चित्रकाव्य वाक्य
उच्चारण: [ chiterkaavey ]
"चित्रकाव्य" अंग्रेज़ी में"चित्रकाव्य" का अर्थउदाहरण वाक्य
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- तात्पर्य यह कि चित्रकाव्य की प्रेरणा कवि के भावाकुल अंतस्तल से नहीं वरन् क्रीड़ापूर्ण एवं वैचित्र्यसूचक कुतूहलवृत्ति से मिलती है।
- ** [नोट: वाचिक परम्परा में भी कविता के लिखे जाने के साथ चित्रकाव्य आता है-एक स्थूल आयाम का अन्वेषण।
- महाकाव्यों में यमक तथा चित्रकाव्य का निबंधन कवि के अभिमान का ही परिचायक होता है, वह काव्य के मुख्य रस का अभिव्यंजक नहीं होता।
- गोमूत्रिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक विशेष प्रकार का चित्रकाव्य जो लचकीली या लहरिएदार रेखा के रूप में होता है 2.
- बंध-चित्रकाव्य में छंद की ऐसी रचना जिसकी कुछ विशिष्ट नियमों के अनुसार उसकी पंक्तियों के अक्षर बैठाने से किसी विशेष प्रकार की आकृति या चित्र बन जाय।
- दृश्यों की नाटकीयता, तदनुरूप शब्द-संयोजन एवं चुटीले वाद-संवादों के द्वारा प्रसंग के सभी अंश नेत्रों के समक्ष विविध चित्रावलियाँ प्रस्तुत कर देते हैं-मन उनमें चित्रकाव्य सा रम सा जाता है।
- संगीत की पुस्तक, नायिकाभेद, जैन मुनियों के चरित्र, कृष्णलीला के फुटकल पद्य, चित्रकाव्य इत्यादि के अतिरिक्त इन्होंने 'जंगनामा' नामक ऐतिहासिक प्रबंध काव्य लिखा जिसमें फर्रुखसियर और जहाँदारशाह के युद्ध का वर्णन है।
- वैदेहीशविलास, कोटिब्रह्मांडसुंदरी, लावण्यवती, प्रेमसुधानिधि, अवनारसतरंग, कला कउतुक, गीताभिधान, छंतमंजरी, बजारबोली, बजारबोली, चउपदी हारावली, छांद भूषण, रसपंचक, रामलीलामृत, चौपदीचंद्र, सुभद्रापरिणय, चित्रकाव्य बंधोदय, दशपोइ, यमकराज चउतिशा और पंचशायक प्रभृति उनकी कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं।
- संगीत की पुस्तक, नायिका भेद, जैन मुनियों के चरित्र, कृष्णलीला के फुटकल पद्य, चित्रकाव्य इत्यादि के अतिरिक्त इन्होंने 'जंगनामा' नामक ऐतिहासिक प्रबंध काव्य लिखा जिसमें फर्रुखसियर और जहाँदारशाह के युद्ध का वर्णन है।
- चित्रकाव्य वह आलंकारिक काव्य है जिसके चरणों की रचना ऐसी युक्ति से की गई हो कि वे चरण किसी विशिष्ट क्रम से लिखे जाने पर कमल, खड़ग, घोड़े, रथ, हाथी आदि के चित्रों के समान बन जाते हों।
- संगीत की पुस्तक, नायिकाभेद, जैन मुनियों के चरित्र, कृष्णलीला के फुटकल पद्य, चित्रकाव्य इत्यादि के अतिरिक्त इन्होंने ' जंगनामा ' नामक ऐतिहासिक प्रबंध काव्य लिखा जिसमें फर्रुखसियर और जहाँदारशाह के युद्ध का वर्णन है।
- यद्यपि अभी तक इनका ' जंगनामा ' ही प्रकाशित हुआ है जिसमें फर्रुखसियर और जहाँदार के युद्ध का वर्णन है, पर स्वर्गीय बाबू राधाकृष्णदास ने इनके बनाए कई रीतिग्रंथों का उल्लेख किया है, जैसे नायिकाभेद, चित्रकाव्य आदि।
- वाचिक में समस्या-पूर्तियाँ होती हैं, टप्पे और बैतबाजी होती है, कूट और द्वयाश्रयी काव्य-बन्ध होते हैं, सर्वतोभद्र होते हैं, चित्रकाव्य नहीं होता ; छपाई के आविष्कार के बाद जैसे-जैसे कविता अपना स्वरूप पहचानती जाती है ये काव्य रूप विलय होते जाते हैं।
- नीद रलैण्ड देश में रैंब्रा, माओफ और फान गॉग (डच उच्चारण) वान गॉग चित्रकारों का जीवन है, इतिहास है, पेन्टिंग्स हैं, संग्रहालय है, उनके चित्रों में उनका समय है, परिवेश है, प्रकृति है, उनके चित्रों में जीवन है, उसकी धड़कनें हैं, इसीलिए वे चित्रकाव्य हैं, उनके जीवन के.......
- इस क्रम में अनंतराम पांडेय (कपटीमुनि नाटक), जहावसिंह वैद्य, पुत्तीलाल सुक्ल (बिलासपुर विभूति), राजनांदावं के राजा कृष्ण किशोर दास (श्रीराधाकृष्ण चंद्रिका, सुपुत्री रानी सूर्यमुखी बाई), कन्हई (चित्रकाव्य), रघुवरदयाल, दशरथलाल (श्री कृष्ण लीलामृत), बालमुकुन्द हेमराव (सीता प्रसाद स्वयंवर), कवि वनमाली (मातृवंदना), सुखलाल प्रसाद पांडेय (बाल शिक्षक, पहेली, बाल गीत, पद्य-पंचामृत, मैथिली मंगल), सैय्यद अमीर अली मीर (ललित काव्य) आदि रचनाकार विशेष स्मरणीय हैं।
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