नंदी नाड़ी ज्योतिष वाक्य
उच्चारण: [ nendi naadei jeyotis ]
उदाहरण वाक्य
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- जो भी हो भारत में नंदी नाड़ी ज्योतिष विज्ञान के जानकार भले ही कम हों, लेकिन दक्षिण भारत में इस विद्या में विश्वास रखने वाले लोग अधिक हैं।
- हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भगवान शंकर के गण नंदी द्वारा जिस ज्योतिष विधा को जन्म दिया गया उसे नंदी नाड़ी ज्योतिष (Nandi Nadi Astrology) के नाम से जाना जाता है।
- नंदी नाड़ी ज्योतिष से प्राप्त भावों के विवरणों की सहायता से ज्योतिष की अन्य विधाओं से प्राप्त फलकथन का मिलान कर घटना क्रम की सत्यता की जांच की जा सकती है।
- अगर अन्य ज्योतिष विधि से प्राप्त फलादेश का नंदी नाड़ी ज्योतिष विधि से मिलान करें तो भविष्य में आपके साथ होने वाली घटनाओं के विषय में आप निश्चित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- अगर अन्य ज्योतिष विधि से प्राप्त फलादेश का नंदी नाड़ी ज्योतिष विधि से मिलान करें तो भविष्य में आपके साथ होने वाली घटनाओं के विषय में निश्चित जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं।
- अगर अन्य ज्योतिष विधि से प्राप्त फलादेश का नंदी नाड़ी ज्योतिष विधि से मिलान करें तो भविष्य में आपके साथ होने वाली घटनाओं के विषय में आप निश्चित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
- अन्य ज्योतिष विधि से अलग इसकी एक और मुख्य विशेषता यह है कि अन्य ज्योतिष विधि में बारह भाव होते हैं जिनसे फलादेश किया जाता है जबकि नंदी नाड़ी ज्योतिष विधि में सोलह भाव होते हैं।
- भविष्य का सटीक वर्णन: माना जाता है कि इस विद्या के जानकार लोग ताड़पत्री पर लिखे भविष्य अनुसार नंदी नाड़ी ज्योतिष में दिन और निश्चित समय में होने वाली घटनाओं का जिक्र भी कर सकते हैं।
- नंदी नाड़ी ज्योतिष में पुरुष के दायें एवं महिला के बायें हाथ के अंगूठे का प्रिंट लेकर नाड़ी रीडर प्रथमतः चार-पांच ताड़पत्र की गड्डियां जातक के समक्ष रखता है और उसके नाम का प्रथम या अंतिम अक्षर पूछता है।
- नंदी नाड़ी द्वारा भविष्य कथन नंदी नाड़ी ज्योतिष में पुरुष के दायें एवं महिला के बायें हाथ के अंगूठे की छाप लेकर नाड़ी रीडर चार-पांच ताड़पत्र की गड्डियां जातक के समक्ष रखता है और उसके नाम का प्रथम या अंतिम अक्षर पूछता है।
- ज्योतिष में भावों की सही गणना के बाद ही घटना क्रम की पुष्टि की जा सकती है और इसके लिए सही जन्म समय का पता होना आवश्यक होता है, किंतु नंदी नाड़ी ज्योतिष में भाव विवरण की सत्यता पर संदेह नहीं किया जा सकता है।
- अन्य ज्योतिष विधि से अलग इसकी एक और मुख्य विशेषता यह है कि अन्य ज्योतिष विधि में बारह भाव होते हैं जिनसे फलादेश किया जाता है जबकि नंदी नाड़ी ज्योतिष विधि में सोलह भाव होते हैं (There are 16 houses in Nandi Nadi Jyotish).
- लोशु च्रक (Loshu Chakra), रामशलाका (Ram Shalaka), चीनी ज्योतिष (Chinese astrology), नंदी नाड़ी ज्योतिष (nandi nadi jyotisha), क्रिस्टल बॉल, भृगु संहिता (Bhrigu Samhita), रमल ज्योतिष (Ramala), और मेदनीय ज्योति ष.
- 12. नंदी नाड़ी ज्योतिष द्वारा भविष्य कथन: इस शास्त्र की उत्पत्ति के संबंध में यह कहा जा सकता है कि जब माता पार्वती जी मनुष्य के भविष्य कथन को जानने के हठ में आ गयी तो भगवान शिव रात्रिकालीन सुनसान वेला में इसका वृतांत सुना रहे थे तब इनके प्रहरी नंदी ने इसे सुनकर महर्षियों को बता दिया तथा इन्होंने इसे ताड़पत्र पर लिपिबद्ध कर लिया।
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