| 1. | बदन इमि लहत रोष की रुचिर झलक ते।
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| 2. | भजन-रुचिर रसना तू राम राम क्य...
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| 3. | * रुचिर चौतनीं सुभग सिर मेचक कुंचित केस।
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| 4. | दोहा-अति विचित्र पवन परम, रुचिर रतन गड़ धाम|
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| 5. | रूप की रुचिर रुचि सुचि सों दुराई है॥
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| 6. | कालिदास ने इन प्यारे रुचिर फूलों की उपमा
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| 7. | कठुला कंठ वज्र केहरि नख राजत रुचिर हिए।
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| 8. | भूमि रुचिर रावन सभा अंगद पद महिपाल ।
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| 9. | अंग अंग अनंग जीते, रुचिर उर बनमाल।
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| 10. | भजन-कर सर धनु, कटि रुचिर निष...
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