| 1. | 10pt " >निराला और शमशेर गहन संकट-काल में मेरे काम आते हैं.<
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| 2. | वह पोषक है और संकट-काल में साक्षात् काली बनकर संहार
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| 3. | वह पोषक है और संकट-काल में साक्षात् काली बनकर संहार करने में समर्थ है।
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| 4. | आज कुछ लिखने का मन बनाया था, लेकिन फिर याद आया कि मेरे ब्लॉग तो अभी संकट-काल से गुज़र रहे हैं
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| 5. | युद्ध, हिंसा, घृणा यानी गहन संकट-काल में प्रेम ही है, जो जीवन के काम आता है,...
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| 6. | युद्ध, हिंसा, घृणा यानी गहन संकट-काल में प्रेम ही है, जो जीवन के काम आता है,...मनुष्य के काम आता है,...चर-अचर सबके काम आता है।
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| 7. | युद्ध, हिंसा, घृणा यानी गहन संकट-काल में प्रेम ही है, जो जीवन के काम आता है,...मनुष्य के काम आता है,...चर-अचर सबके काम आता है।
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| 8. | कबीर, निराला और शमशेर गहन संकट-काल में मेरे काम आते हैं. ‘यार से छेड़ चली जाए...' की तरह बाबा नागार्जुन के समग्र रचना-संसार से मेरा आत्मीय संबंध है.
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| 9. | जिस तरह बच्चा भले ही पिता के साथ खेले-कूदे पर चोट लगते ही वह माँ को पुकारता है, उसी तरह शिव संकट-काल में हमें याद आते हैं.
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| 10. | कबीर, निराला और शमशेर गहन संकट-काल में मेरे काम आते हैं. ‘ यार से छेड़ चली जाए... ' की तरह बाबा नागार्जुन के समग्र रचना-संसार से मेरा आत्मीय संबंध है.
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