हर दंगे के पीछे सियासतदारों की भागीदारी पर कोई संशय करना बेमानी होगी.
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Agoहम स्वयं में संशय करना कैसे त्याग सकते हैं? इस बारे में आपका क्या द्रष्टिकोण है?
5.
विभूतिया बौरा गया है, अब आगे वह जो कहे उस पर संशय करना.
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मैं समझता हूँ हमें इस पूरे परिदृश्य पर संशय करना चाहिए, शक करना चाहिए, सवाल करने चाहिए।
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हर दंगे के पीछे सियासतदारों की भागीदारी पर कोई संशय करना बेमानी होगी. आभार, निखिल झा
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करोड़ों जोड़ी आँखें आज उन पर लगी हुयी है फिर उनके मंतव्यों पर संशय करना एक दुराग्रह जैसा लगता है।
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थोड़ा भय तो था कि अभी नया-नया सीखें हैं, परन्तु उनकी किसी भी प्रतिभा में संशय करना तो भाई-द्रोह हो जाता! सो मैं उनके पीछे कैरियर पर बैठ गई ।
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कहने का अभिप्राय यह है कि प्रातःकाल के समय मनुष्य का मन स्वतः ही पवित्र होता है और अगर वह भगवान की भक्ति में लीन हो तो फिर कभी उस पर संशय करना ही नहीं चाहिए।