आदिगुरु शंकराचार्य वाक्य
उच्चारण: [ aadigauru shenkeraachaarey ]
उदाहरण वाक्य
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- हिन्दू संस्कृति के संस्थापक आदिगुरु शंकराचार्य के सेहो मिथिला में मंडन मिश्र के विद्वान पत्नी भारती स पराजित होव परलैन।
- इसकी रचना तथा आकार के बारे में आदिगुरु शंकराचार्य की दुर्लभकृति सौंदर्यलहरी में बड़े रहस्यमय ढंग से चर्चा की गई है।
- बदरीनाथ की यात्रा शुरू होते ही जोशीमठ नृसिंह मंदिर से आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी को बदरीनाथ धाम ले जाया जाता है।
- हिन्दू संस्कृति के संस्थापक आदिगुरु शंकराचार्य को भी मिथिला में मंडन मिश्र की विद्वान पत्नी भारती से पराजित होना पड़ा था।
- यहां पर स्थित केदारनाथ मंदिर के पुजारी कृपा शंकर का कहना है कि इस प्राचीन मंदिर को आदिगुरु शंकराचार्य ने स्थापित किया था।
- इतिहासकारों के अनुसार आदिगुरु शंकराचार्य केवल 32 वर्ष की आयु में और सिकंदर मात्र 33 वर्ष की आयु में इस धरा को छोड़ चल दिए।
- मंदिर का निर्माण किसने कराया, इसका कोई प्रामाणिक उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन हां ऐसा भी कहा जाता है कि इसकी स्थापना आदिगुरु शंकराचार्य ने की।
- आदिगुरु शंकराचार्य जब 8 वीं शताब्दी में बदरीकाश्रम क्षेत्र की ओर आए तो देवप्रयाग में दक्षिण भारत के विभिन्न क्षेत्रों से अनेक गोत्र के ब्राह्मण भी पहुंचे।
- उत्तर में विश्वकवि ने अद्वैत वेदान्त के महान् आचार्य आदिगुरु शंकराचार्य के ग्रन्थ विवेकचूड़ामणि का एक श्लोक मधुर स्वर में उच्चारित किया-यदिदं सकलं विश्वम् नानारूपम् प्रतीतयज्ञानात् ।
- अध्यात्म के जरिए भारत को जोड़ा शंकराचार्य ने अध्यात्म की सेवा के साथ-साथ भारत को एकजुट करने के अद्भुत प्रयास के लिए भी आदिगुरु शंकराचार्य को याद किया जाएगा।
- विंध्य पर्वत श्रेणियों के बीच स्थित त्रिकूट पर्वत पर इस मंदिर के बारे यह भी मान्यता है कि माता शारदा की प्रथम पूजा आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी.
- इस मंत्र की दीक्षा सुयोग्य संत या आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा चार शांकर पीठों में स्थापित गुरुशिष्य परंपरा के अंतर्गत जगद् गुरुशंकराचार्य के आसन पर बैठे संत से ली जा सकती है।
- श्री केदार पंडा पंचायत के तीर्थपुरोहित श्रीनिवास पोस्ती तथा प्रयागवाल का दावा है कि उत्तराखंड में तीर्थपुरोहित परंपरा आदिगुरु शंकराचार्य की बदरी-केदार यात्रा के समय से ही शुरू हो गई थी.
- ये आदिगुरु शंकराचार्य ने जिस अद्वैत दर्शन की बात कही है, प्रूव किया है अद्वैत-दर्शन, मतलब क्या है आप जानते हो? दो है ही नहीं, एक ही परमसत्ता अंदर बैठी है.
- मंदिर में वर्तमान में स्थापित भगवान विष्णु की मूर्ति को आठवीं सदी में आदिगुरु शंकराचार्य ने नारदकुंड से निकालकर तप्तकुंड के पास गरुड़ गुफा में बद्रीविशाल के रूप में प्रतिष्ठित किया था।
- अपने 360 किलोमीटर के लंबे रास्ते में करीब 17 जलप्रपात बनाए हैं और वहीं पूर्णा शांत और गंभीर है और शायद आपको याद होगा-यही वो पूर्णा है जिसके किनारे आदिगुरु शंकराचार्य ने जन्म लिया था।
- गंगा जल के बारे में आदिगुरु शंकराचार्य ने कहा था कि किसी व्यक्ति के शरीर में जिव्हा के सहारे अगर एक बूंद भी गंगा जल पहुंच जाता है तो यमराज उसकी चर्चा तक नहीं करते।
- ये आदिगुरु शंकराचार्य ने जिस अद्वैत दर्शन की बात कही है, प्रूव किया है अद्वैत-दर्शन, मतलब क्या है आप जानते हो? दो है ही नहीं, एक ही परमसत्ता अंदर बैठी है.
- आदिगुरु शंकराचार्य ने यद्यपि बहुत पहले ही अद्वैतवाद के रूप में निर्गुण ब्रह्म का स्वरूप स्पष्ट करने की शुरुआत कर दी थी और उत्तर में नाथ और सिद्ध योगी भी सगुण भक्ति के विरुद्ध अपने तरीके से प्रचार कर रहे थे, परन्तु सर्वप्रथम सगुण भक्ति ने ही जनसामान्य के बीच एक आंदोलन की तरह अपनी छाप छोड़ी।
- हैहय राजा महिस्मान द्वारा बसाई गई यह महेश्वर नगरी जहां कि आदिगुरु शंकराचार्य तथा पंडित मण्डन मिश्र का एतिहासिक, बहुचर्चित व प्रसिद्ध शास्त्रार्थ हुआ था आज भी अपनें पुरातात्विक धरोहरों और सांस्कृतिक व पौराणिक विरासतों को अपनें आप में समेटें हैहय राजाओं का इतिहास गान कर रही है और अपनें पौराणिक महत्व का बखान कर रही है.
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