ठाकुर जगमोहन सिंह वाक्य
उच्चारण: [ thaakur jegamohen sinh ]
उदाहरण वाक्य
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- भारतेन्दु हरिशचंद्र के सहपाठी और मित्र, विजयराघवगढ़ के राजकुमार तथा सुप्रसिद्ध साहित्यकार ठाकुर जगमोहन सिंह के लिए छत्तीसगढ़ की धरती, पहाड़, जंगल और नदी-नाले वरदान साबित हुए।
- उस काल के केंद्र बिंदु थे-शिवरीनारायण के तहसीलदार और सुप्रसिद्ध साहित्यकार ठाकुर जगमोहन सिंह जिन्होंने छत्तीसगढ़ के बिखरे साहित्यकारों को केवल समेटा ही नहीं बल्कि उन्हें एक दिशा भी दी है।
- भारतेन्दु युग का जिक्र करते ही ठाकुर जगमोहन सिंह का नाम हमें चकित करता है, जिनकी कर्मभूमि छत्तीसगढ़ ही रहा और जिन्होंने श्यामा स्वपन जैसी नई भावभूमि की औपन्यासिक कृति हिन्दी संसार के लिए रचा।
- भारतेन्दु युग का जिक्र करते ही ठाकुर जगमोहन सिंह का नाम हमें चकित करता है, जिनकी कर्मभूमि छत्तीसगढ़ ही रहा और जिन्होंने श्यामा स्वपन जैसी नई भावभूमि की औपन्यासिक कृति हिन्दी संसार के लिए रचा।
- भारतेन्दु काल का जिक्र करते ही ठाकुर जगमोहन सिंह का नाम हमें चकित करता है, जिनकी कर्मभूमि छत्तीसगढ़ ही रहा और जिन्होंने श्यामा स्वपन जैसी नई भावभूमि की औपन्यासिक कृति हिन्दी संसार के लिए रचा।
- मसलन रामधारी सिंह दिनकर, शमशेर बहादुर सिंह, ठाकुर जगमोहन सिंह, केदारनाथ सिंह, काशीनाथ सिंह, नामवर सिंह, विजय मोहन सिंह, सुभद्राकुमारी चौहान, उदयप्रकाश और विजय बहादुर सिंह आदि आदि.
- ठाकुर जगमोहन सिंह की रचना ‘श्यामा स्वप्न ' पर वक्यव्य देते हुए डॉ. नामवर सिंह (रायपुर प्रवास में) बोल रहे थे-“न जाने किस-किस तरह के स्वप्न और सच लेखक को पागलपन के स्तर तक उद्वेलित करते रहते हैं।
- ठाकुर जगमोहन सिंह हिन्दी के प्रसिद्ध प्रेमी कवियों रसखान, आलम, घनानंद, बोधा ठाकुर और भारतेन्दु हरिशचंद्र की परंपरा के अंतिम कवि थे, जिन्होंने प्रेममय जीवन जीया और जिनके साहित्य में प्रेम की उत्कृष्ट और स्वभाविक अभिव्यंजना हुई है।
- भारतेंदु के प्रभाव से उनके अल्प जीवनकाल के बीच ही लेखकों का एक खासा मंडल तैयार हो गया जिसके भीतर पं. प्रतापनारायण मिश्र, उपाधयाय बदरीनारायण चौधारी, ठाकुर जगमोहन सिंह, पं. बालकृष्ण भट्ट मुख्य रूप से गिने जा सकते हैं।
- दैनिक नवभारत रायपुर के महानदी घाटी के साहित् यकार नाम से लेखमाला में केशरवानी जी नें ठाकुर जगमोहन सिंह, मालिक राम भोगहा, पं. मेदिनी प्रसाद पाण् डेय, राजा चक्रधर सिंह, हीरालाल सत् योपाध् याय, सुन् दरलाल जी शर्मा, रामदयाल तिवारी, पं.
- इस धरती के महान सपूत स्वामी पं. सुन्दरलाल शर्मा, पं. रविशंकर शुक्ल, स्वामी आत्मानंद, माधवराव सप्रे, पदुम लाल पन्ना लाल बख्शी, लोचन प्रसाद पाण्डेम, मुकुटधर पाण्डेव, ठाकुर जगमोहन सिंह, बैरिस्टर छेदीलाल, डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा, डॉ. खूबचंद बघेल, ई.
- उपाधयाय पं. बदरीनारायण चौधारी, पं. प्रतापनारायण मिश्र, बाबू तोताराम, ठाकुर जगमोहन सिंह, लाला श्रीनिवासदास, पं. बालकृष्ण भट्ट, पं. केशवराम भट्ट, पं. अंबिकादत्त व्यास, पं. राधाचरण गोस्वामी इत्यादि कई प्रौढ़ और प्रतिभाशाली लेखकों ने हिन्दी साहित्य के इस नूतन विकास में योग दिया था।
- 4. ठाकुर जगमोहन सिंह, यद्यपि जगमोहन सिंहजी अपनी कविता को नए विषयों की ओर नहीं ले गए, पर प्राचीन संस्कृत काव्यों के प्राकृतिक वर्णनों का संस्कार मन में लिए हुए, अपनी प्रेमचर्या की मधुरस्मृति से समन्वित विंधयप्रदेश के रमणीय स्थलों को जिस सच्चे अनुराग की दृष्टि से देखा है, वह ध्यान देने योग्य है।
- इस पुस्तक में छत्तीसगढ़ के रीतिकालीन कवि पं. गोपाल मिश्र, बाबू रेवाराम और पंडित प्रहलाद दुबे, भारतेन्दु कालीन रचनाकारों में ठाकुर जगमोहन सिंह, पं. अनंतराम पांडेय, पं. मेदिनी प्रसाद पांडेय, पं. हीराराम त्रिपाठी, पं. मालिकराम भोगहा, पं. पुरुषोत्तम प्रसाद पांडेय, जगन्नाथ प्रसाद ' भानु ' गोविंद साव और महावीर प्रसाद द्विवेदी युग के अन्यान्य उच्च कोटि के साहित्यकारों के व्यक्तित्व और कृतिव को रेखांकित किया है।
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