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वारिस अली शाह वाक्य

उच्चारण: [ vaaris ali shaah ]
उदाहरण वाक्यमोबाइल
  • बाराबंकी से तकरीबन 12 कि. मी. और लखनऊ से करीब 24 कि. मी. की दूरी पर देवा मे सैयद वारिस अली शाह की दरगाह है.
  • की दूरी तय करने वाली यह पदयात्रा हाजी वारिस अली शाह बाबा की मजार से निकलकर मुख्य द्वार होते हुए नगर पुलिया से दाहिने चिनहट रोड पर स्थित ग्राम सिपहिया तक जायेगी।
  • लेकिन अपने अनुयायियों के लिए एक ऐसा पवित्र स्थान छोड़ गये जहां सभी धर्मों के लोग हर साल लाखों की तादात में वारिस अली शाह जैसा बनने का संकल्प लेने आते हैं।
  • कहते है की मुस्लिमो के तीन मुख्य तीर्थ स्थान ख्वाजा साहब अजमेर और निजामुद्दीन औलिया दिल्ली की यात्रादेवा के हाजी वारिस अली शाह पर माथा टेकने के बाद ही पूरी मानी जाती है।
  • कहते है कि मुस्लिमो के तीन मुख्य तीर्थ स्थान ख्वाजा साहब अजमेर और निजामुद्दीन औलिया दिल्ली की यात्रादेवा के हाजी वारिस अली शाह पर माथा टेकने के बाद ही पूरी मानी जाती है।
  • लेकिन अपने अनुयायियों के लिए एक ऐसा पवित्र स् थान छोड़ गये जहां सभी धर्मों के लोग हर साल लाखों की तादात में वारिस अली शाह जैसा बनने का संकल् प लेने आते हैं।
  • नफरत की दीवारों को गिराकर आम अवाम के दिलों में मुहब्बत की रोशनी जलाने वाले महान फकीर हाजी सैयद वारिस अली शाह की मजार देवा शरीफ हिंदू-मुस्लिम एकता और आपसी भाईचारे की मिसाल बन गई है।
  • और इस तरह इस फकीर का पूरा नाम हो गया हाजी वारिस अली शाह जिसकी दरगाह देवां शरीफ के नाम से दुनिया भर में मशहूर है और सूफी समुदाय के अनुयायियों के बीच बेहिसाब आस्था का केंद्र।
  • और इस तरह इस फकीर का पूरा नाम हो गया हाजी वारिस अली शाह जिसकी दरगाह देवां शरीफ के नाम से दुनिया भर में मशहूर है और सूफी समुदाय के अनुयायियों के बीच बेहिसाब आस् था का केंद्र।
  • इस जगह पर कई राजाओं ने लम्बे समय तक शासन किया| देवाशरीफ स्थित दरगाह लखनऊ से 42 किलोमीटर और बाराबंकी के जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर की दूरीपर स्थित है. सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की जन्मस्थली देवा है.
  • देवा शरीफ बाराबंकी सुझाव / प्रतिक्रियामित्र को भेजियेयह पेज प्रिंट करें एकता के संदेशवाहक वारिस अली शाह-ए.के.वारसी भारत की इस पावन भूमि पर जन्म लेकर सूफी संतों और महापुरुषों ने इसे मानवता और प्रेम का संदेश प्रदान करने के लिए अपना केंद्र बनाया, जो विश्व में एक बेमिसाल बात है।
  • हमारे जनपद के श्री काशिम शाह ने 18 वी शताब्दी में हंस जवाहर नाम से पूरा राम चरित्र उर्दू भाषा में लिखा था वहीँ हाजी वारिस अली शाह की दरगाह भी प्यार मोहब्बत का सन्देश देती है दुनिया में सतनाम पीठ बाराबंकी से ही शुरू हुई है जिसके संस्थापक जगजीवन साहब हैं।
  • हमारे जनपद के श्री काशिम शाह ने 18 वी शताब्दी में हंस जवाहर नाम से पूरा राम चरित्र उर्दू भाषा में लिखा था वहीँ हाजी वारिस अली शाह की दरगाह भी प्यार मोहब्बत का सन्देश देती है दुनिया में सतनाम पीठ बाराबंकी से ही शुरू हुई है जिसके संस्थापक जगजीवन साहब हैं।
  • इसी कड़ी के तहत हुजूर वारिस अली शाह ने भी आज से लगभग दो सौ वर्ष पूर्व रमजान के महीने की पहली तारीख को इस पावन भूमि पर जन्म लिया एवं सेहरी के वक्त से रोजा इफ्तार के वक्त तक अपनी माताजी का दूध न पीकर प्रमाणित कर दिया कि उनका जन्म ईश्वरीय आदेश है।
  • इसी कड़ी के तहत हुजूर वारिस अली शाह ने भी आज से लगभग दो सौ वर्ष पूर्व रमजान के महीने की पहली तारीख को इस पावन भूमि पर जन्म लिया एवं सेहरी के वक्त से रोजा इफ्तार के वक्त तक अपनी माताजी का दूध न पीकर प्रमाणित कर दिया कि उनका जन्म ईश्वरीय आदेश है।
  • प्रवक्ता वीरेन्द्र मदान ने बताया कि आगामी 0 9 दिसम्बर (रविवार) को सोनिया जी के जन्मदिन के अवसर पर प्रातः पदयात्रा कार्यक्रम की शुरूआत प्रदेश कंाग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद डाॅ 0 निर्मल खत्री, सांसद श्री पी. एल. पुनिया, जिला कांग्रेस कमेटी बाराबंकी के अध्यक्ष सहित सभी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में सूफी संत हाजी वारिस अली शाह बाबा की मजार पर चादर चढ़ाकर की जायेगी।
  • सभी विजेताओं को और साथ ही मुझे भी बहुत-बहुत बधाई! अन्य सभी प्रतियोगियों को शुभकामनाएं! अल्पना जी द्वारा बहुत ही सुन्दर जानकारी दी गयी उनका आभार! देवां शरीफ अब तक कम से कम पचास-साठ बार तो जा ही चूका हूँ! बाबा से कभी करीब से तो मुलाक़ात नहीं हो पायी लेकिन दूर से हमेशा ही बाबा हाजी वारिस अली शाह की दरगाह को देखकर सिर झुकाता रहा हूँ! इसलिए इस बार पहेली में इस हिन्दू-मुस्लिम सदभावना की प्रतीक इस दरगाह को देखकर बहुत ही अच्छा लगा!
  • विदित ही है कि उ 0 प्र 0 कंाग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डाॅ 0 निर्मल खत्री, सांसद द्वारा अखिल भारतीय कंाग्रेस कमेटी की अध्यक्ष मा 0 श्रीमती सोनिया गांधी जी के जन्मदिन 0 9 दिसम्बर के अवसर पर जनपद बाराबंकी के देवा शरीफ, हाजी वारिस अली शाह बाबा की मजार पर चादर चढ़ाकर केन्द्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार, प्रदेश के गन्ना किसानों की समस्याओं एवं धान की खरीद में होने वाली धांधलियों की सही जानकारी हासिल करने एवं उनके समाधान के लिए प्रयास करने के सम्बन्ध में पदयात्रा का शुभारम्भ किया गया था।
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