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दशम गुरु वाक्य

उच्चारण: [ deshem gauru ]
उदाहरण वाक्यमोबाइल
  • हम बहुत भुलक्कड़ है अपने महापुरुषों की बात को याद नहीं रखते, दशम गुरु गोविन्द सिंह ने कहा था-तुरुक मिताई तब करै जब सबै हिन्दू मरि जा य.
  • महाराजा रणजीत लेते थे सलाह भाई वस्ती राम गुरु घर के श्रद्धालु भाई बुलाका सिंह के बेटे थे, जिन्होंने 1707 में दशम गुरु गोबिंद सिंह के साथ दक्षिण भारत का भ्रमण किया था।
  • नान्देड़ वही स्थान है जहां भारत को विदेशी शासन से मुक्त करवाने की कामना को लेकर मध्यकालीन भारतीय दश गुरु परम्परा के दशम गुरु श्री गोविन्द सिंह जी ने अपनी इहलीला समाप्त की थी।
  • नान्देड़ वही स्थान है यहां भारत को विदेशी शासन से मुक्त करवाने की कामना को लेकर मध्यकालीन भारतीय दश गुरु परम्परा के दशम गुरु श्री गोविन्द सिंह जी ने अपनी इहलीला समाप्त की थी ।
  • दशम गुरु गोविंद सिंह जी स्वयं एक ऐसे ही महापुरुष थे, जो उस युग की आतंकवादी शक्तियों का नाश करने तथा धर्म एवं न्याय की प्रतिष्ठा के लिए गुरु तेगबहादुर सिंह जी के यहाँ अवतरित हुए।
  • दशम गुरु गोविंद सिंह जी स्वयं एक ऐसे ही महापुरुष थे, जो उस युग की आतंकवादी शक्तियों का नाश करने तथा धर्म एवं न्याय की प्रतिष्ठा के लिए गुरु तेगबहादुर सिंह जी के यहाँ अवतरित हुए।
  • लोककल्याण हेतु जिस मानवतावादी दिव्य दर्शन को श्री गुरु नानकदेवजी ने सन् 1469 में आरंभ किया, उसे संपूर्णता 230 वर्षों के पश्चात दशम गुरु श्री गुरु गोविंदसिंघजी ने सन् 1699 में बैसाखी के महान पर्व पर प्रदान की।
  • दशम गुरु महाराज गोविन्द सिंह जी द्वारा उसी सिक्ख-पंथ को परमार्जित कर उसी सिक्ख-पंथ के अंतर्गत खालसा-समाज का निर्माण कर सिक्खी को पूर्ण पंथ का दर्जा एवं सम्मान दिला दि या गया ।
  • हालांकि इस प्रकार के हालात के लिए उंची जाति के घमंडी सिखों को भी दोषी कहा जा सकता है जिन्होंने अपने दशम गुरु के फरमान को नजरंदाज़ कर उंच-नीच के भेद को नहीं त्यागा व नीची जाति वालों के साथ बुरा सुलूक किया।
  • दशम गुरु गोविंदसिंहजी स्वयं एक ऐसे ही महापुरुष थे, जो उस युग की आतंकवादी शक्तियों का नाश करने तथा धर्म एवं न्याय की प्रतिष्ठा के लिए सन् 1666 में पटना शहर में माता गुजरी की कोख से पिता गुरु तेगबहादुरजी के यहाँ अवतरित हुए।
  • क्या आप मेरे इस विचार से सहमत हैं? प्रश्न-सिख धर्म स्थापित हो जाने के बाद जब कालान्तर में नवम दशम गुरु तक आते आते बाद में गुरु पद के लिये विवाद और आंतरिक कलह जैसे लक्षण सिखों में आपसी रूप से दिखने लगे ।
  • 13 अप्रैल 1699 को आनंदपुर साहिब की धरती पर खालसा पंथ की स्थापना करते समय सिख पंथ के दशम गुरु गोबिंद सिंह जी ने जिन पांच प्यारों को अमृतपान करवा कर सिख सजाया व उनके हाथों से स्वंम अमृतपान किया उनमें भाई दया राम लाहौर के खत्री थे।
  • तब-तब देह धरत अवतारा। ' दशम गुरु गोविंदसिंहजी स्वयं एक ऐसे ही महापुरुष थे, जो उस युग की आतंकवादी शक्तियों का नाश करने तथा धर्म एवं न्याय की प्रतिष्ठा के लिए सन् 1666 में पटना शहर में माता गुजरी की कोख से पिता गुरु तेगबहादुरजी के यहाँ अवतरित हुए।
  • दशम गुरु “ श्री गुरु गोबिन्द ” जी ने आगे के अपने शिष्योँ को “ श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी ” को गुरु रूप मानने का आदेश देते हुए कहा:-“ सब सिक्खन् को हुक्म है गुरु मानयो ग्रन्थ ” “ श्री गुरु गोबिन्द सिँह ” जी ने १ ७ ० ८ ई.
  • इस गयासुद्दीन गाजी ने ही मुसलमानों को खबर (मुखबिरी) दी थी की गुरु गोबिंद सिंह जी नांदेड में आये हुए हैं, इसकी मुखबिरी और पक्की खबर के कारण ही सिखों के दशम गुरु गोबिंद सिंह जी के ऊपर हमला बोला गया, जिसमे उन्हें चोट पहुंची और कुछ दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई थी
  • मुस्लिम आक्रान्ताओं का बड़े स्तर पर विरोध और दमन हुआ सिक्खों के दशम गुरु गोबिंद सिंह जी के नेतृत्व में, जिसमे दशम गुरूजी के बेटों को भी इस्लामी दरिंदों ने मलेर कोटला (पंजाब) में दीवारों में चुनवा दिया, चमकौर गढ़ी की लड़ाई के बाद दशम गुरु जी नांदेड की और प्रस्थान कर गए l
  • मुस्लिम आक्रान्ताओं का बड़े स्तर पर विरोध और दमन हुआ सिक्खों के दशम गुरु गोबिंद सिंह जी के नेतृत्व में, जिसमे दशम गुरूजी के बेटों को भी इस्लामी दरिंदों ने मलेर कोटला (पंजाब) में दीवारों में चुनवा दिया, चमकौर गढ़ी की लड़ाई के बाद दशम गुरु जी नांदेड की और प्रस्थान कर गए l
  • लूट के आरोपी नशे समेत काबू इंटरनेशनल मेगा फूड प्लांट अरनीवाला के दो कर्मियों से रुपए व मोबाइल छीनने वाले बाइक सवार तीन लोगों को पुलिस ने तेजधार चप्पे-चप्पे पर तैनात होगी पुलिस दशम गुरु गोबिंद सिंह जी के शहीद चालीस सिंहों की याद में 13 जनवरी को लगने वाले मेला माघी को लेकर पुलिस विभाग द्वारा सु
  • सिख धर्म http: //hindi.webdunia.com/religion/religion/sikhism/ धर्म-संसार> धर्म-दर्शन> सिख धर्म Copyright Webdunia.com Sun, 14 Sep 2008 08:47:35 GMT hi-in क्रांतिकारी युग-पुरुष थे गुरु गोविंदसिंहजी http://hindi.webdunia.com/religion/religion/sikhism/0801/05/1080105005_1.htm दशम गुरु गोविंदसिंहजी स्वयं एक ऐसे ही महापुरुष थे, जो उस युग की आतंकवादी शक्तियों का नाश करने तथा धर्म एवं न्याय की प्रतिष्ठा के लिए सन् 1666 में पटना शहर में माता गुजरी की कोख से पिता गुरु तेगबहादुरजी के यहाँ अवतरित हुए।
  • 300 साल गुरु दे नाल की मुख्य थीम के साथ सचखंडश्री हजूर साहिब नांदेड [महाराष्ट्र] से 15नवंबर 2007को शुरू हुई यह यात्रा देश के विभिन्न राज्यों के शहरों की परिक्रमा करते हुए सोमवार को जब फरीदाबाद पहुंची तो तीन सौ वर्ष दशम गुरु गोबिंदसिंह के निर्देशन में भाई मनी सिंह व शहीद बाबा दीप सिंह द्वारा संपादित हस्तरचितइस पवित्र ग्रंथ से सजी स्वर्ण जडित पालकी के दर्शन करने के लिए लोग उमड पडे।
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