| 1. | साक़ी को देखिये कि मेरा नाम पी गया
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| 2. | शिकवा और शिकायत तुझसे हमको क्यों ए साक़ी
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| 3. | के साक़ी ने लब से मेरे छीन कर
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| 4. | अ-मय न रुचती, स-मय हो, साक़ी तब आनंद.
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| 5. | प्यासा ही कोई लौट ना जाए ए साक़ी
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| 6. | जब साक़ी डोला तो दर्पन झूम उठा है
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| 7. | नुक्कड़ से गुजरते साक़ी जब मधुशाला निहारेगी!
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| 8. | कि सतह-ए-ज़हन-ए-आलम सख़्त ना-हमवार है साक़ी.
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| 9. | सरे मक़तल भी देखेंगे चमन अन्दर चमन साक़ी
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| 10. | लबों की प्यास ढाले अपने साक़ी अपने पैमाने
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