माधव सदाशिव गोलवलकर वाक्य
उच्चारण: [ maadhev sedaashiv gaolevlekr ]
उदाहरण वाक्य
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- गांधी की हत्या के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर सरकार ने पाबंदी लगा दी थी और सर संघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर सहित आरएसएस के तमाम नेताओं को जेल में बंद कर दिया था.
- बाद में २१ जून १९४० को डाक्टर जी ने श्री माधव सदाशिव गोलवलकर उपाख्य श्री गुरुजी के कंधों पर संघ का सारा दायित्व सौंपकर इहलोक की अपनी यात्रा समाप्त कर सबसे बिदा ली।
- सामाजिक सेवा एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री माधव सदाशिव गोलवलकर उपाख्य श्रीगुरूजी की प्रेरणा से दीनदयाल शोध संस्थान नामक एक अद्वितीय संगठन की नींव डाली।
- सामाजिक सेवा एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री माधव सदाशिव गोलवलकर उपाख्य श्रीगुरूजी की प्रेरणा से दीनदयाल शोध संस्थान नामक एक अद्वितीय संगठन की नींव डाली।
- यही था महान उद्देश्य परमपूजनीय डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के सहयोगियों तथा निष्ठावान समर्पित देशभक्त मराठा प्रचारकों में परम पूजनीय माधव सदाशिव गोलवलकर जिन्हें हम गुरुजी के नाम से अधिक जानते हैं-दूसरे सरसंघचालक बने।
- तीन साल बाद वह पुणे के लिए आया था, उसे करने के लिए संस्कारग्राही के रूप में वह माधव सदाशिव गोलवलकर गुरुजी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे दिग्गजों को सुनने का मौका था साबित कर दिया.
- अनादिकाल के ऋषियों से लेकर प्रभु श्रीराम, श्रीकृष्ण, आचार्य चाणक्य, स्वामी विवेकानंद, योगी अरविन्द, हेडगेवार आदि समेत श्री माधव सदाशिव गोलवलकर उपनाम श्री गुरुजी तक लाखों महापुरुषों ने राष्ट्र को ऐसे ही जिया है।
- हेडगेवार तो फिर भी क्रांतिकारियों और अहिंसक असहयोग आंदोलनकारियों में रहे दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर तो ऐसे हिन्दू राष्ट्रनिष्ठ थे कि राष्ट्रीय आंदोलन, क्रांतिकारी गतिविधियों और ब्रिटिश विरोध से उनने संघ और स्वयंसेवकों को बिल्कुल अलग कर लिया.
- परन्तु आज वहाँ जो कुछ हो रहा है-वह हमारे पूर्वपुरूष महान देशभक्त डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार, माननीय माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरूजी) के किये कराये पर कहीं पानी न फेर दे यही डर सता रहा है।
- आरएसएस के तत्कालीन सरसंघचालक गुरु माधव सदाशिव गोलवलकर के नाम लिखे अपने 11 सितम्बर, 1948 के एक पत्र में सरदार आरएसएस के नेताओं की बेबाक भर्त्सना करते हैं: “ उनके सारे भाषण साम्प्रदायिक विष से भरे हुए हैं.
- हेडगेवार तो फिर भी क्रांतिकारियों और अहिंसक असहयोग आंदोलनकारियों में रहे दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर तो ऐसे हिन्दू राष्ट्रनिष्ठ थे कि राष्ट्रीय आंदोलन, क्रांतिकारी गतिविधियों और ब्रिटिश विरोध से उनने संघ और स्वयंसेवकों को बिल्कुल अलग कर लिया.
- आरएसएस के तत्कालीन सर संघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर की नागपुर के भारत पब्लिकेशन्स से प्रकाशित किताब, “वी आर अवर नेशनहुड डिफाइंड” के 1939 संस्करण के पृष्ठ 37 पर श्री गोलवलकर ने लिखा है कि हिटलर एक महान व्यक्ति है और उसके काम से हिन्दुस्तान को बहुत कुछ सीखना चाहिए और उसका अनुसरण करना चाहिए.
- जैन लिखते हैं, `सौभाग्य से मैं कुछ गोपनीय खुफिया दस्तावेज देख सका जो पुख्ता तौर पर यह इशारा करते थे कि भले ही तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने सीधे तौर पर आरएसएस को फंसाया नहीं था लेकिन तत्कालीन आरएसएस संघसंचालक माधव सदाशिव गोलवलकर इस घटना के किसी भी तरह खिलाफ नहीं थे।
- सौभाग्य से मैं कुछ गोपनीय खुफिया दस्तावेज देख सका जो पुख्ता तौर पर यह इशारा करते थे कि भले ही तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने सीधे तौर पर आरएसएस को (इस मामले में) फंसाया नहीं था लेकिन तत्कालीन आरएसएस संघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर इस घटना के किसी भी तरह खिलाफ नहीं थे।
- जैन लिखते हैं, ”सौभाग्य से मैं कुछ गोपनीय खुफिया दस्तावेज देख सका जो पुख्ता तौर पर यह इशारा करते थे कि भले ही तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने सीधे तौर पर आरएसएस को फंसाया नहीं था लेकिन तत्कालीन आरएसएस संघसंचालक माधव सदाशिव गोलवलकर इस घटना के किसी भी तरह खिलाफ नहीं थे।
- जैन लिखते हैं, ” सौभाग्य से मैं कुछ गोपनीय खुफिया दस्तावेज देख सका जो पुख्ता तौर पर यह इशारा करते थे कि भले ही तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने सीधे तौर पर आरएसएस को फंसाया नहीं था लेकिन तत्कालीन आरएसएस संघसंचालक माधव सदाशिव गोलवलकर इस घटना के किसी भी तरह खिलाफ नहीं थे।
- आरएसएस के तत्कालीन सर संघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर की नागपुर के भारत पब्लिकेशन्स से प्रकाशित किताब, “ वी आर अवर नेशनहुड डिफाइंड ” के 1939 संस्करण के पृष्ठ 37 पर श्री गोलवलकर ने लिखा है कि हिटलर एक महान व्यक्ति है और उसके काम से हिन्दुस्तान को बहुत कुछ सीखना चाहिए और उसका अनुसरण करना चाहि ए.
- बहुसंख्यकों के विरुद्ध हल मे विष-वमन करने वाले लेखको मे ज्योतिर्मय शर्मा कि “ वाइकिंग ” नमक प्रकाशन गृह द्वारा छपी पुस्तक “ टेरिफ़ाइंग विजन ” शायद सबसे आगे है जिनहोने हिन्दू राष्ट्रवाद कि अवधारणा कि निंदा करते हुए चिरपरिचित मार्क्सवादी शब्दावली प्रयुक्त कि है संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर पर उंगली उठाने के साथ-साथ इस लेखक ने तथ्यो और सदर्भों को सुविधानुसार कुटिलता के साथ तोड़ा मरोड़ा है ।
- लेकिन बात बनती नहीं क्योंकि जैसे ही आर एस एस वाले महात्मा गाँधी को अपनाने की कोशिश करते हैं, कहीं से कोई आदमी आर एस एस के तत्कालीन सर संघचालक, माधव सदाशिव गोलवलकर की नागपुर के भारत पब्लिकेशन्स से प्रकाशित किताब, “ वी, आर अवर नेशनहुड डिफाइंड ” के 1939 संस्करण के पृष्ठ 37 का अनुवाद छाप देता है जिसमें श्री गोलवलकर ने लिखा है कि हिटलर एक महान व्यक्ति है और उसके काम से हिन्दुस्तान को बहुत कुछ सीखना चाहिए और उसका अनुसरण करना चाहिए.
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