लगध वाक्य
उच्चारण: [ legadh ]
उदाहरण वाक्य
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- (४) प्रेत विनाशक जी ने टिप्पणी कर बताया कि उपरोक्त श्लोक मूल रूप से लगध ऋषि द्वारा रचित ' वेदांग ज्योतिष ' नामक ग्रंथ से लिया गया है।
- हमारे देश में ज्योतिष का जो सबसे प्राचीन स्वतंत्र ग्रंथ उपलब्ध हुआ है वह है, महात्मा लगध का ' वेदांग-ज्योतिष ' (लगभग ८ ०० ई. पू.) ।
- इसमे आर्यभट के युग सिद्दान्त को दिया गया है| कल्प, मन्वन्तर, युग इत्यादि, समय के बड़े मात्राओ की अवधारणा इसमे दी गयी है जो कि पूर्व मे लगध के “वेदांग ज्योतिष” (
- Pmयूरेका यूरेका....शुक्रिया मैथिली जी,तय हुआ इस श्लोक का स्रोत लगध कृत वेदांग ज्योतिष ही है....और वेदांग ज्योतिष यजुर्वेद से प्रेरित और उद्भूत है....जिन खोजा तिन पाईयां गहरे पानी पैठ.....वादे वादे जायते तत्वबोधः.....
- यूरेका यूरेका....शुक्रिया मैथिली जी,तय हुआ इस श्लोक का स्रोत लगध कृत वेदांग ज्योतिष ही है....और वेदांग ज्योतिष यजुर्वेद से प्रेरित और उद्भूत है....जिन खोजा तिन पाईयां गहरे पानी पैठ.....वादे वादे जायते तत्वबोधः.....
- यह यजुर्वेदीय श्लोक नहीं है, ज्योतिष संबन्धित अवश्य है और लगध का है या किसी और का, इस संबन्ध में अभी सप्रमाण कुछ नहीं कह सकता, इसीलिए शुक्रवार को उन्मुक्त जी की पोस्ट पर उत्तर नहीं दे पाया था।
- ऋग्वेद में एक स्थान में सूर्य को भी नक्षत्र कहा गया है, अन्य नक्षत्रों में सप्तर्षि और अगस्त्य है, नक्षत्र सूची की विस्तृत जानकारी अर्थवेद, तैत्तिरीय, संहिता, शतपथ, ब्राह्मण और लगध के वेदाड्.
- 1) गीतिकपाद: (१३ छंद) समय की बड़ी इकाइयाँ-कल्प, मन्वन्तर, युग, जो प्रारंभिक ग्रंथों से अलग एक ब्रह्माण्ड विज्ञान प्रस्तुत करते हैं जैसे कि लगध का वेदांग ज्योतिष, (पहली सदीइसवी पूर्वइनमे जीवाओं(साइन) की तालिका ज्या भी शामिल है जो एक एकल छंद में प्रस्तुत है।
- 1) गीतिकपाद: (१३ छंद) समय की बड़ी इकाइयाँ-कल्प, मन्वन्तर, युग, जो प्रारंभिक ग्रंथों से अलग एक ब्रह्माण्ड विज्ञान प्रस्तुत करते हैं जैसे कि लगध का वेदांग ज्योतिष, (पहली सदीइसवी पूर्वइनमे जीवाओं(साइन) की तालिका ज्या भी शामिल है जो एक एकल छंद में प्रस्तुत है।
- शास्त्र के रूप में ‘ गणित ' का प्राचीनतम प्रयोग लगध ऋषि द्वारा प्रोक्त वेदांग-ज्योतिष नामक ग्रन्थ के एक श्लोक में माना जाता है 1 पर इससे भी पूर्व छान्दोग्य उपनिषद् में सनत्कुमार के पूछने पर नारद ने जो 18 अधीत विद्याओं की सूची प्रस्तुत की है, उसमें ज्योतिष के लिये ‘
- 1) गीतिकपाद: (१ ३ छंद) समय की बड़ी इकाइयाँ-कल्प, मन्वन्तर, युग, जो प्रारंभिक ग्रंथों से अलग एक ब्रह्माण्ड विज्ञान प्रस्तुत करते हैं जैसे कि लगध का वेदांग ज्योतिष, (पहली सदीइसवी पूर्वइनमे जीवाओं (साइन) की तालिका ज्या भी शामिल है जो एक एकल छंद में प्रस्तुत है।
- कालान्तर में भारतीय ज्योतिष की प्राचीनतम प्रामाणिक पुस्तक “वेदांग ज्योतिष” जो महात्मा लगध द्वारा ६०० ईशा पूर्व रची हुई है में ज्योतिष का प्रमुख विषय ही काल गणना है इसी के एक श्लोक में यह भी बताया गया है-वेदांग शास्त्रानाम ज्योतिषम (गणितं)मूर्धनि स्थितम (वेदांग में गणित ज्योतिष का स्थान सबसे ऊंचा है...) (संदर्भ ;गुणाकर मुले,कादम्बिनी, नवम्बर २००४,पृष्ठ, ७८-83)
- किसी सामान्य से वैदिक साहित्य के अध्येता को यह श्लोक काफी बाद का लगेगा...हो सकता है मूल उदगार कुछ रहा हो लगध ने ही श्लोक को वर्तमान रूप दिया हो और सुधाकर द्विवेदी जी ने फिर से इसका उद्धरण दिया हो-मगर एक बार हमें यजुर्वेद के इंगित श्लोक को भी देख लेना चाहिए....यजुर्वेद का श्लोक ३ और ४ (खासकर ४ ही) क्या है जो वेदांग ज्योतिष में आया है.
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