| 1. | दोहा सलिला: गले मिले दोहा यमक-संजीव 'सलिल'
 
  | 
 | 2. | गले मिले दोहा यमक, झपक लपक बन मीत.
 
  | 
 | 3. | बँधी नहीं श्लेष, यमक, रूपक में
 
  | 
 | 4. | यमक और श्लेष का प्रयोग किया है,
 
  | 
 | 5. | अलंकार हो तब यमक, हो न अर्थ खनकाव।।
 
  | 
 | 6. | दोहा सलिला: गले मिले दोहा यमक संजीव 'सलिल'
 
  | 
 | 7. | “रमक-जमक-बतीसी” में यमक की बानगी विशेष दर्शनीय है।
 
  | 
 | 8. | वाह, क्या कविता किये हैं यमक अलंकार में।
 
  | 
 | 9. | ताके और पाके में यमक अलंकार बहुत जँचा।
 
  | 
 | 10. | यमक अलंकार का उत्तम प्रयोगकर डाला आज तो.
 
  |