रोमां रोलां वाक्य
उच्चारण: [ romaan rolaan ]
उदाहरण वाक्य
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- उनसे प्रभावित पश्चिमी लेखक रोमां रोलां का यह कथन रोमांचित करता है-‘‘ उनके द्वितीय होने की कल्पना करना भी असंभव है।
- रोमां रोलां ने उनके बारे में कहा था-" उनके द्वितीय होने की कल्पना करना भी असम्भव है वे जहाँ भी गये, सर्वप्रथम ही रहे।
- इसकी वजह किशन पटनायक के नीचे के उद्धरण तथा रोमां रोलां रचित जीवनी से लिए गये दो उद्धरणों से काफ़ी स्पष्ट हो जाता है ।
- इसकी वजह किशन पटनायक के नीचे के उद्धरण तथा रोमां रोलां रचित जीवनी से लिए गये दो उद्धरणों से काफ़ी स्पष्ट हो जाता है ।
- जब रोमां रोलां को इस बात का पता चला कि महात्मा गांधी गोलमेज सम्मेलन में भाग लेन आ रहे हैं तो उन्होंने गांधी जी से मिलने की आतुरता जाहिर की ।
- जब रोमां रोलां को इस बात का पता चला कि महात्मा गांधी गोलमेज सम्मेलन में भाग लेन आ रहे हैं तो उन्होंने गांधी जी से मिलने की आतुरता जाहिर की ।
- सत्येन्द्र, कामेश्वर शर्मा, रोमां रोलां, आयार्च चन्द्रबली पाण्डेय, राजेन्द्र यादव, रघुवीर सहाय, हरिशंकर परसाई, सर्वेश्वरदयाल सक्सेना, मन्नू भंडारी, कृष्णा सोबती आदि प्रमुख हैं।
- 2. रोमां रोलां (फ्रांस)-मानव ने आदिकाल से जो सपने देखने शुरू किये, उनके साकार होने का इस धरती पर कोई स्थान है, तो वो है भारत।
- स्वयं एक नोबेल पुरस्कार विजेता रोमां रोलां ने 3 जुलाई 1926 की ‘इंद जर्नल ' पत्रिका में लिखा था, “किसी अन्य दिन टैगोर चित्रों में रंगों के अपने प्रयोग पर चर्चा कर रहे थे ।
- (देखेः रोमां रोलां: द लॉइफ ऑफ् विवेकानन्द एण्ड दॉ यूनिवर्सल गॉसपॅल, पृष्ठ 23-24, अद्वैत आश्रम (पब्लिशिंग डिपार्टमैण्ट) कलकत्ता-700 0 14, पंद्रहवाँ संस्करण (1997)) ।
- मीरा बेन: मैडनीन स्लेड के नाम से सन 1892 में इंग्लैण्ड में जन्मी मीरा बेन रोमां रोलां की पुस्तक महात्मा गॉधी को पढ़कर अत्यन्त प्रभावित हुईं और साबरमती आश्रम आकर महात्मा गॉधी की िशष्या बन गयीं ।
- यहां उल्लेखनीय है कि रोमां रोलां महात्मा गांधी के सत्य ओर अहिंसा के दर्शन से इतने प्रभावित थे कि बिना उनसे मिले ही उनके बारे में एक किताब “महात्मा गांधी” लिख डाली थी जिसका प्रकाशन 1924 में हो गया था।
- पुस्तक परिचय-24 विवेकानन्द मनोज कुमार इस सप्ताह आपका परिचय लिओ तालस्तोय, महात्मा गांधी, माइकल एंजेलो, आदि महत्वपूर्ण सख्सियतों की जीवनियाँ लिखने वाले व नोबेल पुरस्कार से सम्मानित फ्रांसीसी लेखक रोमां रोलां की कृति “विवेकानन्द” से कराने जा रहे हैं।
- यूरोप में जब महायूद्ध छिड़ गया और लाखों नौजवान तोपों तथा बंदूकों के शिकार हुए, तब साहित्य-शिरोमणि रोमां रोलां की भूतदया द्रवीभूत हुई और अन्य लोगों के समान, खुद उन्होंने भी इन घायल लोगों की सेवा का कुछ प्रबंध किया।
- ' हिन्दुस्तान ' अखबार द्वारा दिए गये २०१० के पंचाग के अनुसार ६ जनवरी, काशी से प्रकाशित ठाकुर प्रसाद के प्रसिद्ध पंचाग के हिसाब से ७ जनवरी तथा रोमां रोलां द्वारा लिखी गयी स्वामीजी की जीवनी के अनुसार १२ जनवरी को
- ' हिन्दुस्तान ' अखबार द्वारा दिए गये २०१० के पंचाग के अनुसार ६ जनवरी, काशी से प्रकाशित ठाकुर प्रसाद के प्रसिद्ध पंचाग के हिसाब से ७ जनवरी तथा रोमां रोलां द्वारा लिखी गयी स्वामीजी की जीवनी के अनुसार १२ जनवरी को...
- यहां उल्लेखनीय है कि रोमां रोलां महात्मा गांधी के सत्य ओर अहिंसा के दर्शन से इतने प्रभावित थे कि बिना उनसे मिले ही उनके बारे में एक किताब “ महात्मा गांधी ” लिख डाली थी जिसका प्रकाशन 1924 में हो गया था।
- पुस्तक की भूमिका में रोमां रोलां लिखते है महान् भारतीय सन्त एवं चिन्तक रामकृष्ण का आध्यात्मिक दाय ग्रहण करके उनके चिन्तन के बीज-कणों को सारे संसार में वितरित करने और अपना कार्य सफलतापूर्वक सम्पादित करनेवाले विवेकानन्द का जीवन निश्चय ही अत्यन्त गौरवपूर्ण एवं प्रेरणादायक है।
- ' हिन्दुस्तान ' अखबार द्वारा दिए गये २०१० के पंचाग के अनुसार ६ जनवरी, काशी से प्रकाशित ठाकुर प्रसाद के प्रसिद्ध पंचाग के हिसाब से ७ जनवरी तथा रोमां रोलां द्वारा लिखी गयी स्वामीजी की जीवनी के अनुसार १२ जनवरी को उनकी जयन्ती है ।
- ' हिन्दुस्तान ' अखबार द्वारा दिए गये २ ० १ ० के पंचाग के अनुसार ६ जनवरी, काशी से प्रकाशित ठाकुर प्रसाद के प्रसिद्ध पंचाग के हिसाब से ७ जनवरी तथा रोमां रोलां द्वारा लिखी गयी स्वामीजी की जीवनी के अनुसार १ २ जनवरी को उनकी जयन्ती है ।
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