| 1. | मदकूग्राम: शिवनदतटे विज्ञ वृन्दै रुपेत: ॥
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| 2. | तीसरे नेत्र का रहस्यमयी विज्ञान-आध्यात्मिक विज्ञ...
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| 3. | भेषज्य निर्माण हेतु यदि किसी विज्ञ ज्यो
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| 4. | विज्ञ नाथ का भी कभी, संभव रहा प्रवास ।
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| 5. | यों लोकसंग्रह-हेतु करता कर्म, विज्ञ विरक्त हो..
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| 6. | विज्ञ पाठक इसपर प्रकाश डाल सकते हैं।
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| 7. | अधि-भूत, दैव व यज्ञ-युत, जो विज्ञ मुझको जानते..
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| 8. | जन जन हित में, विज्ञ जनों को,
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| 9. | जय विज्ञ मंत्री धर्म के, ज्ञाता शुभाशुभ कर्म के।
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| 10. | विज्ञ पाठक इसपर प्रकाश डाल सकते हैं।
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