| 1. | सव्याहृतिं स प्रणवं गायत्री शिर सा सह ।।
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| 2. | नुगेनी शिर सत्य खुसि माउन छाडी सके!!
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| 3. | शिर त नुग्छ देखेपछी मठ मन्दिर कतै!
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| 4. | अश्रु उस नभ के चढा़ शिर फूल फूला
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| 5. | माया दासी संत की साकट की शिर ताज
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| 6. | शिर: पीड़ा के करोटि के भीतर के कारण-
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| 7. | उसने अपने पति का शिर उठाते हुए कहा।
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| 8. | उस शिर में प्राण नें आश्रय लिया.
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| 9. | यहाँ तक की शिर के बालों ने भी
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| 10. | मेरे शिर से सिन्धु और ब्रह्मपुत्र निकलते हैं।
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