वर्तमानकालिक क्रिया के रूप ब्रजभाषा के समाजन ही होते हैं।
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वर्तमानकालिक क्रिया के रूप ब्रजभाषा के समाजन ही होते हैं।
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एकवचन की वर्तमानकालिक क्रिया के से रूप में लगता है,
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बिहारी सतसई की जो टीका की उसमें महाराज के लिए वर्तमानकालिक क्रिया का
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हिन्दी की तरह राजस्थानी के वर्तमानकालिक क्रिया रूप सहायक क्रियायुक्त शतृप्रत्ययांत विकसित रूप न होकर शुद्ध तद्भव रूप हैं।
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हिन्दी की तरह राजस्थानी के वर्तमानकालिक क्रिया रूप सहायक क्रियायुक्त शतृप्रत्ययांत विकसित रूप न होकर शुद्ध तद्भव रूप हैं।
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(10) हिंदी की तरह राजस्थानी के वर्तमानकालिक क्रिया रूप सहायक क्रियायुक्त शतृप्रत्ययांत विकसित रूप न होकर शुद्ध तद्भव रूप हैं।
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यहाँ पर ब्रह्मांडपुराण की जो प्राचीन प्रतियाँ मिलती हैं देखना चाहिए कि उनमें भूत और वर्तमानकालिक क्रिया का प्रयोग कहाँ तक है ।
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यहाँ पर ब्रह्मांडपुराण की जो प्राचीन प्रतियाँ मिलती हैं देखना चाहिए कि उनमें भूत और वर्तमानकालिक क्रिया का प्रयोग कहाँ तक है ।
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इन्होंने बिहारी के आश्रयदाता महाराज जयसिंह के मंत्री राजा आयामल्ल की आज्ञा से बिहारी सतसई की जो टीका की उसमें महाराज के लिए वर्तमानकालिक क्रिया का प्रयोग किया है और उनकी प्रशंसा भी की है।