घनसत्व वाक्य
उच्चारण: [ ghensetv ]
"घनसत्व" अंग्रेज़ी मेंउदाहरण वाक्य
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- ऊपर बताया गया घनसत्व ७० ग्राम + शुद्ध शिलाजीत १५ ग्राम + त्रिबंग भस्म १० ग्राम + रस सिंदूर ५ ग्राम इन सब को कस कर मजबूत हाथों से खरल में घोंट लीजिये।
- मुलहठी का घनसत्व काले या लाल रंग के टुकड़ों में मिलता है व इसका उत्पत्ति स्थान अफगान प्रदेश होने के कारण सामान्यतया वहीं की भाषा में ' रब्बुस्सूस ' नाम से पुकारते हैं ।
- धन्यवाद अजेय वाचस्पति, प्रतापगढ़ (यू. पी.) अजेय जी घनसत्व का अर्थ है उस वनस्पति के सत्व को निकाल कर उसे गाढ़ा करते-करते सुखा कर चूर्ण रूप में बना लेना।
- २. रास्ना घनसत्व १० ग्राम + महायोगराज गुग्गुलु १० ग्राम + शुद्ध कुचला १० ग्राम लेकर कस कर घोंट लीजिये व इसमें से एक-एक ग्राम मात्रा दिन में दो बार गर्म जल से लीजिये।
- ऊपर बताया गया घनसत्व ७ ० ग्राम + शुद्ध शिलाजीत १ ५ ग्राम + त्रिबंग भस्म १ ० ग्राम + रस सिंदूर ५ ग्राम इन सब को कस कर मजबूत हाथों से खरल में घोंट लीजिये।
- २. रास्ना घनसत्व १ ० ग्राम + महायोगराज गुग्गुलु १ ० ग्राम + शुद्ध कुचला १ ० ग्राम लेकर कस कर घोंट लीजिये व इसमें से एक-एक ग्राम मात्रा दिन में दो बार गर्म जल से लीजिये।
- अन्य ओषधियों की तरह इसकी गोली / घनसत्व के केपसूल, बनाए जाना संभव नहीं क्योकि इसमें उपस्थित उड़नशील तैल ही इसका लाभदायक अंश होता है, यदि यह बाष्पीकृत हो गया तो इसका किसी भी रोग पर कोई असर नहीं होगा।
- असल में कई बार नाजुक तबियत के आधुनिक लोग आयुर्वेद में बताए गये चूर्ण आदि की ज्यादा मात्रा जैसे एक चम्मच लेना पसंद नहीं करते अतः ऐसे लोगों के लिये घनसत्व एक बेहतर विकल्प होते हैं जो चूर्ण के स्थान पर लिये जा सकते हैं।
- आयुषवेद परिवार ने अपने आत्मीयजनों की इस समस्या को दूर करने के लिये आपके आवश्यकता के लिये वनस्पतियों के घनसत्व बनाने की व्यवस्था भी जुटा ली है अतः यदि आप किन्हीं घनसत्वों को चाहें तो आयुषवेद परिवार उन्हें अपनी देखरेख में आपके लिये बनवा देगा।
- आप परेशान न हों आयुर्वेद में इसे गर्भाशय भ्रंश कहते हैं आप उन्हें निम्न उपचार दें-१. अशोक घनसत्व २० ग्राम + संगजराहत भस्म २० ग्राम + कुक्कुटाण्डत्वक भस्म १० ग्राम + लौह भस्म ५ ग्राम + बंग भस्म ५ ग्राम ; इन सबको मिला कर इनकी कुल साठ पुडि़या बना लीजिये।
- आप परेशान न हों आयुर्वेद में इसे गर्भाशय भ्रंश कहते हैं आप उन्हें निम्न उपचार दें-१. अशोक घनसत्व २ ० ग्राम + संगजराहत भस्म २ ० ग्राम + कुक्कुटाण्डत्वक भस्म १ ० ग्राम + लौह भस्म ५ ग्राम + बंग भस्म ५ ग्राम ; इन सबको मिला कर इनकी कुल साठ पुडि़या बना लीजिये।
- वासा का प्रयोग चाहे स्वरस के रूप में करे या अवलेह के रूपमें या क्वाथ के रूप में या क्षार के रूप में या धूम्रपान के रूप में या अर्कके रूप में या घनसत्व के रूप में या शर्बत के रूप में या घृत के रूप में याकिसी भी रूप में करे यह क्षय रोग में छाती और फेफड़ों के रोग के लिये अत्यन्तगुणकारी है.
- कुछ बड़ी कम्पनियां इन घनसत्वों को कैप्सूल के रूप में बना कर भारी मुनाफ़ा कमा कर मरीजो की जेबें काट रही हैं, आप साधारणतया इन्हें घर पर नहीं बना सकते जैसे कोई आपसे कहें कि चाय को इतना उबालिये कि वह चूर्ण रूप में आपको मिल जाए तो वह चाय का घनसत्व होगा इसलिये ये एक श्रमसाध्य कठिन कार्य है जिसके लिये अनुभवी लोगों की जरूरत होती है।
- विद्यार्थियों के लिये तो यह योग बेजोड़ है-१. रजत सिंदूर ५ ग्राम + रजत भस्म ५ ग्राम + शतपुटी अभ्रक भस्म १ ० ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म १ ० ग्राम + गिलोय सत्व १ ० ग्राम + सर्पगन्धा घनसत्व १ ० ग्राम + अश्वगन्धा घनसत्व १ ० ग्राम + शंखपुष्पी घनसत्व १ ० ग्राम + ब्राम्ही घनसत्व १ ० ग्राम + बच घनसत्व १ ० ग्राम + जटामांसी घनसत्व १ ० ग्राम इन सभी को मजबूत हाथों से कस कर घुटाई करवा लीजिये।
- विद्यार्थियों के लिये तो यह योग बेजोड़ है-१. रजत सिंदूर ५ ग्राम + रजत भस्म ५ ग्राम + शतपुटी अभ्रक भस्म १ ० ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म १ ० ग्राम + गिलोय सत्व १ ० ग्राम + सर्पगन्धा घनसत्व १ ० ग्राम + अश्वगन्धा घनसत्व १ ० ग्राम + शंखपुष्पी घनसत्व १ ० ग्राम + ब्राम्ही घनसत्व १ ० ग्राम + बच घनसत्व १ ० ग्राम + जटामांसी घनसत्व १ ० ग्राम इन सभी को मजबूत हाथों से कस कर घुटाई करवा लीजिये।
- विद्यार्थियों के लिये तो यह योग बेजोड़ है-१. रजत सिंदूर ५ ग्राम + रजत भस्म ५ ग्राम + शतपुटी अभ्रक भस्म १ ० ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म १ ० ग्राम + गिलोय सत्व १ ० ग्राम + सर्पगन्धा घनसत्व १ ० ग्राम + अश्वगन्धा घनसत्व १ ० ग्राम + शंखपुष्पी घनसत्व १ ० ग्राम + ब्राम्ही घनसत्व १ ० ग्राम + बच घनसत्व १ ० ग्राम + जटामांसी घनसत्व १ ० ग्राम इन सभी को मजबूत हाथों से कस कर घुटाई करवा लीजिये।
- विद्यार्थियों के लिये तो यह योग बेजोड़ है-१. रजत सिंदूर ५ ग्राम + रजत भस्म ५ ग्राम + शतपुटी अभ्रक भस्म १ ० ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म १ ० ग्राम + गिलोय सत्व १ ० ग्राम + सर्पगन्धा घनसत्व १ ० ग्राम + अश्वगन्धा घनसत्व १ ० ग्राम + शंखपुष्पी घनसत्व १ ० ग्राम + ब्राम्ही घनसत्व १ ० ग्राम + बच घनसत्व १ ० ग्राम + जटामांसी घनसत्व १ ० ग्राम इन सभी को मजबूत हाथों से कस कर घुटाई करवा लीजिये।
- विद्यार्थियों के लिये तो यह योग बेजोड़ है-१. रजत सिंदूर ५ ग्राम + रजत भस्म ५ ग्राम + शतपुटी अभ्रक भस्म १ ० ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म १ ० ग्राम + गिलोय सत्व १ ० ग्राम + सर्पगन्धा घनसत्व १ ० ग्राम + अश्वगन्धा घनसत्व १ ० ग्राम + शंखपुष्पी घनसत्व १ ० ग्राम + ब्राम्ही घनसत्व १ ० ग्राम + बच घनसत्व १ ० ग्राम + जटामांसी घनसत्व १ ० ग्राम इन सभी को मजबूत हाथों से कस कर घुटाई करवा लीजिये।
- विद्यार्थियों के लिये तो यह योग बेजोड़ है-१. रजत सिंदूर ५ ग्राम + रजत भस्म ५ ग्राम + शतपुटी अभ्रक भस्म १ ० ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म १ ० ग्राम + गिलोय सत्व १ ० ग्राम + सर्पगन्धा घनसत्व १ ० ग्राम + अश्वगन्धा घनसत्व १ ० ग्राम + शंखपुष्पी घनसत्व १ ० ग्राम + ब्राम्ही घनसत्व १ ० ग्राम + बच घनसत्व १ ० ग्राम + जटामांसी घनसत्व १ ० ग्राम इन सभी को मजबूत हाथों से कस कर घुटाई करवा लीजिये।
- आंवला घनसत्व + हरड़ घनसत्व + मुलैहठी घनसत्व + भृंगराज घनसत्व २०-२० ग्राम ले कर इस मिश्रण में २० ग्राम स्वर्णमाक्षिक भस्म मिला कर इसकी एक ग्राम मात्रा दिन में दो बार ठंडे जल के साथ लीजिये (इस दवा को बीज निकाले हुए खाली मुनक्के या खाली कैप्सूल में भर कर लिया जा सकता है) २. भृंगराज + आंवला + मिश्री + साबुत काले तिल २५-२५ ग्राम मिला कर रख लें व इस योग को भी एक-एक ग्राम मात्रा दिन में दो बार ठंडे जल के साथ लीजिये।
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