किशोरी लाल गोस्वामी वाक्य
उच्चारण: [ kishori laal gaosevaami ]
उदाहरण वाक्य
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- किशोरी लाल गोस्वामी की ‘ इंदुमती ' और केशव प्रसाद सिंह की ‘ चद्रलोक की यात्रा ' ।
- उस काल में लिखी गई किशोरी लाल गोस्वामी की इंदुमती कहानी को कुछ विद्वान हिंदी की पहली कहानी मानते हैं।
- हालांकि किशोरी लाल गोस्वामी की इंदुमती औरमाधव प्रसाद सप्रे की टोकरी भर मिट्टी को भी आलोचक पहली कहानी मानते हैं।
- [29] किशोरी लाल गोस्वामी हिन्दी में “ वैसा ही कुछ करना चाहते हैं जैसा अंग्रेज़ी में वाल्टर स्काट...
- अन्नपूर्णा जी, विद्वान हिन्दी के पहली कहानी पर एकमत नही हो पाए हैं, किशोरी लाल गोस्वामी की “इंदुमती” कहानी को कुछ विद्वान हिंदी की पहली कहानी मानते हैं।
- नागरी प्रचारिणी सभा, काशी की ओर से यह १९०० में, राधाकृष्ण दास, कार्तिकप्रसाद खत्री, जगन्नाथ दास रत्नाकर, किशोरी लाल गोस्वामी और श्याम सुन्दर दास के संपादन में छपना शुरू हुआ।
- इस काल के लेखकों में बालकृष्ण भट्ट, प्रताप नारायण मिश्र, राधा चरण गोस्वामी, उपाध्याय बदरीनाथ चौधरी प्रेमघन, लाला श्रीनिवास दास, बाबू देवकी नंदन खत्री, और किशोरी लाल गोस्वामी आदि उल्लेखनीय हैं.
- अपने हिन्दी साहित्य का इतिहास में शुक्ल जी ने उनकी रचनाओं को साहित्यिक गौरव का अधिकारी नहीं माना था जबकि किशोरी लाल गोस्वामी को थोड़ी किन्तु-परन्तु के बाद वे यह गौरव देने को तैयार थे।
- नागरी प्रचारिणी सभा, काशी की ओर से यह १ ९ ०० में, राधाकृष्ण दास, कार्तिकप्रसाद खत्री, जगन्नाथ दास रत्नाकर, किशोरी लाल गोस्वामी और श्याम सुन्दर दास के संपादन में छपना शुरू हुआ।
- इस काल के लेखकों में बालकृष्ण भट्ट, प्रताप नारायण मिश्र, राधा चरण गोस्वामी, उपाध्याय बदरीनाथ चौधरी प्रेमघन, लाला श्रीनिवास दास, बाबू देवकी नंदन खत्री, और किशोरी लाल गोस्वामी आदि उल्लेखनीय हैं.
- दिलचस्प है कि भारतेन्दु युग के लेखकों बालकृष्ण भट्ट, प्रताप नारायण मिश्र, राधा चरण गोस्वामी, उपाध्याय बदरीनाथ चौधरी प्रेमघन, लाला श्रीनिवास दास, बाबू देवकी नंदन खत्री और किशोरी लाल गोस्वामी में से ज्यादातर पत्रकार भी थे।
- उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तथा बीसवीं शताब्दी की शुरुआत के अधिकांश साहित्यकारों जैसे भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, प्रताप नारायण मिश्र, देवकी नन्दन खत्री, किशोरी लाल गोस्वामी, राधाचरण गोस्वामी और गंगा प्रसाद गुप्त ने इस तरह की संचेतना के निर्माण में मदद की.
- (सन् 1803 या सन् 1808), राजा शिवप्रसाद सितारे हिंद की 'राजा भोज का सपना' (19 वीं सदी का उत्तरार्द्ध), किशोरी लाल गोस्वामी की 'इन्दुमती' (सन् 1900), माधवराव सप्रे की 'एक टोकरी भर मिट्टी' (सन् 1901), आचार्य रामचंद्र शुक्ल की 'ग्यारह वर्ष का समय' (सन् 1903) और बंग महिला की 'दुलाई वाली' (सन् 1907) नामक कहानियाँ आती हैं.
- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के हिंदी के विद्वान मैनेजर पांडेय कहते हैं कि यदि देवकीनंदन खत्री और किशोरी लाल गोस्वामी ने अपने तिलिस्मी और रोमांचकारी उपन्यासों द्वारा हिंदी के पाठक बढ़ाए तो प्रेमचंद ने हिंदी के कथा सहित्य को उत्कर्ष सीमा पर पहुंचा दिया और सिद्ध कर दिया कि इस युग में कथा के माध्यम की सबसे अधिक उपयोगिता है।
- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के हिंदी के विद्वान मैनेजर पांडेय कहते हैं कि यदि देवकीनंदन खत्री और किशोरी लाल गोस्वामी ने अपने तिलिस्मी और रोमांचकारी उपन्यासों द्वारा हिंदी के पाठक बढ़ाए तो प्रेमचंद ने हिंदी के कथा सहित्य को उत्कर्ष सीमा पर पहुंचा दिया और सिद्ध कर दिया कि इस युग में कथा के माध्यम की सबसे अधिक उपयोगिता है।
- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के हिंदी के विद्वान मैनेजर पांडेय कहते हैं कि यदि देवकीनंदन खत्री और किशोरी लाल गोस्वामी ने अपने तिलिस्मी और रोमांचकारी उपन्यासों द्वारा हिंदी के पाठक बढ़ाए तो प्रेमचंद ने हिंदी के कथा सहित्य को उत्कर्ष सीमा पर पहुंचा दिया और सिद्ध कर दिया कि इस युग में कथा के माध्यम की सबसे अधिक उपयोगिता है।
- कृष्ण जौहर कृत ‘नारी-पिशाच ' (1901), ‘मंयक-मोहिनी' (1901), ‘जादूगर' (1901) तथा ‘कमल कुमारी' (1902), मदन मोहन पाठक कृत ‘आनंद सुंदरी' (1902), मुन्नी लाल खन्नी कृत ‘सच्चा बहादुर' (1902), हरे कृष्ण जौहर कृत ‘निराला नकाबपोश' (1902) तथा ‘भयानक खून' (1903), किशोरी लाल गोस्वामी कृत ‘कटे मूड़ की दो-दो बातें' (1905), विश्वेश्वर प्रसाद वर्मा कृत, ‘वीरेन्द्र कुमार' (1906), किशोरी लाल गोस्वामी कृत ‘याकूती तख्ती' (1906), राम लाल वर्मा कृत ‘पुतलीमहल' (1908), रूप किशोर जैन कृत ‘सूर्य कुमार संभव'
- कृष्ण जौहर कृत ‘नारी-पिशाच ' (1901), ‘मंयक-मोहिनी' (1901), ‘जादूगर' (1901) तथा ‘कमल कुमारी' (1902), मदन मोहन पाठक कृत ‘आनंद सुंदरी' (1902), मुन्नी लाल खन्नी कृत ‘सच्चा बहादुर' (1902), हरे कृष्ण जौहर कृत ‘निराला नकाबपोश' (1902) तथा ‘भयानक खून' (1903), किशोरी लाल गोस्वामी कृत ‘कटे मूड़ की दो-दो बातें' (1905), विश्वेश्वर प्रसाद वर्मा कृत, ‘वीरेन्द्र कुमार' (1906), किशोरी लाल गोस्वामी कृत ‘याकूती तख्ती' (1906), राम लाल वर्मा कृत ‘पुतलीमहल' (1908), रूप किशोर जैन कृत ‘सूर्य कुमार संभव'
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