| 1. | पूछ रहे हो संसृति का रहस्य ज्यों अविदित,-
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| 2. | तौ कत द्वैतजनित संसृति दुख संशय शोक अपारा।
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| 3. | संसृति के अनुभव की लम्बी, उम्र लिए कविते!
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| 4. | / तौ कत द्वैतजनित संसृति दुख संशय शोक अपारा।
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| 5. | और जागरण जगत का-इस संसृति का
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| 6. | काल प्रबल है पीनेवाला, संसृति है यह मधुशाला।।
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| 7. | संसृति बनती है, मिटती है, यह अप्रभावित रहता।।
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| 8. | भक्ति करनेसे संसृति (जन्म-मृत्युरूप संसार) की जड़ अविद्या
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| 9. | काल प्रबल है पीनेवाला, संसृति है यह मधुशाला॥२४॥
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| 10. | सारी संसृति टिकी हुई ऐसी सुन्दर अचला है
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