बृजभाषा वाक्य
उच्चारण: [ berijebhaasaa ]
उदाहरण वाक्य
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- इस एक पूरे इलाके में बृजभाषा या तो मूल रूप में या हल्के से परिवर्तन के साथ विद्यमान है।
- इस एक पूरे इलाके में बृजभाषा या तो मूल रूप में या हल्के से परिवर्तन के साथ विद्यमान है।
- सर्व प्रथम बृजभाषा में रचित उनकी कविताओं में उर्दू, अरबी व फारसी के शब्दों की भी भरमार है.
- भारतेन्दु के पूर्ववर्ती नाटककारों में रीवा नरेश विश्वनाथ सिंह (१८४६-१९११) के बृजभाषा में लिखे गए नाटक 'आनंद रघुनंदन' और गोपालचंद्र के 'नहुष'
- बृजभाषा की एक कहावत है कि कौवा जब बोले तब ' कांव'. कौवे को प्रकृति ने 'कांव' बोलने के लिये ही तो बनाया है.
- जिस तरह भोजपुरी, अवधी, छत्तीसगढ़ी, बुंदेली, बधेली, गढ़वाली, मैथिली, बृजभाषा जैसी तमाम बोलियों ने बनाई है।
- बृजभाषा की एक कहावत है कि कौवा जब बोले तब ' कांव'. कौवे को प्रकृति ने 'कांव' बोलने के लिये ही तो बनाया है.
- उन्होंने खड़ी बोली हिन्दी की कविता में उस कोमल शब्दावली का विकास किया जो अभी तक केवल बृजभाषा में ही संभव मानी जाती थी।
- उन्होंने खड़ी बोली हिन्दी की कविता में उस कोमल शब्दावली का विकास किया जो अभी तक केवल बृजभाषा में ही संभव मानी जाती थी।
- उन्होंने खड़ी बोली हिन्दी की कविता में उस कोमल शब्दावली का विकास किया जो अभी तक केवल बृजभाषा में ही संभव मानी जाती थी।
- बृजभाषा में रचित होली पर आधारित इस गीत को पढ़कर इस महान कवि की बहुभाषा ज्ञान की प्रतिभा का लोहा मानना ही पढता है...
- उन्होंने हिन्दी कविता को बृजभाषा की कोमलता दी, छंदों के नए दौर को गीतों का भंडार दिया और भारतीय दर्शन को वेदना की हार्दिक स्वीकृति दी।
- बृजभाषा के प्रसिद्ध कवि, जो रीतिमुक्त धारा के अनूठे कवि थे, की प्रेमिका का नाम सुजान था, जो खुद भी कविता करती थी।
- उन्होंने हिन्दी कविता को बृजभाषा की कोमलता दी, छंदों के नए दौर को गीतों का भंडार दिया और भारतीय दर्शन को वेदना की हार्दिक स्वीकृति दी।
- जहाँ गंगोली की बोली को रूखी खड़ी बोली कह सकते हैं, वहीँ सोर्याली बोली में बृजभाषा की तरह का रस माधुर्य व सम्बोधनों में भी शालीनता है।
- इसके क्षेत्र के सम्बन्ध में डॉ. श्यामसुन्दर दास लिखते हैं कि '' यह बुन्देलखण्ड की भाषा है और बृजभाषा के क्षेत्र के दक्षिण में बोली जाती है ।
- लोकगायक छन्नूलाल मिश्रा की आवाज़ में ' होली के रंग टेसू के फूल' एल्बम के सभी गीतहोली त्योहार के साहित्य में होली का सबसे अधिक जिक्र बृजभाषा के साहित्य में मिलता है।
- बृजभाषा में रचित होली पर आधारित इस गीत को पढ़कर इस महान कवि की बहुभाषा ज्ञान की प्रतिभा का लोहा मानना ही पढता है...होरी-श्याम कल्याणका विध फाग रचायो मोहन मन लीनी
- लोकगायक छन्नूलाल मिश्रा की आवाज़ में ' होली के रंग टेसू के फूल' एल्बम के सभी गीत होली त्योहार के साहित्य में होली का सबसे अधिक जिक्र बृजभाषा के साहित्य में मिलता है।
- काव्य की प्रथम रचना का प्रारंभ इस प्रकार हुआ-' आओ प्यारे तारे आओ, मेरे आँगन में छिप जाओ!' परन्तु इसके बाद की लिखी पूर्ण रचना बृजभाषा में समस्यापूर्ति है.
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