त्रैलंग स्वामी वाक्य
उच्चारण: [ terailenga sevaami ]
उदाहरण वाक्य
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- त्रैलंग स्वामी ने अपना मौन भंग करते हुए कहा कि तुमने मुझे विष पीने के लिए दिया।
- त्रैलंग स्वामी (जिन्हें गणपति सरस्वती भी कहते हैं) (ज्ञात १५२९ ई. या १६०७-१८८७ जिसमें ये वाराणसी में १७३७-१८८७ तक रहे।
- शिष्यों ने त्रैलंग स्वामी से पूछा कि आप सन्यासी हैं फिर भी आपने गृहस्थ को (लाहिडी महाशय) इतना सम्मान दिया।
- इसी कड़ी में प्रस्तुत है त्रैलंग स्वामी की कहानी विचित्रता के लिए मशहूर भारत को साधु-संतों की भूमि के रूप में जाना जाता है।
- आध्यात्मिक क्षेत्र में तो त्रैलंग स्वामी तीव्रगति वाले थे ही उनका शरीर भी बहुत विशाल था किन्तु वे भोजन यदा कदा ही करते थे।
- त्रैलंग स्वामी बोले ‘‘ जिस परम पद को पाने के लिए मैंने लंगोटी भी त्याग दी उसी पद पर लाहिडी जी गृहस्थ आश्रम में रहकर सुशोभित हैं।
- काशी उन दिनों दो प्रसिद्ध सिद्ध पुरूषों की लीलास्थली थी: एक त्रैलंग स्वामी जिनकों चलते फिरते काशी के शिव (Walking Shiv of Kashi) कहा जाता था।
- त्रैलंग स्वामी ने अपना मौन भंग करते हुए कहा कि तुमने मुझे विष पीने के लिये दिया, तब तुमने नही जाना कि तुम्हारा जीवन मेरे जीवन के साथ एकाकार है।
- भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां कुछ हैं।
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