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गुणस्थान वाक्य

उच्चारण: [ gaunesthaan ]
उदाहरण वाक्यमोबाइल
  • विवक्षित गुणस्थान को छोड़कर अन्यत्र जाकर पुन: उसी गुणस्थान में कितने समय बाद आना सम्भव है?
  • विवक्षित गुणस्थान को छोड़कर अन्यत्र जाकर पुन: उसी गुणस्थान में कितने समय बाद आना सम्भव है?
  • दसवें गुणस्थान में जीव की कषाय स्थूल से अत्यंत सूक्ष्म रूप धारणकर लेती है इसलिए उसे सूक्ष्मसांपराय कहा गया है।
  • आलाप का अर्थ है गुणस्थानों में मार्गणाओं, मार्गणाओं में गुणस्थानों और पर्याप्तियों में गुणस्थान और मार्गणा की चर्चा करना।
  • फिर बारहवें गुणस्थान के अंत में द्वितीय शुक्ल ध्यान के प्रभाव में शेष तीन घातिया कर्मों का भी क्षय कर दिया।
  • फिर बारहवें गुणस्थान के अंत में द्वितीय शुक्ल ध्यान के प्रभाव में शेष तीन घातिया कर्मों का भी क्षय कर दिया।
  • फिर बारहवें गुणस्थान के अंत में द्वितीय शुक्ल ध्यान के प्रभाव में शेष तीन घातिया कर्मों का भी क्षय कर दिया।
  • 2.-द्वितीय पुस्तक में गुणस्थान, जीवसमास, पर्याप्ति आदि 20 प्ररुपणाओं द्वारा जीव की परीक्षा की गई है।
  • अपूर्वकरण, अनिवृत्तिकरण और सूक्ष्मसाम्पराय गुणस्थान में उपशम सम्यक्त्वी जीव अन्य सब स्थानों की अपेक्षा प्रमाण में अल्प और परस्पर तुल्य होते हैं।
  • नवें गुणस्थान में जीव को ऐसे विशुद्ध परिणाम प्राप्त होते हैं जो निवृत नहीं होते, उत्तरोत्तर उनमें निर्मलता आती ही रहती है।
  • अपूर्वकरण, अनिवृत्तिकरण और सूक्ष्मसाम्पराय गुणस्थान में उपशम सम्यक्त्वी जीव अन्य सब स्थानों की अपेक्षा प्रमाण में अल्प और परस्पर तुल्य होते हैं।
  • छठे गुणस्थान तक मैथुन संज्ञा रहती है और प्रमत्त अवस्था भी रहती है, इसीलिए साधुओं के लिए भी नौ बाडें लगाई गई हैं।
  • बारहवें गुणस्थान में उस जीव की वे कषायें पूर्णतया क्षीण हो जाती हैं और क्षीणकषाय वीतराग छद्मस्थ संज्ञा को वह प्राप्त कर लेता है।
  • यह गुणों की अपेक्षा जीव जैसी-जैसी अपनी उन्नति के स्थान प्राप्त करता जाता है वैसे-वैसे उसके उन स्थानों को गुणस्थान संज्ञा दी गई है।
  • इन में गुणस्थान और मार्गणा क्रम से जीवों के औदयिक, औपशमिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक और पारणामिक भावों के भेद-प्रभेदों और स्थितियों का निरूपण किया गया है।
  • इस तरह जीव के आध्यात्मिक विकास के ये 14 सोपान हैं, जिन्हें जैन सिद्धान्त में ' चौदह गुणस्थान ' नाम से अभिहित किया गया है।
  • ग्यारहवें गुणस्थान में क्रोध, मान, माया और लोभ सभी प्रकार की कषायों का उपशमन हो जाता है इसलिए उसे उपशांत कषाय कहा जाता है।
  • इन्हीं मूल 4 और उत्तर 57 प्रत्ययों (बंधकारणों) का कथन गुणस्थानों में किया गया है कि किस गुणस्थान में बंध के कितने प्रत्ययकारण होते हैं।
  • आठवें गुणस्थान में उस जीव के ऐसे अपूर्व परिणाम होते हैं, जो उससे पूर्व प्राप्त नहीं हुए थे, अतएव इस गुणस्थान का नाम अपूर्वकरण है।
  • आठवें गुणस्थान में उस जीव के ऐसे अपूर्व परिणाम होते हैं, जो उससे पूर्व प्राप्त नहीं हुए थे, अतएव इस गुणस्थान का नाम अपूर्वकरण है।
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गुणस्थान sentences in Hindi. What are the example sentences for गुणस्थान? गुणस्थान English meaning, translation, pronunciation, synonyms and example sentences are provided by Hindlish.com.