मृदुल होठों का हिम जल हास उड़ा जाता नि: श्वास समीर।
4.
हिम श्रेणी अंगूर लता-सी फ़ैली, हिम जल है हाला
5.
अमरनाथ की गुफा में हिम जल टपकता रहता है.
6.
अखिल विश्व ही विवर, वक्र कुंडल दिङ्मंडल मृदुल होठों का हिम जल हास उड़ा जाता नि: श्वास समीर।
7.
हिम श्रेणी अंगूर लता-सी फैली, हिम जल है हाला,चंचल नदियाँ साकी बनकर, भरकर लहरों का प्याला,कोमल कूर-करों में अपने छलकाती निशिदिन चलतीं,पीकर खेत खड़े लहराते, भारत पावन मधुशाला।
8.
हिम श्रेणी अंगूर लता-सी फैली, हिम जल है हाला, चंचल नदियाँ साकी बनकर, भरकर लहरों का प्याला, कोमल कूर-करों में अपने छलकाती निशिदिन चलतीं, पीकर खेत खड़े लहराते, भारत पावन मधुशाला।
9.
हिम श्रेणी अंगूर लता-सी फैली, हिम जल है हाला, चंचल नदियाँ साकी बनकर, भरकर लहरों का प्याला, कोमल कूर-करों में अपने छलकाती निशिदिन चलतीं, पीकर खेत खड़े लहराते, भारत पावन मधुशाला।
10.
हिम श्रेणी अंगूर लता-सी फैली, हिम जल है हाला, चंचल नदियाँ साकी बनकर, भरकर लहरों का प्याला, कोमल कूर-करों में अपने छलकाती निशिदिन चलतीं, पीकर खेत खड़े लहराते, भारत पावन मधुशाला।।