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अष्टांग मार्ग वाक्य

उच्चारण: [ asetaanega maarega ]
उदाहरण वाक्यमोबाइल
  • ४. दुःख निरोध का मार्ग: तृष्णा से मुक्ति आर्य अष्टांग मार्ग के अनुसार जीने से पाई जा सकती है ।
  • ४. दुःख निरोध का मार्ग: तृष्णा से मुक्ति अष्टांग मार्ग के अनुसार जिन्दगी जीने से पाई जा सकती है ।
  • बौद्ध धर्म के अनुयायी आर्य अष्टांग मार्ग के अनुसार जीकर अज्ञानता और दुःख से मुक्ति और निर्वाण पाने की कोशिश करते हैं ।
  • बौद्ध धर्म के अनुयायी आर्य अष्टांग मार्ग के अनुसार जीकर अज्ञानता और दुःख से मुक्ति और निर्वाण पाने की कोशिश करते हैं ।
  • कुछ लोग आर्य अष्टांग मार्ग को पथ की तरह समझते है, जिसमें आगे बढ़ने के लिए, पिछले के स्तर को पाना आवश्यक है ।
  • यह किसी भी तरह से स्पष्ट नहीं होता कि बुद्ध के अष्टांग मार्ग पर आचरण करने से दलितों की सामाजिक स्थिति पर क्या फ़र्क पड़ेगा।
  • कुछ लोग आर्य अष्टांग मार्ग को पथ की तरह समझते है, जिसमें आगे बढ़ने के लिए, पिछले के स्तर को पाना आवश्यक है ।
  • उन्होंने ' अष्टांग मार्ग ' ढूंढ निकाला, जो मध्यम मार्ग भी कहा जाता है क्योंकि यह मार्ग तपस्या और असंयम की पराकाष्ठाओं के मध्य में है ।
  • कठोर तपस्या छोड़कर उन्होने आर्य अष्टांग मार्ग ढूंढ निकाला, जो मध्यम मार्ग भी कहलाता जाता है क्योंकि यह मार्ग दोनो तपस्या और असंयम की पाराकाष्टाओं के बीच में है।
  • कठोर तपस्या छोड़कर उन्होने आर्य अष्टांग मार्ग ढूंढ निकाला, जो मध्यम मार्ग भी कहलाता जाता है क्योंकि यह मार्ग दोनो तपस्या और असंयम की पाराकाष्टाओं के बीच में है।
  • कठोर तपस्या छोड़कर उन्होने आर्य अष्टांग मार्ग ढूंढ निकाला, जो बीच का मार्ग भी कहलाता जाता है क्योंकि यह मार्ग दोनो तपस्या और असंयम की पाराकाष्टाओं के बीच में है ।
  • कर्म से मुक्त होने या ज्ञान प्राप्ति हेतु मध्यम मार्ग अपनाते हुए व्यक्ति को चार आर्य सत्य को समझते हुए अष्टांग मार्ग का अभ्यास कहना चाहिए यही मोक्ष प्राप्ति का साधन है।
  • ज्ञान प्राप्ति: कठोर तपस्या छोड़कर उन्होंने आर्य अष्टांग मार्ग ढूंढ निकाला, जो मध्यम मार्ग भी कहलाता है, क्योंकि यह मार्ग तपस्या और असंयम दोनों की पराकाष्ठाओं के बीच में है।
  • आसक्ति, लोभ, दुख और अज्ञानता के निराकरण हेतु बुद्ध ने अष्टांग मार्ग का उपदेद्गा किया, जिसके आठ अंग इस प्रकार हैं-सम्यग्दृष्टि, सम्यक्संकल्प, सम्यग्वाक्, सम्यक्कर्म, सम्यगाजीव, सम्यग्व्यायाम्, सम्यक्स्मृति और सम्यक्समाधि।
  • मेरे पास बुद्ध का अष्टांग मार्ग आर्यसत्य चतुष्टय और द्वादशांग प्रतीत्य समुत्पाद से बना चौबीस तन्तुओं का जाल कहाँ से आये? अपने हाथ में तो बस गुणमयी बंसी है, बाँस की एक छड़ी में एक गुण उर्थात् डोरी, जिसमें एक काँटा लगा है और गाँटे में चारा फँसा है।
  • मेरे पास बुद्ध का अष्टांग मार्ग, आर्यसत्य चतुष्टय और द्वादशांग प्रतीत्य समुत्पाद से बना चौबीस तन्तुओं का जाल कहाँ से आये? अपने हाथ में तो बस गुणमयी बंसी है, बाँस की एक छड़ी में एक गुण अर्थात डोरी, जिसमें एक काँटा लगा है और गाँटे में चारा फँसा है।
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