वीरेन्द्र सक्सेना वाक्य
उच्चारण: [ virenedr seksaa ]
उदाहरण वाक्य
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- फुलवारी शीर्षक से ही शायद बीबीसी से भी कार्यक्रम प्रसारित होता था जिसे शायद वीरेन्द्र सक्सेना जी प्रस्तुत करते थे जो आजकल टेलीविजन धारावाहिकों में नज़र आते है।
- इसके पूर्व राज्य सूचना आयुक्त वीरेन्द्र सक्सेना ने यू. पी. जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) 46 वें स्थापना दिवस पर संस्था की वेबसाइट www.upja.org का लोकार्पण किया।
- सूचना आयुक्त, श्री वीरेन्द्र सक्सेना ने अपने संबोधन में कहा कि पं. शर्मा लेखन के माध्यम से समाज की जो सराहनीय सेवा कर रहे हैं, वह अतुलनीय है।
- सर्वधर्म प्रार्थना सभा मे वरिष्ठ पत्रकार श्री वीरेन्द्र सक्सेना श्रद्धांजलि देते हुए खाजूवाला विधायक डॉ विश्वनाथ, बीकानेर महापौर हाजी मकसूद अहमद, सरदार सुरेन्द्र सिंह, सीआई व लेखक व उद्घोषक संजय पुरोहित।
- भाई चन्देल, कोहली जी पर वीरेन्द्र सक्सेना का आलेख पढ़ा, मैंने सोचा था कि वह द्रोणवीर कोहली जी पर कुछ नये ढंग से बात करेंगे, पर ऐसा नहीं लगा।
- बैठक में व्यवस्थापक राजाराम मौर्या, विद्याधर मिश्रा, जमुना गुप्ता, राधा अग्रवाल, पी. डी. लाहौरी, मुकेश अस्ताना, पुनीत मिश्रा, वीरेन्द्र सक्सेना आदि उपस्थित थे।
- संगोष्ठी में मुख्य वक्ता राज्य सूचना आयुक्त श्री वीरेन्द्र सक्सेना ने कहा कि सूचना अधिकार कानून का एक सच ये भी है कि 75 प्रतिशत मामलों में आवेदनकर्ता को सूचना नहीं मिल पाती।
- साथ ही उस समय हमारे एक कलाकार दोस्त वीरेन्द्र सक्सेना एक फिल्म प्रभाग का गाना गाया करते थे-एक चिड़िया अनेक चिड़िया, पता नहीं क्यों यह मेरे दिमाग में घर कर गया था।
- इसके मुख्य कलाकारों में किरण कुमार, वीरेन्द्र सक्सेना, मोहिनी शर्मा, चारुल, मजहर सैयद, नेहा जनपंडित, अनिरुद्घ सिंह शामिल हैं तथा शांभवी और मनीष तुलसियानी मुख्य भूमिकाओं में हैं।
- वीरेन्द्र सक्सेना, डॉ. बली सिंह, राजकुमार गौतम, सुश्री कमलेश जैन, अमरनाथ ‘अमर', हीरालाल नागर, ‘कथा' के सम्पादक अनुज, राकेश त्यागी, प्रशांतमणि तिवारी तथा बी.एम. शर्मा सहित राजधानी के साहित्य, कला और संस्कृतिकर्मियों की उपस्थिति सराहनीय रही।
- के आयुक्त वीरेन्द्र सक्सेना रहेंगे, वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता जानमाने शायर अजमल सुलतानपुरी व मुख्य वक्ता के रूप में 1847 के वीर सेनानी अमर शहीद तात्या तोपे के पौत्र विनायक राव तोपे पधार रहे हैं।
- ये बातें महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में महामना मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान की ओर से आयोजित “सूचना का अधिकार 2005 के सामाजिक प्रभाव” विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता राज्य सूचना आयुक्त वीरेन्द्र सक्सेना ने कही।
- 22 मार्च 2006 में सूचना आयोग के गठन के साथ तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार के दौरान तो भारी तादात में पत्रकार सूचना आयुक्त बनने के लिए जोड़-तोड़ में लगे थे मगर पत्रकारों में ज्ञानेन्द्र शर्मा व वीरेन्द्र सक्सेना का ही चयन हुआ था।
- द्रोणवीर कोहली: परम संकोची, परम संतोषी डॉ. वीरेन्द्र सक्सेना १९ जनवरी, १९३२ को जन्मे द्रोणवीर कोहली अपनी आयु की अमृत जयंती और अपने लेखन की स्वर्ण जयंती भी मना चुके हैं, लेकिन वे 'सेलिब्रिटि' नहीं बन पाए, इसीलिए कभी चर्चा के केन्द्र में भी नहीं रहे!
- कार्यक्रम में प्रदीप पंत, डॉ. वीरेन्द्र सक्सेना, डॉ. मधुकर गंगाधर, डॉ. कर्ण सिंहचौहान, लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, डॉ. बली सिंह, हीरालाल नागर, राजेन्द्र उपाध्याय, अनुज, प्रताप सिंह, सुशील कुसमाकर सहित कई गणमान्य लेखक, पत्रकार उपस्थित थे।
- इनके अतिरिक्त जितेन्द्र श्रीवास्त (प्रेमचंद और दलित विमर्श/कांतिमोहन), अरुण कुमार (नवजागरण और हिन्दी आलोचना/रमेश कुमार), रजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय (मिथक से आधुनिकता तक/रमेश कुंतल मेघ), मुन्नी चौधरी (सामाजिक न्याय एक सचित्र परिचय/राम पुनियानी), शिवनारयण (पचकौड़ी/शरद सिंह), गोपाल प्रधान (मैंने नाता तोड़ा/सुषम बेदी), सत्यकाम (विसर्जन/राजू शर्मा) के साथ विद्या सिन्हा, वेदप्रकाश अमिताभ, ओम गुप्ता, रोहिणी अग्रवाल, सत्यकेतु सांकृत, कृष्णचंद्र लाल और वीरेन्द्र सक्सेना की समीक्षाएं भी उल्लेखनीय हैं.
- इस संगोष्ठी में हरिपाल त्यागी, नरेन्द्र नागदेव, प्रदीप पंत, सुरेश उनियाल, सुरेश सलिल, त्रिनेत्र जोशी, तेजेन्द्र शर्मा, मृणालिनी, लक्ष्मीशंकर वाजपेई, भगवानदास मोरवाल, हरीश जोशी, केवल गोस्वामी, रामकुमार कृषक, योगेन्द्र आहूजा, वीरेन्द्र सक्सेना, रूपसिंह चंदेल, प्रेम जनमेजय, हीरालाल नागर, चारु तिवारी, राधेश्याम तिवारी, अशोक मिश्र, प्रताप सिंह, क्षितिज शर्मा और सत सोनी सहित अनेक रचनाकार और साहित्य रसिक मौजूद थे।
- सूचना आयोगों द्वारा ब्यूरोक्रेसी को बचाने के चक्कर में अपीलों का बढता अम्बार? डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'कुछ समय पूर्व उत्तर प्रदेश में राज्य सूचना आयोग ने एक तरह से अपने हाथ खड़े करते हुए सार्वजनिक रूप से कहा कि “अब हम इन लोक सूचना अधिकारियों का कुछ नहीं कर सकते|” यह निराशापूर्ण हताशा उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्त वीरेन्द्र सक्सेना ने बनारस में सूचना अधिकार पर आधारित एक कार्यक्रम में व्यक्त की सभी लोक सेवक कृपया याद रखें! सभी लोक सेवक कृपया याद रखें!डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' /
- इस अवसर पर कानुपर के नगर आयुक्त एन 0 के 0 एस 0 चैहान, लखनऊ के ए 0 डी 0 एम 0 प्रशासन देवेन्द्र पाण्डेय, वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी विजय बहादुर सिंह, उप मुख्य कार्यपालक अधिकारी नोएडा डी 0 के 0 सिंह, पूर्व सूचना आयुक्त वीरेन्द्र सक्सेना, सूचना उप निदेशक अशोक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार एम 0 एम 0 बहुगुणा, हेमन्त तिवारी, रामसागर शुक्ला, कानपुर के लोकेश प्रताप सिंह तथा पीटीआई के ब्यूरो चीफ प्रमोद गोस्वामी ने भी समारोह को सम्बोधित किया।
- इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार एवं उपजा के संस्थापक सदस्य दादा पीके राय, वरिष्ठ पत्रकार वीर विक्रम बहादुर मिश्र, उपजा के अध्यक्षा रतन कुमार दीक्षित, महामंत्री सर्वेश कुमार सिंह, कोषाध्यक्ष सत्येन्द्र नाथ अवस्थी, कार्यालय मंत्री पं ० टीटी ‘ सुनील ' एवं वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद गोस्वामी, अजय कुमार, वीरेन्द्र सक्सेना, तारकेशवर मिश्र, राजीव शुक्ल, अरविन्द शुक्ल लखनऊ जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक मिश्र, महामंत्री भारत सिंह और कोषाध्यक्ष राजेश सिंह के अलावा बड़ी संख्या में पत्रकार एवं गणमान्य लोग मौजूद थे।
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