केशव प्रसाद मिश्र वाक्य
उच्चारण: [ keshev persaad misher ]
उदाहरण वाक्य
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- “ बात तो पूरी बतायें मुंशी जी! किसने क्या बताया? ” केशव प्रसाद मिश्र ने टोंका।
- फिल् म हम आपके हैं कौन में भी कहानी का श्रेय केशव प्रसाद मिश्र को दिया गया है।
- उन दिनों केशव प्रसाद मिश्र के उपन्यास कोहबर की शर्त पर आधारित सिनेमा नदिया के पार की धूम थी।
- हां, एक अपवाद है-केशव प्रसाद मिश्र के आंचलिक उपन्यास कोहबर की शर्त पर बनी फिल्म नदिया के पार।
- केशव प्रसाद मिश्र के अनुसार विवाह जैसे संस्कार में भी ब्राह्मणों को अन्य जाति (क्षत्रियों, वैश्य) की कन्या से विवाह वर्जित था।
- केशव प्रसाद मिश्र ने अरविंद की आवभगत तो की, लेकिन पहले नदिया के पार फिल्म देख आने का सुझाव दे डाला।
- केशव प्रसाद मिश्र के अनुसार विवाह जैसे संस्कार में भी ब्राह्मणों को अन्य जाति (क्षत्रियों, वैश्य) की कन्या से विवाह वर्जित था।
- केशव प्रसाद मिश्र ने कहा कि ' दो हजार दस क्या तुम भी वैसा करोगे, अनुज 2009 की राह पर चलोगे, करना चाहते हो तो कुछ ऐसा करो कि स्वर्णिम पल बन जाओ काल के।'
- काशी के लोगों में बचनू महराज, बोकी सिंह व मोहनलाल रस्तोगी जैसे व्यक्तिगत मित्र और साहित्यिक साथियों में रामचन्द्र शुक्ल, केशव प्रसाद मिश्र, रायकृष् ण दास, रामचन्द्र वर्मा आदि भी विराजमान।
- आज के दौर में जब किताबें आने से पहले ही चर्चाओं और गोष्ठियों के जरिए हंगामा बरपाने और खुद को चमकाने की कोशिशें तेज हो जाती हैं-केशव प्रसाद मिश्र इन सबसे दूर थे।
- प्रलेस में प्रकाशचंद्र गुप्त, भैरवप्रसाद गुप्त, शमशेर, अमृतराय, दुष्यंत, कमलेश्वर भाई आदि थे और परिमल में धर्मवीर भारती, विजय देव नारायण साही, केशव प्रसाद मिश्र, लक्ष्मीकांत वर्मा आदि थे।
- ' केशव प्रसाद मिश्र ने कहा कि ‘ दो हजार दस क्या तुम भी वैसा करोगे, अनुज 2009 की राह पर चलोगे, करना चाहते हो तो कुछ ऐसा करो कि स्वर्णिम पल बन जाओ काल के।
- नया ज्ञानोदय ' के विशेषांक ‘ बिन पानी सब सून ' में प्रकाशित अष्टभुजा शुक्ल का रम्य निबंध-पानी पर पटकथा तथा महाकवि कालीदास के मेघदूत का काव्यानुवाद का एक अंश जिसका रुपान्तर केशव प्रसाद मिश्र ने किया है।
- आचार्य केशव प्रसाद मिश्र ने अपने स्नेहिल मधुर शब्दों से इस तनाव को खुरचा, ‘‘... चलिये, ठीक है! रसोई में नमक की भी कोई कम भूमिका नहीं! बगैर इसके स्वाद कहां आ पाता है!...
- [बगरो बसंत में इस बार प्रस्तुत है ‘नया ज्ञानोदय' के विशेषांक ‘बिन पानी सब सून' में प्रकाशित अष्टभुजा शुक्ल का रम्य निबंध-पानी पर पटकथा तथा महाकवि कालीदास के मेघदूत का काव्यानुवाद का एक अंश जिसका रुपान्तर केशव प्रसाद मिश्र ने किया है।
- क्या तुम केवल सुख के साथी हो? '' दास कुछ बोलते इससे पहले पीछे से आचार्य केशव प्रसाद मिश्र की वाणी हवा पर तैरने लगी, ‘‘ प्रसाद जी, आपका दृष्टिकोण ऐसा प्रकट होगा तब तो बहुत अनिष् ट हो जायेगा...
- इन्ही लोगों के कारण ही केशव प्रसाद मिश्र जी को खोज लिया गया जिनके उपन्यास “ कोहबर की शर्त ” पर आधारित “ नदिया के पार ” नामक फिल्म राजश्री प्रोडक्शन के बैनर तले बनी एवं संवेदनशील कथानक के कारण भारत ही नही अपितु पूरी दुनिया में चर्चित रही।
- लाला भगवान दीन, श्याम सुंदर दास, रामचंद्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी, केशव प्रसाद मिश्र, विश्वनाथ मिश्र, बच्चन सिंह, शिव प्रसाद सिंह, और शुकदेव सिंह जैसे आचार्यो और नंद दुलारे वाजपेयी, शिवमंगल सिंह सुमन, नामवर सिंह, केदारनाथ सिंह, विश्वनाथ त्रिपाठी जैसे छात्रों ने देश और दुनिया भर में हिंदी का सिर ऊंचा उठाया है।
- केशव प्रसाद मिश्र के उपंन्यास ' कोहबर की शर्त ' पर आधारित फिल्म ' नदिया के पार ' 1982 में प्रदर्शित हुई, जो कि अपनी सादगी से कईयों के मन में घर कर गयी! फिल्म की कहानी के साथ-साथ इसका संगीत भी काफ़ी प्रभावित करने वाला रहा, ग्रामीण परिवेश में रची इस कहानी की एक और ज़रूरत थी वो था इसका ' मौलिक संगीत ' का होना!
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