राजस्थान जैसे शुष्क प्रदेश में सरसों तथा गाय का घी सबसे उपयुक्त है।
2.
इस शुष्क प्रदेश की भेड़ोंकी यह विशेषता है कि ये प्रतिकूल वातावरण का सामना कर सकने में सक्षमहोती हैं.
3.
खजूर, गूलर, लसोड़ा आदि शुष्क प्रदेश के पेड़ नालों के सूखे पाटों को आबाद किए हुए हैं।
4.
यह प्राय शुष्क प्रदेश मे पाया जाता है, हरियाणा, राजस्थान आदि मे सूखी जगह पर पाया जाता है।
5.
राजस्थान का मैदान:-इसके अंतर्गत राजस्थान का शुष्क प्रदेश और अरावली के पश्चिम का बांगर प्रदेश शामिल है..
6.
करीर, कैर, करीं यह प्राय शुष्क प्रदेश मे पाया जाता है, हरियाणा, राजस्थान आदि मे सूखी जगह पर पाया जाता है।
7.
यह कृषिक्षेत्र प्रयोगशाला सदृश है जिसमें शुष्क प्रदेश के उपयुक्त कृषि का विकास करने, समुन्नत बीज उत्पन्न करने, पशुओं की नस्लें समुन्नत करने आदि के प्रयोग किए जा रहे हैं।
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यह कृषिक्षेत्र प्रयोगशाला सदृश है जिसमें शुष्क प्रदेश के उपयुक्त कृषि का विकास करने, समुन्नत बीज उत्पन्न करने, पशुओं की नस्लें समुन्नत करने आदि के प्रयोग किए जा रहे हैं।
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यह कृषिक्षेत्र प्रयोगशाला सदृश है जिसमें शुष्क प्रदेश के उपयुक्त कृषि का विकास करने, समुन्नत बीज उत्पन्न करने, पशुओं की नस्लें समुन्नत करने आदि के प्रयोग किए जा रहे हैं।
10.
पाटनवादी (देशी या कच्छी) भेड़ की नस्ल भारतीय पश्चिमी शुष्क प्रदेश केगुजरात सम्भाग में पाई जाती हैं, और अधिकतर कच्छ, जामनगर, भावनगर, अमरेली, जूनागढ़, राजकोट, सुरेन्द्रनगर व महसाना जिलों के कुछ भागों मेंपाई जाती है.