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तक़्दीर वाक्य

उच्चारण: [ tekedir ]
उदाहरण वाक्यमोबाइल
  • अंत में उन अवशेष बातों का उल्लेख किया गया है जिन पर ईमान लाने का पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें आदेश दिया है, और वे: अल्लाह के फरिश्तों, उसकी पुस्तकों, उसके पैगंबरों, परलोक के दिन, और अच्छी व बुरी तक़्दीर (भाग्य) पर ईमान लाना, हैं।
  • 7-अगर तक़्दीर के द्वारा हुज्जत पकड़ना उचित होता तो यह इब्लीस के लिए हुज्जत और तर्क होता जिस ने कहा था: ” उस (इबलीस) ने कहा, तेरे मुझे पथभ्रष्ट कर देने के कारण मैं उनके लिए तेरे सीधे मार्ग पर बैठूँ गा।
  • जहाँ तक उन चीज़ों का प्रश्न है जो बन्दे पर या उसके द्वारा उसकी पसंद और अधिकार के बिना घटित होते हैं जैसे कि बीमारी, मृत्यु और दुर्घटनायें, तो ये मात्र तक़्दीर (भाग्य) से होती हैं, इनमें बन्दे का कोई अधिकार (विकल्प) और इच्छा नहीं है।
  • 6-यदि तक़्दीर, गुनाह करने वालों के लिए तर्क होता तो नरकवासी उस समय इस को तर्क व हुज्जत बनाते जब वे जहन्नम को देखें गे और उन्हें उसमें दाखिल होने का गुमान हो जायेगा, और इसी तरह जब वे उसमे प्रवेष करेंगे और उनको डाँट-डपट और धिक्कार किया जायेगा।
  • तथा मुस्लिम, अहमद, और तिर्मिज़ी ने इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत किया है और तिर्मिज़ी ने इसे सहीह कहा है, कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया: ” बुरी नज़र सच है, अगर कोई चीज़ तक़्दीर से आगे बढ़ने वाली होती तो बुरी नज़र उस से आगे निकल जाती, और जब तुम से स्नान करवाया जाये तो स्नान कर लिया करो।
  • अपनों से शिक़ायत है ना ग़ैरों से गिला है-२जो कुछ मेरी तक़्दीर में-२लिखा था मिला हैअपनों से शिकायत है ना ग़ैरों से गिला हैकेहते हैं ये आँखों में तडपते हुए आँसू-२ये उम्र क रोना तेरे हँसने की सज़ा है-२क्यूं दर्द सा उठता है-२उमंगों भरे दिल में-२क्यूं दर्द के तूफ़ान में दिल डूब रहा है-२अपनों से शिकायत है ना ग़ैरों से गिला हैजो कुछ मेरी तक़्दीर में-२लिखा था मिला है
  • अपनों से शिक़ायत है ना ग़ैरों से गिला है-२जो कुछ मेरी तक़्दीर में-२लिखा था मिला हैअपनों से शिकायत है ना ग़ैरों से गिला हैकेहते हैं ये आँखों में तडपते हुए आँसू-२ये उम्र क रोना तेरे हँसने की सज़ा है-२क्यूं दर्द सा उठता है-२उमंगों भरे दिल में-२क्यूं दर्द के तूफ़ान में दिल डूब रहा है-२अपनों से शिकायत है ना ग़ैरों से गिला हैजो कुछ मेरी तक़्दीर में-२लिखा था मिला है
  • स्वयं तक़्दीर को बहाना और तर्क बनाने वाले को यदि आघात पहुँचाया जाये और आघात पहुँचाने वाला तक़्दीर को तर्क और हुज्जत बनाये तो यह उसकी बात को स्वीकार नहीं करेगा, बल्कि अन्तर्विरोध और प्रतिवाद पैदा हो जायेगा, और किसी बात का प्रतिवादित होना और आपस में टकराना उसके फासिद और असत्य होने का पता देता है, अत: तक़्दीर को हुज्जत और तर्क बनाने की असत्यता और व्यर्थता पूर्व बुद्धि के ही स्पष्ट है।
  • स्वयं तक़्दीर को बहाना और तर्क बनाने वाले को यदि आघात पहुँचाया जाये और आघात पहुँचाने वाला तक़्दीर को तर्क और हुज्जत बनाये तो यह उसकी बात को स्वीकार नहीं करेगा, बल्कि अन्तर्विरोध और प्रतिवाद पैदा हो जायेगा, और किसी बात का प्रतिवादित होना और आपस में टकराना उसके फासिद और असत्य होने का पता देता है, अत: तक़्दीर को हुज्जत और तर्क बनाने की असत्यता और व्यर्थता पूर्व बुद्धि के ही स्पष्ट है।
  • स्वयं तक़्दीर को बहाना और तर्क बनाने वाले को यदि आघात पहुँचाया जाये और आघात पहुँचाने वाला तक़्दीर को तर्क और हुज्जत बनाये तो यह उसकी बात को स्वीकार नहीं करेगा, बल्कि अन्तर्विरोध और प्रतिवाद पैदा हो जायेगा, और किसी बात का प्रतिवादित होना और आपस में टकराना उसके फासिद और असत्य होने का पता देता है, अत: तक़्दीर को हुज्जत और तर्क बनाने की असत्यता और व्यर्थता पूर्व बुद्धि के ही स्पष्ट है।
  • तथा इमाम अहमद और तिर्मिज़ी (2059) ने असमा बिन्त उमैस रज़ियल्लाहु अन्हा से रिवायत किया है और तिर्मिज़ी ने सहीह कहा है, कि उन्हों ने कहा: ऐ अल्लाह के पैगंबर! जा ' फर के बेटों को बुरी नज़र लग जाया करती है, तो क्या हम उन पर दम (झाड़-फूँक) करें? आप ने कहा: हाँ, अगर कोई चीज़ तक़्दीर से आगे बढ़ने वाली होती तो बुरी नज़र उस से आगे निकल जाती।
  • शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह फरमाते हैं: ” मुसलमानों, सभी मिल्लत (धर्म) वालों और सभी बुद्धिमानों का इस बात पर इत्तिफाक़ हैं कि किसी के लिए पाप करने पर तक़्दीर को बहाना बनाना वैध नहीं ; क्योंकि अगर यह स्वीकृत होता तो हर एक के लिए संभव होता कि उसके दिल में जो आये करे: लोगों को क़त्ल करे, उनका माल छीन ले और धरती पर हर प्रकार का दंगा करे और फिर तक़्दीर को बहाना और तर्क बना ले।
  • शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह फरमाते हैं: ” मुसलमानों, सभी मिल्लत (धर्म) वालों और सभी बुद्धिमानों का इस बात पर इत्तिफाक़ हैं कि किसी के लिए पाप करने पर तक़्दीर को बहाना बनाना वैध नहीं ; क्योंकि अगर यह स्वीकृत होता तो हर एक के लिए संभव होता कि उसके दिल में जो आये करे: लोगों को क़त्ल करे, उनका माल छीन ले और धरती पर हर प्रकार का दंगा करे और फिर तक़्दीर को बहाना और तर्क बना ले।
  • 4-तक़्दीर (भाग्य) अल्लाह तआला का एक गुप्त रहस्य है जिसका ज्ञान किसी प्राणी को उसके घटित होने के पश्चात होता है, और बन्दे की उस कार्य को करने की इच्छा उसके करने से पूर्व होती है, अत: उसका कार्य की इच्छा करना उसके अल्लाह तआला की तक़्दीर से अवगत होने पर निर्भर नहीं है, इसलिए उसका यह दावा करना कि अल्लाह तआला ने उस पर ऐसा और ऐसा मुक़द्दर कर रखा था, एक असत्य दावा है ;
  • 4-तक़्दीर (भाग्य) अल्लाह तआला का एक गुप्त रहस्य है जिसका ज्ञान किसी प्राणी को उसके घटित होने के पश्चात होता है, और बन्दे की उस कार्य को करने की इच्छा उसके करने से पूर्व होती है, अत: उसका कार्य की इच्छा करना उसके अल्लाह तआला की तक़्दीर से अवगत होने पर निर्भर नहीं है, इसलिए उसका यह दावा करना कि अल्लाह तआला ने उस पर ऐसा और ऐसा मुक़द्दर कर रखा था, एक असत्य दावा है ;
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