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आस्रव वाक्य

उच्चारण: [ aaserv ]
"आस्रव" का अर्थ
उदाहरण वाक्यमोबाइल
  • अब यहां तीसरे और चौथे आस्रव व बंध नामक तत्वों की व्याख्या की जाती है।
  • आस्रव और बंध का विवेचन जैन कर्म-सिद्धान्त में आता है, और वही उसका मनोविज्ञान-शास्त्र है।
  • महाकाश्यप ने विनम्रता से पूछा-भगवान् क्षीणास्रव होना क्या है? बुद्ध बोले-चार आस्रव होते हैं।
  • दूसरा आस्रव है-भवास्रव, यानि कि स्वर्ग, मोक्ष या फिर अगले अच्छे जीवन की कामना।
  • भगवान ने आगे हृदयस्पर्शी स्वरों में कहा-भिक्षु एकुदान के ये चारों ही आस्रव क्षीण हो चुके हैं।
  • ये सात सोपान ही जीव, अजीव, आस्रव, बंध, संवर, निर्जरा और मोक्ष नामक सात तत्व हंै।
  • जैसे सोना आग में तप कर सोने के दोष जल जाते … ऐसे गुरु भक्ति से सभी आस्रव क्षीण हो जाते …
  • जैन-दर्शन ‘ आस्रव के सिद्धांत में विश्वास करता है, जिसका अर्थ यह है कि कर्म के संस्कार, क्षण-क्षण प्रवाहित हो रहा है।
  • ये ही जैन दर्शन के सात तत्व हैं, जिनके नाम हैं-जीव, अजीव, आस्रव, बंध, संवर, निर्जरा और मोक्ष ।
  • किसी ने इच्छा को तृष्णा, किसी ने माया, किसी ने वासना, किसी ने अज्ञान तथा किसी ने कर्म पुद्गलों के आस्रव का कारण माना है।
  • “कोई पापकर्मी गर्भ से मनुष्य या पशुयोनि में उत्पन्न होते हैं, कोई नरक हो, और कोई सुमति द्वारा स्वर्ग को जाते हैं, तथा जिनके आस्रव नहीं रहा वे परिनिर्वाण को प्राप्त होते हैं।
  • “कोई पापकर्मी गर्भ से मनुष्य या पशुयोनि में उत्पन्न होते हैं, कोई नरक हो, और कोई सुमति द्वारा स्वर्ग को जाते हैं, तथा जिनके आस्रव नहीं रहा वे परिनिर्वाण को प्राप्त होते हैं।
  • कोई पापकर्मी गर्भ से मनुष्य या पशुयोनि में उत्पन्न होते हैं, कोई नरक हो, और कोई सुमति द्वारा स्वर्ग को जाते हैं, तथा जिनके आस्रव नहीं रहा वे परिनिर्वाण को प्राप्त होते हैं।
  • वस्तु स्वरूप के बार-बार चिन्तन का नाम अनुप्रेक्षा है उनमें नामों का क्रम इस प्रकार है-अध्रुव, अशरण, एकत्व, अन्यत्व, संसार, लोक, अशुचित्व, आस्रव, संवर, निर्जरा, धर्म और बोधि।
  • लगभग दो हजार पाँच सौ उन्तीस वर्ष पहले निरंजना नदी के किनारे की वह पहले पहर की रात जब खो गये सारे रास्ते, रज भी शान्त हुआ, आस्रव रुद्ध हो चले और तुमने कहा कि दुख का भी अन्त हुआ
  • मोक्ष का स्वरूप एवं उसे प्राप्त करने की क्रिया का यहाँ इस प्रकार वर्णन है-“जिनके पापों का संचय नहीं रहा या जिनका भोजनमात्र परिग्रहशेष रहा है, तथा आस्रव क्षीण हो गए हैं, उनको वह शून्यात्मक व अनिमित्तक मोक्ष गोचार है (गा.
  • मोक्ष का स्वरूप एवं उसे प्राप्त करने की क्रिया का यहाँ इस प्रकार वर्णन है-“जिनके पापों का संचय नहीं रहा या जिनका भोजनमात्र परिग्रहशेष रहा है, तथा आस्रव क्षीण हो गए हैं, उनको वह शून्यात्मक व अनिमित्तक मोक्ष गोचार है (गा.
  • लगभग दो हजार पाँच सौ उन्तीस वर्ष पहले निरंजना नदी के किनारे की वह पहले पहर की रात जब खो गये सारे रास्ते, रज भी शान्त हुआ, आस्रव रुद्ध हो चले और तुमने कहा कि दुख का भी अन्त हुआ
  • मोक्ष का स्वरूप एवं उसे प्राप्त करने की क्रिया का यहाँ इस प्रकार वर्णन है-“ जिनके पापों का संचय नहीं रहा या जिनका भोजनमात्र परिग्रहशेष रहा है, तथा आस्रव क्षीण हो गए हैं, उनको वह शून्यात्मक व अनिमित्तक मोक्ष गोचार है (गा. 92-93) ।
  • ग्रन्थ के दस अध्यायों में से प्रथम के चार अध्यायों में जीव तत्त्व का, पांचवें अध्याय में अजीव तत्त्व का, छठवें और सातवें अध्याय में आस्रव तत्त्व का, आठवें अध्याय में बन्ध तत्त्व का नवमें अध्याय में संवर और निर्जरा का और दशवें अध्याय में मोक्ष तत्त्व का वर्णन किया गया है।
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आस्रव sentences in Hindi. What are the example sentences for आस्रव? आस्रव English meaning, translation, pronunciation, synonyms and example sentences are provided by Hindlish.com.