| 1. | इन्द्रधनु बनकर चला स्यंदन गगन के भाल पर.
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| 2. | सुनहुसखा कह कृपा निधाना / जेहिजय होय सो स्यंदन आना।
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| 3. | बादलों के शीश पर स्यंदन चलाता हूं।
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| 4. | बादलों के शीश पर स्यंदन चलाता हूं।
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| 5. | बादलों के शीश पर स्यंदन चलाता हूँ । ”
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| 6. | सुनहु सखा कह कृपानिधाना।जेहि जय होइ सो स्यंदन आना।
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| 7. | जेहिं जय होइ सो स्यंदन आना।।
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| 8. | राम सखा सुनि स्यंदन त्यागा, चले उतरि उमग अनुरागा।
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| 9. | जेहिं जय होइ सो स्यंदन आना॥
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| 10. | जेहिं जय होइ सो स्यंदन आना॥
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