| 1. | ** जिसकी बुद्धि संदेह रहित हो ।
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| 2. | ज्ञान का सर्वथा संदेह रहित होना।
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| 3. | संदेह रहित मन-बुद्धि समत्व-योगी की पहचान है ।
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| 4. | जिसका अहंकार पिघल कर श्रद्धा में बदल गया होता है..... जिसकी बुद्धि संदेह रहित होती है....
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| 5. | पाप कर्मो से दूर रहना सततपुण्यकार्यों में निरत रहना, सज्जनों की संगति में रहकर सदाचार कापालन--यह कल्याण का संदेह रहित मार्ग है.
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| 6. | प्रकृति में जो आप को मंत्र मुग्ध कर दे, बस उसके ऊपर अपनें को संदेह रहित हो कर अर्पित कर दो.....
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| 7. | शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥६॥ मैं हूँ संदेह रहित निर्विकल्प, आकार रहित हूँ सर्वव्याप्त, सर्वभूत, समस्त इन्द्रिय-व्याप्त स्थित हूँ न मुझमें मुक्ति है न बंधन;
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| 8. | और ज्ञान की ऊर्जा जब मन-बुद्धि में प्रबाहित होती है तब अन-बुद्धि संदेह रहित होते हैं / / ==== ओम् ====
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| 9. | दिब्य दृष्टि प्राप्त ब्यक्ति संदेह रहित, प्रश्न रहित, परम प्रीति में डूबा परमात्मा से परमात्मा में अपनें को तथा सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को देखता है ।
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| 10. | वह जो भोग भाव में डूबी इन्द्रियों की पकड़ से परे है..... वह जो शांत मन में है...... वह जो संदेह रहित बुद्धि में है.....
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