अभियुक्त ने अपने वैध पारिश्रमिक से भिन्न रिश्वत राशि प्राप्त कर लोकसेवक की पदीय गरिमा को ठेस पहुंचाकर आपराधिक भ्रष्ट दुराचरण किया है।
2.
धारा-7 अर्थात लोक सेवक द्वारा अपने पदीय कार्य के समय वैध पारिश्रमिक से भिन्न पारितोषण मांग करना और ग्रहण करने की कोशिश करना।
3.
आया अभियुक्त ने परिवादी से अपने लिये या किसी अन्य व्यक्ति के लिये वैध पारिश्रमिक से भिन्न उत्कोच स्वरूप रिश्वत राशि प्राप्त करने को सहमत होकर रिश्वत राशि ग्रहण की?
4.
आया अभियुक्त ने परिवादी से अपने लिये या किसी अन्य व्यक्ति के लिये वैध पारिश्रमिक से भिन्न उत्कोच स्वरूप रिश्वत राशि मांगकर प्राप्त करने को सहमत होकर रिश्वत राशि ग्रहण की?
5.
आया अभियुक्तगण ने परिवादी से अपने लिये या किसी अन्य व्यक्ति के लिये वैध पारिश्रमिक से भिन्न उत्कोच स्वरूप रिश्वत राशि मांग कर प्राप्त करने को सहमत होकर रिश्वत राशि ग्रहण की?
6.
आया अभियुक्त ने परिवादी से अपने लिये या किसी अन्य व्यक्ति के लिये वैध पारिश्रमिक से भिन्न उत्कोच स्वरूप रिश्वत राशि मांग कर प्राप्त करने को सहमत होकर रिश्वत राशि ग्रहण की?
7.
ऐसे में अधिनियम की धारा 20 के अधीन यही उपधारित किया जायेगा कि अभियुक्त ने उपर्युक्त राशि वैध पारिश्रमिक से भिन्न हेतु या इनाम के रूप में बतौर रिश्वत प्राप्त की है।
8.
ऐसे में अभियोजन पक्ष को परितोषण को सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं होती है और उसे तो सिर्फ यह बताना होता है कि अभियुक्त को दी गई राशि उसके वैध पारिश्रमिक से भिन्न है।
9.
आया अभियुक्त तरूणकुमार सोनी ने परिवादी से अपने लिये या किसी अन्य व्यक्ति के लिये वैध पारिश्रमिक से भिन्न उत्कोच स्वरूप रिश्वत राशि मांग कर व प्राप्त करने को सहमत होकर रिश्वत राशि ग्रहण की?
10.
इस समबन्ध में टेप वार्ता की अनुलिपि प्रदर्श पी. 17 मौतबिरान के समक्ष बनाई गई है जिस वार्ता में 1500/-रूपये अभियुक्त द्वारा परिवादी से वैध पारिश्रमिक से भिन्न परितोषण मांगने के तथ्य की पुष्टि हुई हैं।