उन्होंने दो वायु रहित जार में थोड़े से पके हुए चावल रखे।
3.
आप सोचिये की वायु रहित स्थान में रखे गए एक दीपक की ज्योति कैसी होती है?
4.
अभिशप्त स्थान को प्रेत वायु रहित करने वाला सुगन्धित धुँआ घर के कोने कोने में फ़ैलने लगा ।
5.
जैसे वायु रहित स्थान में दीपक की लौ स्थिर रहती है, वैसे ही योगी का चित्त स्थिर रहता है।
6.
# जब यह अभ्यास योग पकेगा तब:-* मन ऐसे शांत होगा जैसे वायु रहित स्थान में दीपक जी ज्योति स्थिर रहती है ।
7.
इसके बाद जब ध्यान की बात आती है तो वे दीपक की उपमा देते हैं जो वायु रहित स्थान में निश्चल भाव से दिखाई देता है।
8.
योगारूढ़ योगी के चित्त की क्या स्थिति होती है? गीता श्लोक.....6.19 गीता कह रहा है-योगारूढ़ योगी का चित्त वैसे होता है जैसे वायु रहित स्थान में एक दीपक की ज्योति की स्थिति होती है ।
9.
जब सर्वथा सूख जाये तो इसे तीन दिन गाय के एक पाव घी में भिगोयें और फिर तीन दिन के पश्चात् निर्वात (वायु रहित) स्थान पर दीपक को जलायें और उसके ऊपर मिट्टी वा धातु का शुद्ध पात्र लेकर काजल पाड़ें ।
10.
संकल्प कामना की जननी है [गीता-सूत्र 6.24], कामना अज्ञान-की जननी है [गीता-सूत्र 7.20] और ध्यान में डूबे ब्यक्ति का मन ऐसे स्थिर होता है जैसे वायु रहित स्थान में एक दीपक की ज्योति स्थिर रहती है [गीता-सूत्र 6 ।