अष्टलक्ष्मी वाक्य
उच्चारण: [ asetleksemi ]
उदाहरण वाक्य
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- राहु जब छठे भाव में स्थित होता है और केन्द्र में गुरू होता है तब यह अष्टलक्ष्मी नामक शुभ योग का निर्माण करता है।
- राहु जब छठे भाव में स्थित होता है और केन्द्र में गुरू होता है तब यह अष्टलक्ष्मी योग नामक शुभ योग का निर्माण करता है.
- ' ' अष्टलक्ष्मी यंत्र शीघ्र धनलाभ के लिए दीपावली की रात अष्टलक्ष्मी यंत्र की स्थापना कर शंख की माला से निम्नोक्त मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए।
- ' ' अष्टलक्ष्मी यंत्र शीघ्र धनलाभ के लिए दीपावली की रात अष्टलक्ष्मी यंत्र की स्थापना कर शंख की माला से निम्नोक्त मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए।
- सिद्धि की प्राप्ति कराने वाले इन अष्टलक्ष्मी स्वरूपों का हालाँकि कोई मानक तो नहीं है, लेकिन मुख्य तौर पर इन्हें निम्नलिखित नामों से पूजा जाता है:
- अष्टलक्ष्मी योग: राहु षष्ठ भावस्थ हो और गुरु भाव 1, 4, 7 या 10 में हो तो राहु को अष्टलक्ष्मी योग का सृजनकर्Ÿाा कहा जाता है।
- अष्टलक्ष्मी योग: राहु षष्ठ भावस्थ हो और गुरु भाव 1, 4, 7 या 10 में हो तो राहु को अष्टलक्ष्मी योग का सृजनकर्Ÿाा कहा जाता है।
- गर्भग्रह में भक्तों के जाने के लिए तीन दरवाजे हैं, जिन पर अष्टविनायक, अष्टलक्ष्मी और दशावतार की आकृतियां चित्रित हैं.इनके अलावा पहली मंजिल से भी दर्शन की सुविधा है.
- लक्ष्मी के साथ ही अष्टसिद्धियाँ-अणिमा महिला गरिमा, लधिमा, प्राप्ति, प्रकाम्या, ईशिता और बसिता तथा अष्टलक्ष्मी आदि, विद्या, सौभाग्य, अमृत, काम, सत्य भोग और योग की पूजा भी करना चाहिए।
- आठों सिद्धियां प्रदान करने वाली अष्टलक्ष्मी इस प्रकार हैं-धन लक्ष्मी, ऐश्वर्यलक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, गजलक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी और अधि लक्ष्मी।
- शास्त्रों के मुताबिक स्वभाव और आचरण को पवित्र बनाने के साथ व्यावहारिक जीवन के अनेक सुखों को देने वाली महालक्ष्मी के 8 स्वरूप हैं, जो अष्टलक्ष्मी के नाम से प्रसिद्ध है।
- -जिसके हाथ में सुपष्ट जीवन रेखा, स्वस्थ्य भाग्य रेखा और बिना किसी दोष की लम्बी सूर्य रेखा होती है तो ऐसे में व्यक्ति के हाथ में अष्टलक्ष्मी योग बनता है।
- लक्ष्मी के साथ ही अष्टसिद्धियां-अणिमा महिला गरिमा, लघिमा, प्राçप्त, प्रकाम्या, ईशिता और बसिता तथा अष्टलक्ष्मी आदि, विद्या, सौभाग्य, अमृत, काम, सत्य भोग और योग की पूजा भी करना चाहिए।
- जैसे ही हम लोगों की हवाई यात्रा की थकान दूर हुई, की हम लोग दूसरे दिन ७ अगस्त को उस ओर चल पड़े जहाँ विएतनामी बुद्धिष्ट सेण्टर और अष्टलक्ष्मी मंदिर, स्वामीनारायण मठ के अनुयायियों का विशेष पूजा स्थल है.
- इसलिए खासतौर पर जब व्यक्ति आर्थिक परेशानियों से घिर जाता है और परिवार तंगहाली या कारोबार में घाटे के दौर से गुजर रहा हो तो माता लक्ष्मी के आठ रूपों यानी अष्टलक्ष्मी की उपासना व मंत्र ध्यान आमदनी व बचत बढ़ाने वाले माने गए हैं।
- कुंडली में धन प्राप्त हाने के योग भी राहु के द्वारा बन सकते हैं अष्टलक्ष्मी योग-जब किसी कुंडली में राहु छठे भाव में होता है और 1, 4, 7, 10 वें भाव में गुरू होता है तब यह अष्टलक्ष्मी योग बनता है।
- कुंडली में धन प्राप्त हाने के योग भी राहु के द्वारा बन सकते हैं अष्टलक्ष्मी योग-जब किसी कुंडली में राहु छठे भाव में होता है और 1, 4, 7, 10 वें भाव में गुरू होता है तब यह अष्टलक्ष्मी योग बनता है।
- प्रश्न: गुरुदेव अष्टलक्ष्मी मे सिर्फ एक ही है जिसे विजयलक्ष्मी कहते हैं | आप कहते हैं हमें विजयलक्ष्मी की आवश्यकता होती है | यह ऊर्जा जीतने और सब कुछ में सफल होने के लिये आवश्यक है | क्या आप इसे विस्तृत कर सकते हैं?
- अष्टलक्ष्मी मंत्र--ऊँ आद्यलक्ष्म्यै नम:-ऊँ विद्यालक्ष्म्यै नम:-ऊँ सौभग्यलक्ष्म्यै नम:-ऊँ अमृतलक्ष्म्यै नम:-ऊँ कामलक्ष्म्यै नम:-ऊँ सत्यलक्ष्म्यै नम:-ऊँ भोगलक्ष्म्यै नम:-ऊँ योगलक्ष्म्यै नम: इन मंत्रों के विधिवत जप से लक्ष्मीजी प्रसन्न होंगी और भक्त को धन आदि सभी सुख प्राप्त होंगे।
- अष्टलक्ष्मी पूजन: श्री महालक्ष्मी की स्थपना और ध्यान के पश्चात् दाएं हाथ में रोली, अक्षत और पुष्प लेकर अष्ट लक्ष्मियों को अर्पित करते हुए नमस्कार करें-¬ आद्या नमः ¬ विद्या लक्ष्म्यै नमः ¬ सौभाग्य लक्ष्म्यै नमः ¬ अमृत लक्ष्म्यै नमः ¬ काम लक्ष्म्यै नमः ¬ सत्य लक्ष्म्यै नमः ¬ भोग लक्ष्म्यै नमः ¬ योग लक्ष्म्यै नमः।
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