इस विकार में जीवाणुजन्यविष से गुत्सकीय वृक्कशोथ उत्पन्न होता है.
5.
निद्रानाश, जलोदर, वृक्कशोथ तथा देहशोथ भी होते देखा जाता है।
6.
आन्त्र वृक्कशोथ (Interstitial nephritis)
7.
लूपस वृक्कशोथ (Lupus nephritis)
8.
तीव्र वृक्कशोथ चिकित्सा-निदान परिवर्जन, वृक्कों को आराम, त्वचा और आंत्र द्वारा बृक्क कार्य औरउपद्रवों की चिकित्सा ये चिकित्सा के सामान्य सिद्धान्त हैं.
9.
वर्षा में भीग जाने व सर्दी लग जाने तथा कभीकभी वृक्क प्रदेश पर अत्यधिक शीत लग जाने के कारण वृक्कशोथ हो जाता है.
10.
तीव्र वृक्कशोथपर्याय-तीब्र गुत्सकीय वृक्कशोथ (आचुटे घ्लो-~ मेरुलो नेप्ह्रिटिस्), तीव्ररक्तस्रावी वृक्कशोथ (आचुटे ःएमोर्र्हगिच् ःएप्ह्रिटिस्) तीव्र वृक्कशोथ-इस रोग में वृक्को के धमनी गुच्छ (ग्लोमेरुलाई) में शोथ होताहै.