कर्मवाच्य वाक्य
उच्चारण: [ kermevaachey ]
"कर्मवाच्य" अंग्रेज़ी में"कर्मवाच्य" का अर्थउदाहरण वाक्य
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- सरल भाषा का प्रयोग करें-सरल अंग्रेजी में लेख लिखें और कर्मवाच्य का उपयोग करने से बचें.
- कर्मवाच्य-क्रिया के जिस रूप से वाक्य का उद्देश्य ‘ कर्म ' प्रधान हो उसे कर्मवाच्य कहते हैं।
- कर्मवाच्य और भाववाचक क्रियापद सामान्य हैं (उदाहरण, लिख-इज-ए, अर्थात ' लिखा जा सकता है ') ।
- वाच्य परिवर्तन 1. कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना-(1) कर्तृवाच्य की क्रिया को सामान्य भूतकाल में बदलना चाहिए।
- अंग्रेज़ी के साथ सम्पर्क के फलस्वरूप उड़िया भाषा में असाक्षात्कथन, सम्बन्धसूचक उपवाक्य और कर्मवाच्य वाक्य-विन्यास जैसी कुछ व्याकरणीय विशेषताएँ शामिल हो गईं।
- कर्मवाच्य (सं.) [सं-स्त्री.] (व्याकरण) क्रिया की दृष्टि से वाक्य का वह रूप जिसमें कर्म की प्रधानता हो।
- अधिकांश मायनों में कश्मीरी भाषा की वाक्य-संरचना भारतीय आर्य भाषाओं के समान है, जैसे कर्मवाच्य की रचना में, कर्ता-क्रिया सामंजस्य में और एरगैटिव कारक।
- कर्मवाच्य प्राय: धातु में-इज-या-ईज (प्राकृत अज्ज) जोड़कर बनता है, जैसे मारिजे (मारा जाता है), पिटिजनु (पीटा जाना); अथवा हिंदी की तरह वञणु (जाना) के साथ संयुक्त क्रिया बनाकर प्रयुक्त होता है, जैसे माओ वर्ञ थो (मारा जाता है)।
- सरल और आसान भाषा में लिखे. कर्मवाच्य ना बने. छोटी (मगर पूरी) रिपोर्ट लिखे. अपनी रिपोर्ट संगठित करे रूपरेखा और उपशीर्षक का इस्तेमाल करके. अंतिम रिपोर्ट से पहले कई प्रारूप लिखे.
- कर्मवाच्य की तुलना कई बार, सांख्यिकी की तरह, कई बार स्नान करने के बिकिनी सूट से की गयी है (जो वोह दिखता है वोह दिलचस्प है, पर जो वेह चिपटा है वोह महत्वपूर्ण है)
- जैपुरी-हाड़ौती में ' नै' परसर्ग का प्रयोग कर्मवाच्य भूतकालिक कर्ता के अतिरिक्त चेतन कर्म तथा संप्रदान के रूप में भी पाया जाता है-'छोरा नै छोरी मारी' (लड़के ने लड़की मारी); 'म्हूँ छोरा नै मारस्यूँ' (मैं लड़के को पीटूँगा;-चेतन कर्म); 'यो लाडू छोरा नै दे दो' (यह लड्डू लड़के को दे दो-संप्रदान)।
- (8) जैपुरी-हाड़ौती में “नै” परसर्ग का प्रयोग कर्मवाच्य भूतकालिक कर्ता के अतिरिक्त चेतन कर्म तथा संप्रदान के रूप में भी पाया जाता है-“छोरा नै छोरी मारी” (लड़के ने लड़की मारी); “म्हूँ छोरा नै मारस्यँू” (मैं लड़के को पीटूँगा;-चेतन कर्म); “यो लाडू छोरा नै दे दो” (यह लड्डू लड़के को दे दो-संप्रदान)।
- बिहारियों की भाषा में कर्तृवाच्य की जगह कर्मवाच्य (एक्टिव वॉयस की जगह पैसिव वॉयस) का प्रयोग भी ऐसी ही एक चीज है-'आया जाय, खाया जाय, बैठा जाय' बोलने की परंपरा पुरानी है और कहीं न कहीं अहं को महत्त्व न देने, उसे तिरोहित करने और दूसरों को सम्मान देने से जुड़ी है।
- बिहारियों की भाषा में कर्तृवाच्य की जगह कर्मवाच्य (एक्टिव वॉयस की जगह पैसिव वॉयस) का प्रयोग भी ऐसी ही एक चीज है-' आया जाय, खाया जाय, बैठा जाय ' बोलने की परंपरा पुरानी है और कहीं न कहीं अहं को महत्त्व न देने, उसे तिरोहित करने और दूसरों को सम्मान देने से जुड़ी है।
- ' एक विद्वान की सम्मति है कि यह ' ने ' वास्तव में करण कारक का चिद्द है, जो हिन्दी में गृहीत कर्मवाच्य रूप के कारण आया है, संस्कृत में करण कारक का ' इन ' प्राकृत में ' एण ' हो जाता है, इसी ' इन ' का वर्ण विपरीत हिन्दी रूप में ' ने ' है।
- सच्चाई यह है कि जब कर्त्ता वाक्य का अपरिहार्य अंग हो अर्थात् उसके बिना वाक्य अधूरा लगे तो कथन-प्रकार कर्तृवाच्य होगा, जब कर्त्ता के बिना अथवा कर्त्ता के सक्रिय सहयोग के बिना कर्म अपने बल-बूते पर वाक्य को पूर्णता प्रदान करने में सक्षम होता है तो कथन प्रकार कर्मवाच्य होता है और जब क्रिया बिना कर्त्ता के या बिना कर्त्ता के सक्रिय सहयोग के वाक्य को अपने बल पर पूर्णता प्रदान करती है तो कथन-प्रकार भाववाच्य होता है।
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