाक और मूत्रकृच्छ में भी इससे आश्चर्यजनक लाभ होता है।
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| 8. | मूत्रकृच्छ तथा सूजाक तक के रोग भी ठीक होते देखे गए हैं।
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| 9. | मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) में भी यह प्रयोग लाभकारी है।
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| 10. | जवाखार के साथ छाछ पीने से मूत्रकृच्छ और पथरी में लाभ होता है।
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