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बाबूराव विष्णु पराड़कर वाक्य

उच्चारण: [ baaburaav visenu peraadeker ]
उदाहरण वाक्यमोबाइल
  • (1921) और उसके संपादक स्वर्गीय बाबूराव विष्णु पराड़कर का लगभग वही स्थान है जो साहित्यिक पत्रकारिता के क्षेत्र में आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी को प्राप्त है।
  • म हाराष् ट्र राज् य हिंदी साहित् य अकादमी का वर्ष 2011-12 के बाबूराव विष्णु पराड़कर पत्रकारिता पुरस्कार वरिष् ठ पत्रकार-कथाकार हरीश पाठक को दिया जाएगा।
  • सम्पादकाचार्य बाबूराव विष्णु पराड़कर स्मृति न्यास ने पराड़कर स्मृति भवन में स्मृति समारोह का आयोजन किया है, जिसमें ' हिन्दी पत्रकारिता में साहित्य की जरुरत ' विषय पर चर्चा होगी।
  • दैनिक समाचार पत्र ` आज ' के सम्पादक पत्रकार बाबूराव विष्णु पराड़कर ने राष्ट्रीय आन्दोलन तथा समाज-सुधार के प्रबल समर्थन के साथ ही पत्रकारिता के उच्चादर्शों एवं मानदण्डों की स्थापना की।
  • कहने को तो पत्रकारिता बालगंगाधर तिलक, महामना मदन मोहन मालवीय, मोहन दास करमचंद गाँधी, बाबूराव विष्णु पराड़कर, लक्ष्मण नारायण गर्दे के आदर्शों पे चल रही है ।
  • यहीं पर ‘ आज ' के संस्थापक संपादक बाबूराव विष्णु पराड़कर की वह बात जेहन में कौंधती है जिसमें उन्होंने कहा था कि समाचार पत्र सर्वांग सुंदर तो होंगे लेकिन उसमें आत्मा नहीं होगी।
  • सन् 1920 में श्री शिवप्रसाद गुप्त ने, जो कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहे, श्री बाबूराव विष्णु पराड़कर के सम्पादकत्व में जो ‘आज‘ निकाला, वो उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय समाचारों और विचारों का प्रबल समर्थक रहा।
  • राजनीतिक पत्रकारिता के क्षेत्र में “ आज ” (1921) और उसके संपादक स्वर्गीय बाबूराव विष्णु पराड़कर का लगभग वही स्थान है जो साहित्यिक पत्रकारिता के क्षेत्र में आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी को प्राप्त है।
  • नागपुर और बनारस से ‘हिन्दी केसरी‘ निकला और जब 1920 में बनारस से ‘आज‘ का प्रकाशन प्रारंभ हुआ तो उस संबंध में दिशा-निर्देश लेने के लिए श्री बाबूराव विष्णु पराड़कर, लोकमान्य तिलक से मिलने पूना गये थे।
  • महात्मा गांधी, बाबूराव विष्णु पराड़कर, गणेश शंकर विद्यार्थी, माखनलाल चतुर्वेदी, महर्षि अरविंद आदि युगपुरूष पत्रकारिता की इसी परंपरा के प्रस्थापक थे, जिसने पत्रकारिता को देशहित में कार्य करने के लिए लक्ष्य और प्रेरणा दी।
  • सन् 1920 में श्री शिवप्रसाद गुप्त ने, जो कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहे, श्री बाबूराव विष्णु पराड़कर के सम्पादकत्व में जो ‘ आज ‘ निकाला, वो उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय समाचारों और विचारों का प्रबल समर्थक रहा।
  • नागपुर और बनारस से ‘ हिन्दी केसरी ‘ निकला और जब 1920 में बनारस से ‘ आज ‘ का प्रकाशन प्रारंभ हुआ तो उस संबंध में दिशा-निर्देश लेने के लिए श्री बाबूराव विष्णु पराड़कर, लोकमान्य तिलक से मिलने पूना गये थे।
  • प्रसंगवश एक बात और बता दूं कि 20 वीं सदी के शुरुआती दिनों में जब अंग्रेजों से लड़ने के लिए ‘ आज ' को प्रकाशित करने की बात हुई, तो बाबूराव विष्णु पराड़कर दिशा-निर्देशन लेने के लिए लोकमान्य तिलक के पास पुणे गए थे।
  • महावीर प्रसाद द्विवेदी की पत्रकारिता और उनकी संपादन शैली के बारे में जानने के लिए बाबूराव विष्णु पराड़कर की निम्न पंक्तियां दृष्टव्य हैं-‘‘ सन 1906 से, जब मैंने स्वयं पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश किया, प्रति मास सरस्वती का अध्ययन मेरा एक कर्तव्य हो गया।
  • महामना पंडित [[मदनमोहन मालवीय]] जैसे विलक्षण महापुरुष के अतिरिक्त राजा शिव प्रसाद गुप्त, बाबूराव विष्णु पराड़कर, श्री श्रीप्रकाश, डॉ. भगवान दास, लाल बहादुर शास्री, डॉ. संपूर्णानंद, कमलेश्वर प्रसाद, मन्मथनाथ गुप्त, मुकुटबिहारी लाल जैसे महापुरुषों का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा ।
  • विशाल भारत में बनारसीदास चतुर्वेदी, नवयुग में सत्यदेव विद्यालंकार, सैनिक में कृष्णदत्त पालीवाल, प्रताप में गणेश शंकर विद्याथी, कलकत्ता समाचार में झाबरमल शर्मा, कर्मवीर में माखनलाल चतुर्वेदी, कमला में बाबूराव विष्णु पराड़कर, चांद, फांसी, अंक में आचार्य चतुरसेन शास्त्री, हंस में प्रेमचंद, प्रहरी में भवानी प्रसाद तिवारी जैसे कई नाम हैं जिन्होंने स्वाधीनता संग्राम को निश्चित रूप से प्रभावित किया है।
  • अतुल पांडेय समेत तीन ने की अमर उजाला, लखनऊ के साथ अपनी नई पारी की शुरुआत हरीश पाठक को महाराष्ट्र अकादमी का बाबूराव विष्णु पराड़कर पुरस्कार अमर उजाला में गुटबाजी चरम पर, विनोद अग्निहोत्री की खबर लगी 16 नंबर पेज पर जलगाव लोकमत के पत्रकार जाधव पर हमला आईबीसी 24 अब मध्य प्रदेश से भी म.प्र.हिंदी ग्रन्थ अकादमी को नेस्तनाबूत करने की योजना छत्तीसगढ़ के पत्रकारों को करना होगा 25 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान कुछ ही पत्रकार मेहनतीवायकाम-18 से संदीप दहिया का इस्तीफा संजय घोष को भी एचटी प्रबंधन ने जोड़ा
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