| 1. | कभी कवि मुकुट बिहारी सरोज ने लिखा था-
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| 2. | बिकसे संत सरोज सब, हरषे लोचन भृंग ॥”
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| 3. | “हईं! ” सरोज जी का गप सचमुच भहरा गया।
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| 4. | उसकी बात सुनकर सरोज खान ने क्लेरिफिकेशन दिया.
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| 5. | सरोज इस समय विजाग में पद स्थापित हैं।
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| 6. | सरोज धूलिया आज प्रेरणा का मूड ऑफ है।
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| 7. | सरोज जी की रणनीति सचमुच गड़बड़ा गई थी।
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| 8. | कुछ ग्रेस मेनटेन करिए सरोज जी! ”
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| 9. | सरोज उसके पाँव की धूल भी नहीं है।
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| 10. | त्रिभुवन जी बोलते गये और सरोज लिखती गई।
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