कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी वाक्य
उच्चारण: [ kenhaiyaalaal maanikelaal muneshi ]
उदाहरण वाक्य
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- नेहरूजी और कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी (सम्मेलन के अध्यक्ष) के लिए कुर्सियाँ खाली छो ड़, हम सब लोग ग्रुप फोटो के लिए सज गए।
- नेहरूजी और कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी (सम्मेलन के अध्यक्ष) के लिए कुर्सियाँ खाली छो ड़, हम सब लोग ग्रुप फोटो के लिए सज गए।
- कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी की कृष्णावतार श्रृंखला, लोपामुद्रा, परशुराम आदि उपन्यासों में भी उस काल की घटनाओं के बड़े जीवंत वर्णन मिलते हैं।
- ऐतिहासिक उपन्यासों की जो परंपरा महीपतराम, अनंतराम त्रीकमलाल और चुन्नीलाल वर्धमान ने स्थापित की, उसका चरम परिपाक कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी के ऐतिहासिक उपन्यासों में मिलता है।
- ऐतिहासिक उपन्यासों की जो परंपरा महीपतराम, अनंतराम त्रीकमलाल और चुन्नीलाल वर्धमान ने स्थापित की, उसका चरम परिपाक कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी के ऐतिहासिक उपन्यासों में मिलता है।
- ' ' जैसा कि मेरे गुरु कुलपति कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने कहा था, '' हिंदी ही हमारे राष्ट्रीय एकीकरण का सबसे शक्तिशाली और प्रधान माध्यम है।
- कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी (२९ दिसंबर १८८७-८ फरवरी १९७१) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी, राजनेता, गुजराती एवं हिन्दी के ख्यातनाम साहित्यकार तथा शिक्षाविद थे।
- ऐतिहासिक उपन्यासों की जो परंपरा महीपतराम, अनंतराम त्रीकमलाल और चुन्नीलाल वर्धमान ने स्थापित की, उसका चरम परिपाक कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी के ऐतिहासिक उपन्यासों में मिलता है।
- कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी (२९ दिसंबर १८८७-८ फरवरी १९७१) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी, राजनेता, गुजराती एवं हिन्दी के ख्यातनाम साहित्यकार तथा शिक्षाविद थे।
- कन्हैयालाल मुंशी (२९ दिसंबर १८८७-८ फरवरी १९७१) जिनका पूरा नाम कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी था, का जन्म भड़ोच (गुजरात) उच्च सुशिक्षित भागर्व ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
- भाषा-विषयक समझौते की बातचीत में मेरे पितृतुल्य एवं कानून के क्षेत्र में मेरे गुरु डॉ. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी एवं श्री गोपाल स्वामी आयंगार की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही।
- इसके सम्बन्ध में प्रसिद्ध पर्यावरणविद डॉ. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने कहा था कि-“वृक्षों का अर्थ है जल, जल का अर्थ है रोटी और रोटी ही जीवन है।”
- मैंने जिन पुस्तकों का हवाला दिया है (फिरदौसी लिखित ‘ शाहनामा ' और कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी द्वारा लिखे गये कई खण्ड में ग्रंथ ‘ गुजरात के नाथ ' ।
- इसीलिए संविदान सभा में पुरुषोत्तमदास टंडन, तजामुल हुसैन, कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी, हुसैन इमाम, जैसे सभी सदस्य ‘ धर्म-प्रचार ' के अधिकार को मौलिक अधिकार में जोड़ना अनुचित मानते थे।
- कन्हैयालाल मुंशी (जन्म-29 दिसंबर, 1887 ; मृत्यु-8 फरवरी, 1971) जिनका पूरा नाम कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी था, का जन्म भड़ोच (गुजरात) उच्च सुशिक्षित भागर्व ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
- 3. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी (1887-1971)-1937 में बम्बई सरकार में गृहमंत्री, 1952 में केन्द्र सरकार में खाद्य मंत्री, 1953 से 1958 तक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रहे।
- इसका विस्तृत व्यौरा जानने के लिये टिप्पणीकार को ‘ शाहनामा ' पढ़ना चाहिये । अगर ‘ शाहनामा ' पढ़ने में दिक्कत आये तो उन्हें कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी लिखित ‘ गुजरात के नाथ ' पढ़ना चाहिये ।
- ==== गुजरात ==== [[दयानंद सरस्वती]], [[महात्मा गाँधी]], [[वल्लभभाई पटेल]], [[कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी]] (' हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाना नहीं है, वह तो है ही।
- गुजराती के अमर रचनाकार श्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी कहते हैं अधोगत काम विधाता और यम जैसे अनर्थ कराता है बलात्कार और हत्याएँ करवाता है और कामोन्नयन संस्कृति को राधा-कृष्ण उमा महेश कालिदास टेगोर और गेटे आदि देता है।
- इसी से प्रेरणा लेकर श्री सतीश चतुर्वेदी ने १९६६ में अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन की स्थापना की, जिसे श्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का आशीर्वाद प्राप्त था और उन्हीं की प्रेरणा से संस्था का यह नामकरण भी हुआ।
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