| 1. | ३८. लोक शास्र अंक (राजेंद्र रंजन), पृ. १३६
|
| 2. | छंद शास्र की दृष्टि से चौपाइयां ठीक हैं।
|
| 3. | इसीसे तो बना है स्वप्न शास्र भी!!
|
| 4. | इनके छप्पय छन्द शास्र के अनुसार ठीक हैं।
|
| 5. | रामालंकृत मंजरी ' पिंगल शास्र का ग्रन्थ है।
|
| 6. | पड़ गया है कि भाषा शास्र की सूक्ष्म
|
| 7. | कुछ कवित्त छन्द शास्र की दृष्टि से ठीक हैं।
|
| 8. | इसी वंश में वैद्यक शास्र के अधिष्ठाता धन्वन्तरि हुए।
|
| 9. | १७. दे. लोका शास्र अंक (सं.-राजेंद्र रंजन), पृ. ११९-१३५
|
| 10. | थीं कि उनसे एक शास्र ही बन सकता है
|