पंडित गौरीदत्त वाक्य
उच्चारण: [ pendit gaauridett ]
उदाहरण वाक्य
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- पंडित गौरीदत्त ने देवनागरी के प्रचार के लिए जहां स्थान-स्थान पर अनेक पाठशालाएं स्थापित कीं वहीं अपनी लेखनी को भी इस दिशा में लगाया।
- हिंदी भाषा और साहित्य के विकास में पंडित गौरीदत्त जी ने जो उल्लेखनीय कार्य किया था उससे उनकी ध्येयनिष्ठा और कार्य-कुशलता का परिचय मिलता है।
- हिंदी भाषा और साहित्य के विकास में पंडित गौरीदत्त जी ने जो उल्लेखनीय कार्य किया था उससे उनकी ध्येयनिष्ठा और कार्य-कुशलता का परिचय मिलता है।
- * हिन्दी का प्रथम उपन्यास-' देवरानी जेठानी की कहानी ' (लेखक-पंडित गौरीदत्त ; सन् १ ८ ७ ०) ।
- पंडित गौरीदत्त ने जहां देवनागरी लिपि के प्रचार तथा प्रसार के लिए इतने ग्रन्थ लिखे और अनेक पत्र-पत्रिकाएं सम्पादित कीं वहां अपने ‘देवरानी जेठानी की कहानी‘ नामक एक उपन्यास भी लिखा।
- पंडित गौरीदत्त ने जहां देवनागरी लिपि के प्रचार तथा प्रसार के लिए इतने ग्रन्थ लिखे और अनेक पत्र-पत्रिकाएं सम्पादित कीं वहां अपने ‘देवरानी जेठानी की कहानी‘ नामक एक उपन्यास भी लिखा।
- १ ३ दिसंबर १ ९ ० २ को लैंसडाउन गढवाल के निकट कौडिया पट्टी के पालीग्राम में पंडित गौरीदत्त बडथ्वाल के घर जन्मे पीतांबर दत्त को साहित्यिक अभिरूचियां विरासत में मिली।
- हांलाकि बाद में ' हरिश्चन्द्र मैगजीन‘ का नाम बदल कर 'हरिश्चन्द चन्द्रिका‘ कर दिया गया था, उन्हीं दिनों हरिश्चन्द्र के साहित्यिक अभियान को मेरठ के पंडित गौरीदत्त ने १८७४ में 'नागरी प्रकाश` पत्र संपादित कर आगे बढाया।
- स्वामी दयानंद सरस्वती के भाषणों से प्रभावित होकर खुद को देवनागरी के प्रचार के लिए समर्पित कर देने वाले पंडित गौरीदत्त शर्मा ने 1887 में एक मासिक पत्र ' देवनागरी गजट' और 1892 में देवनागरी प्रचारक ' निकाला।
- इस आन्दोलन में साहित्यकारों, समाजसेवियों (नवीन चन्द्र राय, श्रद्धाराम फिल्लौरी, स्वामी दयानन्द सरस्वती, पंडित गौरीदत्त, पत्रकारों एवं स्वतंत्रतता संग्राम-सेनानियों (महात्मा गांधी, मदनमोहन मालवीय, पुरुषोत्तमदास टंडन आदि) का विशेष योगदान था।
- हांलाकि बाद में ' हरिश्चन्द्र मैगजीन ‘ का नाम बदल कर ' हरिश्चन्द चन्द्रिका ‘ कर दिया गया था, उन्हीं दिनों हरिश्चन्द्र के साहित्यिक अभियान को मेरठ के पंडित गौरीदत्त ने १ ८ ७ ४ में ' नागरी प्रकाश ` पत्र संपादित कर आगे बढाया।
- इसके अतिरिक्त राजा शिवप्रसाद सितारेहिन्द कृत ‘ राजा भोज का सपना ', पंडित गौरीदत्त लिखित ‘ देवरानी-जेठानी की कहानी ' आदि हिन्दी कहानी के अविर्भाव काल की कहानियां हैं, परंतु अपनी युगीन सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक सोच पर आधारित ये कहानियां आधुनिक कहानी की विचारधारा से बिल्कुल भिन्न हैं।
- स्त्री विमर्श को मात्र फैशन या विदेश की नकल मानने वाले इतना तो जरूर जानते होंगे कि हिंदी कथा साहित्य के जन्म का कारण भी स्त्री विमर्श था | पंडित गौरीदत्त द्वारा रचित हिन्दी का पहला उपन्यास ‘ देवरानी जेठानी की कहानी ' [१ ८८ ७] इसका उदाहरण और हिन्दी की पहली कहानी लेखिका ‘
- (आनंदकादंबिनी, 1881), देवकीनंदन त्रिपाठी (प्रयाग समाचार, 1882), राधाचरण गोस्वामी (भारतेंदु, 1882), पंडित गौरीदत्त (देवनागरी प्रचारक, 1882), राज रामपाल सिंह (हिंदुस्तान, 1883), प्रतापनारायण मिश्र (ब्राह्मण, 1883), अंबिकादत्त व्यास, (पीयूषप्रवाह, 1884), बाबू रामकृष्ण वर्मा (भारतजीवन, 1884), पं. रामगुलाम अवस्थी (शुभचिंतक, 1888), योगेशचंद्र वसु (हिंदी बंगवासी, 1890), पं. कुंदनलाल (कवि व चित्रकार, 1891), और बाबू देवकीनंदन खत्री एवं बाबू जगन्नाथदास (साहित्य सुधानिधि, 1894)।
- हिन्दी का प्रथम उपन्यास है देवरानी जेठानी की कहानी ” यह लिखा हुआ पंडित गौरी दत्त जी के द्बारा | इस उपन्यास को न केवल अपने अपने प्रकाशक वर्ष १ ८ ७ ० वरन अपनी लिखे जाने के लिहाज से भी पंडित गौरीदत्त की कृति देवरानी जेठानी की कहानी को हिन्दी का पहला उपन्यास होने का श्रेय जाता है | इस में लिखा इतना बढ़िया है कि उस समय का पूरा समाज ही ध्वनित होता है.
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