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उदयवीर शास्त्री वाक्य

उच्चारण: [ udeyvir shaasetri ]
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  • आधुनिक समीक्षक: उदयवीर शास्त्री प्रभृति अधिकतर विद्वानों का भी यही विचार है-कणाद ने जिन परम सूक्ष्म पृथिव्यादि भूततत्त्वों को जगत् का मूल उपादान माना है, उनका नाम विशेष है।
  • सांख्यसूत्रों के व्याख्याचतुष्टय के सम्पादक जनार्दन शास्त्री पाण्डेय अनिरुद्ध का समय 11 वीं शती स्वीकार करते हैं जैसा कि उदयवीर शास्त्री प्रतिपादित करते हैं प्राय: विद्वान् इसे 1500 ई. के आसपास का मानते हैं।
  • वेदांती शंकर अथार्त आदि शंकराचार्य विक्रमी संवत् से ४५२ वर्ष पूर्व (यह आचार्य उदयवीर शास्त्री का मय-निर्धारण है) केरल के एक गांव में प्रसिद्घ वेदांती शंकर (जो बाद में आदि शंकराचार्य कहलाए) का जन्म हुआ।
  • विक्रमी संवत् से ४ ५ २ वर्ष पूर्व (यह आचार्य उदयवीर शास्त्री का मय-निर्धारण है) केरल के एक गांव में प्रसिद्घ वेदांती शंकर (जो बाद में आदि शंकराचार्य कहलाए) का जन्म हुआ।
  • Balloon title = “ Journal of American Oriental Society, Vol. 3 ” style = color: blue > * / balloon > उदयवीर शास्त्री ने कणाद का काल [[महाभारत]] से पूर्व माना है।
  • अहिर्बुध्न्यसंहिता के इस षष्टिभेद के बारे में उदयवीर शास्त्री का मत है कि ' वार्षगण्य के योग संबंधी व्याख्या-ग्रन्थों के आधार पर और कुछ इधर-उधर से सुन-जानकर संहिताकार ने साठ पदार्थों की संख्या पूरी गिनाने का प्रयास किया * ' ।
  • (ये लेख आचार्य उदयवीर शास्त्री द्वारा लिखे गए एक निबंध, पत्राचार के आधार पर है) धर्म और विज्ञान तथा धर्म और राष्ट्र में कौन बड़ा? अक्सर लोग धर्म को ही सब चीजो की समस्या का मूल कारण बताते हैं।
  • ागर (दो भागों में) देवेन्द्र चैतन्य पृष्ठ 672 मूल्य $ 24.95दृष्टान्त महासागर सम्पूर्ण दो भागों में आगे...हरिवंशपुराण (दो भागों में) पण्डित ज्वाला प्रसाज जी मिश्र पृष्ठ 533 मूल्य $ 49.95हरिवंशपुराण (दो भागों में) आगे...मीमांसा दर्शनम् आचार्य उदयवीर शास्त्री पृष्ठ 944 मूल्य $ 29.95मीमांसा दर्शनम् आगे...न्यायदर्शनम् आचार्य उदयवीर शास्
  • उदयवीर शास्त्री ने अपने “सांख्य दर्शन का इतिहास” नामक ग्रंथ में (पृष्ठ 6) सांख्य शास्त्र के कपिल द्वारा प्रणीत होने में भागवत 3-25-1 पर श्रीधर स्वामी की व्याख्या को उद्धृत करते हुए इस प्रकार लिखा है-अंतिम श्लोक की व्याख्या करते हुए व्याख्याकार ने स्पष्ट लिखा है-तत्वानां संख्याता गणक:
  • जगह-जगह लगे कूड़े के ढेर, खुले पड़े सीवर के ढक्कन व सफाई के बाद एकत्रित कचरे में लगाई जाने वाली आग साफ संकेत दे रही है कड़ी सुरक्षा के बीच उदयवीर शास्त्री का अंतिम संस्कार करौंथा कांड में गोली का शिकार हुए आचार्य उदयवीर शास्त्री का 5वें दिन वीरवार को कड़ी सुरक्षा के बीच अंतिम संस्कार कर दिया गया।
  • जगह-जगह लगे कूड़े के ढेर, खुले पड़े सीवर के ढक्कन व सफाई के बाद एकत्रित कचरे में लगाई जाने वाली आग साफ संकेत दे रही है कड़ी सुरक्षा के बीच उदयवीर शास्त्री का अंतिम संस्कार करौंथा कांड में गोली का शिकार हुए आचार्य उदयवीर शास्त्री का 5वें दिन वीरवार को कड़ी सुरक्षा के बीच अंतिम संस्कार कर दिया गया।
  • उदयवीर शास्त्री ने अपने “ सांख्य दर्शन का इतिहास ” नामक ग्रंथ में (पृष्ठ 6) सांख्य शास्त्र के कपिल द्वारा प्रणीत होने में भागवत 3-25-1 पर श्रीधर स्वामी की व्याख्या को उद्धृत करते हुए इस प्रकार लिखा है-अंतिम श्लोक की व्याख्या करते हुए व्याख्याकार ने स्पष्ट लिखा है-तत्वानां संख्याता गणक: सांख्य-प्रवर्तक इत्यर्थ: ।
  • आचार्य उदयवीर शास्त्री ने जयन्तभट्ट की न्यायमंजरी में ' यत्तु राजा व्याख्यातवान्-प्रतिराभिमुख्ये वर्तते ' तथा युक्तिदीपिका में ' प्रतिना तु अभिमुख्यं '-के साम्य तथा वाचस्पति मिश्र द्वारा ' तथा च राजवार्तिकं ' (72 वीं कारिका पर तत्त्वकौमुदी) कहकर युक्तिदीपिका के आरंभ में दिए श्लोकों में से 10-12 श्लोकों को उद्धृत करते देख युक्तिदीपिकाकार का नाम ' राजा ' संभावित माना है।
  • आपके इस कथन से कि ” सांख्य और ईश्वर साथ साथ नहीं रह सकते ” मेरा अनुमान है कि आप आचार्य शंकर के अध्येता है क्योंकि उन्हीं ने अपने ब्रह्मसूत्र भाष्य में सांख्य को निरीश्वरवादी मान अपना प्रधान मल्ल घोषित किया है | और पदे पदे अपने भाष्य में खंड़न किया है | इसके समाधान के लिये आपसे आचार्य उदयवीर शास्त्री कृत ग्रंथ-त्रयी: सांख्य दर्शन भाष्य, सांख्य सिद्धांत और सांख्य दर्शन का इतिहास, इन का अवलोकन करने की विनय है |
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