बंगदूत वाक्य
उच्चारण: [ bengadut ]
उदाहरण वाक्य
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- यहीं से 10 मई 1829 को राजा राममोहन राय ने ‘ बंगदूत ' समाचार पत्र निकाला जो बंगला, फारसी, अंग्रेजी तथा हिंदी में प्रकाशित हुआ ।
- इसी वर्ष (जामे-जहाँ नुमा के प्रकाश के 15 दिन पश्चात् राजा राम मोहन राय, द्वारका नाथ टैगोर ने बंगदूत (अख़बार शुरू किया जिसके संपादक ये नील रतन हलधर)
- सामाजिक परिवर्तनों के प्रणेता और आधुनिक भारत के स्वप्नदृष्टा राजा राममोहन राय ने संवाद कौमुदी, ब्रह्मैनिकल मैगजीन, मिरात-उल-अखबार, बंगदूत जैसे सुप्रसिद्ध पत्रों का प्रकाशन किया।
- यह विशेष रूप से उल्लेख्य है कि पुनर्जागरण आन्दोलन के सूत्रधार, राजा राममोहन राय ने ' बंगदूत ' (1826) नामक एक हिंदी साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन भी शुरू किया था।
- इस समय इन गतिविधियों का चूँकि कलकत्ता केन् द्र था इसलिए यहाँ पर सबसे महत् वपूर्ण पत्र-पत्रिकाएँ-उद् दंड मार्तंड, बंगदूत, प्रजामित्र मार्तंड तथा समाचार सुधा वर्षण आदि का प्रकाशन हुआ।
- इसके अतिरिक्त बंगदूत, अमृत बाज़ार पत्रिका, केसरी, हिन्दू, पायनियर, मराठा, इण्डियन मिरर, आदि ने ब्रिटिश हुकूमत की ग़लत नीतियों की आलोचना कर भारतीयों में राष्ट्रवाद की भावना को जगाया।
- पक्षपात रहित होकर औचित्य का समर्थन करने और यथार्थ स्थिति का सहज प्रकाशन करने के लिए 10 मई, सन् 1829 को नीलरतन हालदार के सम्पादकत्व में बंगला, फारसी और हिन्दी भाषा में ‘ बंगदूत ' पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ किया।
- भारत में समाचारपत्र निकले थे लेकिन 1836 में ‘ समाचार चन्द्रिका ‘ की 250 प्रतियां छपती थीं, ‘ समाचार दर्पण ‘ की 298 ‘ बंगदूत ‘ की 70 से भी कम, ‘ पूर्णचन्द्रोदय ‘ की 100 और ‘ ज्ञानेनेशुन की 200 ।
- वहीं राजा राममोहन राय ने जनता की दुर्दशा और संकटों को जनता की भाषा में अभिव्यक्त करने के लिए 10 मई 1829 को कलकत्ता से ‘ हिन्दू हेराल्ड ' का प्रकाशन शुरू किया जिसके ‘ बंगदूत ' नाम से बंगला, हिन्दी और फारसी में तीन संस्करण अलग से प्रकाशित होते थे लेकिन यह अखबार भी शीघ्र ही बंद हो गया ।
- उदन्त मार्तण्ड से प्रेरणा प्राप्त कर ` बंगदूत-(1829), ` बनारस अखबार, सुधाकर (1850), बुद्धि प्रकाश (1852), मजहरूल सरूर (1852), पजामें आजादी (1857) आदि पत्र प्रकाशित हुए जिनके द्वारा ` तोड़ों गुलामी की जंजीरे ', ` बरसाओं अंगारा ' और ` सत्वनिज भारत गहे ' का नारा बुलंद किया गया।
- बंगदूत (1829), प्रजामित्र (1834), बनारस अखबार (1845), मार्तंड पंचभाषीय (1846), ज्ञानदीप (1846), मालवा अखबार (1849), जगद्दीप भास्कर (1849), सुधाकर (1850), साम्यदंड मार्तंड (1850), मजहरुलसरूर (1850), बुद्धिप्रकाश (1852), ग्वालियर गजेट (1853), समाचार सुधावर्षण (1854), दैनिक कलकत्ता, प्रजाहितैषी (1855), सर्वहितकारक (1855), सूरजप्रकाश (1861), जगलाभचिंतक (1861), सर्वोपकारक (1861), प्रजाहित (1861), लोकमित्र (1835), भारतखंडामृत (1864), तत्वबोधिनी पत्रिका (1865), ज्ञानप्रदायिनी पत्रिका (1866), सोमप्रकाश (1866), सत्यदीपक (1866), वृत्तांतविलास (1867), ज्ञानदीपक (1867), कविवचनसुधा (1867), धर्मप्रकाश (1867), विद्याविलास (1867), वृत्तांतदर्पण (1867), विद्यादर्श (1869), ब्रह्मज्ञानप्रकाश (1869), अलमोड़ा अखबार (1870), आगरा अखबार (1870), बुद्धिविलास (1870), हिंदू प्रकाश (1871), प्रयागदूत (1871), बुंदेलखंड अखबर (1871), प्रेमपत्र (1872), और बोधा समाचार (1872)।
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