| 1. | महाअजय संसार रिपु जीति सकड़ सो बीर ।
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| 2. | बदला लेगा रिपु से अपमानित भारत का,
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| 3. | रिपु को अनुज बिभीषन निसिचर परसत लंका पाई॥
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| 4. | दो0-महा अजय संसार रिपु जीति सकइ सो बीर।
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| 5. | रिपु सूदन (पद कमल) नमामी ।
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| 6. | जीतन कहँ न कतहुँ रिपु ताकें॥ 6 ॥
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| 7. | रिपु त्रास करी रेखा शत्रु संहार कारिणी |
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| 8. | लग्न से षष्ठ भाव भी रिपु का है।
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| 9. | निश्चय रिपु के फूँकते, होता उनका नाश ॥
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| 10. | अपने रिपु का भी कभी, नहिं करना अपकार ॥
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