अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध वाक्य
उच्चारण: [ ayodheyaa sinh upaadheyaay heriaudh ]
उदाहरण वाक्य
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- इस कविता में अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध ने आँसुओं की कहानी को उनको जन्म देने वाली भावनाओं के साथ प्रस्तुत किया है ।
- अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध • अब्दुल रहमान सागरी • अली शेर अली • अरविंद कुमार• अश्वघोष • अब्दुल मलिक खान • अनंतप्रसाद रामभरोसे •
- अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध • अब्दुल रहमान सागरी • अली शेर अली • अरविंद कुमार • अश्वघोष • अब्दुल मलिक खान • अनंतप्रसाद रामभरोसे •
- जिस तरह की कर्री हिंदी अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध और मैथिली शरण गुप्त से लेकर अज्ञेय तक ने रची थी, उसका आज कोई नामलेवा नहीं है।
- जिस तरह की कर्री हिंदी अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध और मैथिली शरण गुप्त से लेकर अज्ञेय तक ने रची थी, उसका आज कोई नामलेवा नहीं है।
- 15 अप्रैल सन् 1865 को आज़मगढ़ के निज़ामाबाद क़स्बे में जन्मे अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध के पिता का नाम भोलासिंह और माता का नाम रुक्मणि देवी था।
- हमारे रचनाकार हिंदी लेखक खोज संपर्क विश्वविद्यालय संग्रहालय हिंदी समय में अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध की रचनाएँ उपन्यास अधखिला फूल ठेठ हिंदी का ठाट कविताएँ कविताएँ वैदेही-वनवास नाटक श्रीप्
- डाॅ. कन्हैया सिंह जी के आलेख को पढ़कर लगता है कि उन्होंने ख्यात कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध का संपूर्ण साहित्य पढ़े बिना ही आलेख लिख डाला है।
- उपाध्याय हरिऔध पुस्तक और पुस्तक की भूमिकाएँअयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध भाषा की परिभाषा अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध शेखर: एक जीवनीअज्ञेय संपूर्ण कविताएँ-1अज्ञेय संपूर्ण कविताएँ-2अज्ञेय संपूर्ण कहानियाँअज्ञेय लघुकथाएँ अपना-परायाहरिशंकर परसाई चंदे
- रचनाकार: अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध पसंद २६ (एक बूँद) ज्यों निकल कर बादलों की गोद से थी अभी एक बूँद कुछ आगे बढ़ी सोचने फिर-फिर यही जी में लगी, आह! क्यों घर छोड़कर मैं यों कढ़ी?
- जब किसी ढब से निकल गया तिनका, तब 'समझ ' ने यों मुझे ताने दिए, ऐंठता तू किसलिए इतना रहा, एक तिनका है बहुत तेरे लिए ढब-तरीका कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध नीचे के प्लेयर से यह कविता सुनिए-
- जहां एक तरफ रवींद्र नाथ टैगोर की डेढ़ सौवीं वर्षगांठ मनायी जा रही है वहीं इस कला भवन के ओपेन थिएटर में रवींद्र नाथ टैगोर सहित अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध जैसी हस्तियों के आदम कद तैल चित्र के चीथड़े दीवारों पर टंगे हैं तो वहीं महात्मा गांधी और अशोक की लाट धूल फांक रही हैं।
- जहां एक तरफ रवींद्र नाथ टैगोर की डेढ़ सौवीं वर्षगांठ मनायी जा रही है वहीं इस कला भवन के ओपेन थिएटर में रवींद्र नाथ टैगोर सहित अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध जैसी हस्तियों के आदम कद तैल चित्र के चीथड़े दीवारों पर टंगे हैं तो वहीं महात्मा गांधी और अशोक की लाट धूल फांक रही हैं।
- अरविंदाक्षन कविता से लम्बी उदासीविमलेश त्रिपाठी कविताएँनीलेश रघुवंशी कविताएँरंजना जायसवाल कविताएँपाब्लो नेरूदा कविताएँकुमार अंबुज कविताएँराकेश श्रीमाल कविताएँ अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध कविताएँउदयन वाजपेयी कविताएँविनोद कुमार शुक्ल कविताएँसुभद्रा कुमारी चौहान कविताएँहरप्रीत कौर कविताएँगोरख पांडेय कविताएँरामधारी सिंह दिनकर कविताएँभवानी प्रसाद मिश्र कविताएँजयशंकर प्रसाद कविताएँ रेनर मरिया रिल्के कविताएँतोमास त्रांसत्रोमर कविताएँ कुलदीप कुमार कविताएँसर्वेश्वरदयाल सक्सेना कविताएँदुष्यंत कुमार कविताएँ फ़िराक़ गोरखपुरी
- की दान-धारा भगवान भूतनाथ और भारत रचनावली हरिऔध् ग्रंथावली खंड: 3 खड़ी बोली काव्य: बोलचाल खंड: 4 प्रेमपुष्पोपहार खंड: 7 पुस्तक और पुस्तक की भूमिकाएँ खंड: 6 भाषा की परिभाषा डाउनलोड मुद्रण अ+ अ-अन्य धाराधीश की दान-धारा अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध लेखक को जानिए महाराज भोज की गणना भारतवर्षीय प्रधान दानियों में होती है।
- पेशेवराँ जफ़र-उर्रहमान अब्बासी गजले किसी को ज़िंदगी में जानना आसाँ नहीं होतारमेश तैलंग जहाँ उम्मीद थी ज़्यादा वहीं से खाली हाथ आएरमेश तैलंग तबीयत में न जाने ख़ाम ऐसी कौन सी शै है हंसराज रहबर मेरे जज़्बात में जब भी कभी थोड़ा उबाल आयारमेश तैलंग पत्र पगली का पत्र अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध पिता के पत्र पुत्री के नामजवाहरलाल नेहरू मुकेश कुमार जैन के नाम पत्रशमशेर बहादुर सिंह मार्कंडेय के नाम तीन लेखकों के पत्रमार्कंडेय मित्र संवाद केदारनाथ अग्रवाल रूस के पत्र रवीं
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