शान्ति पर्व वाक्य
उच्चारण: [ shaaneti perv ]
उदाहरण वाक्य
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- वह विशेष ज्ञान कपिलोक्त शास्त्र ही है, यह गीता तथा महाभारत के शान्ति पर्व से स्पष्ट हो जाता है।
- महाभारत शान्ति पर्व अध्याय 320 में सुलभा नामक ब्रह्मवादिनी संन्यासिनी का वर्णन है, जिसने राजा जनक के साथ शास्त्रार्थ किया था ।।
- महाभारत के शान्ति पर्व के राजधर्मानुशासन भाग में ऐल और वायु देवता के संवाद में 72 वें अध्याय में भी यही लिखा हैं कि:
- महाभारत शान्ति पर्व अध्याय ३ २ ० में ‘ सुलभा ' नामक ब्रह्मवादिनी संन्यासिनी का वर्णन है, जिसने राजा जनक के साथ शास्त्रार्थ किया था।
- महाभारत के शान्ति पर्व में उल्लेख है किब्रह्मा ने ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य और शूद्र की उत्पत्ति की जिनका रंगक्रमशः श्वेत, लोहित (लाल), पीत (पीला) और काला था.
- महाभारत में शान्ति पर्व के अध्याय ३ ० में सुलभा नामक एक विदुषी का वर्णन है जिसने शास्त्रार्थ में राजा जनक जैसे ब्रह्मज्ञानी के छक्के छुड़ा दिये थे।
- यदेव योगा: पश्यन्ति सांख्यैस्तदनुगम्यते * ' इसीलिए शान्ति पर्व में वसिष्ठ की ही तरह गीता में श्रीकृष्ण भी कहते हैं-' सांख्ययोगौ पृथग्बाला: प्रवदन्ति न पण्डिता: ।
- महाभारत के शान्ति पर्व में शर-शय्या पर पड़े भीष्म पितामह श्रीकृष्ण की उपस्थिति में पांचो पाण्डव और द्रौपदी को राजा के धर्म-कर्म को विस्तार से समझाते हुए स्पष्ट कहते हैं-
- शान्ति पर्व के १८८वें अध्याय में लिखा है कि " लाल अंग वाले द्विज लोगजो सुख भोग में आसक्त, क्रोधी और साहसी थे और अपनी यज्ञादि की क्रियाको भूल गये थे, वे क्षत्रिय वर्ण में हो गये.
- यदि हम महाभारत के शान्ति पर्व और वन पर्व को पढ़ें तो पता चलता है कि ब्राह्मण और शूद्र कर्म और संस्कार से बनते हैं, किसी जाति विशेष के पुरुष के वीर्य से नहीं.
- ' कुरुक्षेत्र' में महाभारत के शान्ति पर्व के मूल कथानक का ढाँचा लेकर दिनकर ने युद्ध और शान्ति के विशद, गम्भीर और महत्त्वपूर्ण विषय पर अपने विचार भीष्म और युधिष्ठर के संलाप के रूप में प्रस्तुत किये हैं।
- ' कुरुक्षेत्र ' में महाभारत के शान्ति पर्व के मूल कथानक का ढाँचा लेकर दिनकर ने युद्ध और शान्ति के विशद, गम्भीर और महत्त्वपूर्ण विषय पर अपने विचार भीष्म और युधिष्ठर के संलाप के रूप में प्रस्तुत किये हैं।
- Balloon title = “ महाभारत, शान्ति पर्व 14.11 ” style = color: blue > * / balloon > नैषधीयचरित महाकाव्य की प्रकाश टीका के रचयिता नारायण भट्ट ने कणाद और उलूक शब्दों को एक दूसरे का पर्यायवाची माना है।
- (महाभारत: शान्ति पर्व: 234) महाभारत के अनुशासन पर्व में सुदर्शन की कथा है जिसमें वह अपनी पत्नी ओघवती को गृहस्थाश्रम धम्र की मर्यादा समझाते हुए अतिथि को रमण के लिए प्रस्तुत होने की भी शिक्षा देता है.
- महाभारत के शान्ति पर्व में बताई गई अहम बातें साफ करती है कि भगवान मात्र धार्मिक क्रियाओं या विधियों से ही प्रसन्न नहीं होते है, बल्कि भगवान ऐसे भक्त को पाने के लिए स्वयं आतुर होते हैं, जिसका मन और विचार बेहद पवित्र होते हैं।
- तब शान्ति कैसे हो? तो समाधान क्या? जब तक संसार में वैदिक धर्म प्रतिपादित सच्ची शान्ति का प्रचार न किया जायेगा, तब तक संसार सुख समाधान से बिल्कुल नहीं बैठ सकेगा? महाभारत कें शान्ति पर्व में जिस धर्म का वर्णन आया है ।
- इन अयाचक ब्राह्मणों के पूर्वज प्रथम इसी प्रकार के पुरोहित, ऋत्विक् और मन्त्री भी थे जिससे इनका व्यवहार राजसी था, जैसा कि मनु वाक्यों द्वारा दिखा चुके हैं कि क्षत्रिय, राजा और राज पुरोहित राजस कहलाते हैं और शान्ति पर्व के 76 वें अध्याय में भी लिखा हैं कि:
- शान्ति पर्व में युद्ध की समाप्ति पर युधिष्ठिर का शोकाकुल होकर पश्चाताप करना, श्रीकृष्ण सहित सभी लोगों द्वारा उन्हें समझाना, युधिष्टिर का नगर प्रवेश और राज्याभिषेक, सबके साथ पितामह भीष्म के पास जाना, भीष्म के द्वारा श्रीकृष्ण की स्तुति, भीष्म द्वारा युधिष्ठिर के प्रश्नों का उत्तर तथा उन्हें राजधर्म, आपद्धर्म और मोक्षधर्म का उपदेश करना आदि वर्णित है।
- शान्ति पर्व में युद्ध की समाप्ति पर युधिष्ठिर का शोकाकुल होकर पश्चाताप करना, श्रीकृष्ण सहित सभी लोगों द्वारा उन्हें समझाना, युधिष्टिर का नगर प्रवेश और राज्याभिषेक, सबके साथ पितामह भीष्म के पास जाना, भीष्म के द्वारा श्रीकृष्ण की स्तुति, भीष्म द्वारा युधिष्ठिर के प्रश्नों का उत्तर तथा उन्हें राजधर्म, आपद्धर्म और मोक्षधर्म का उपदेश करना आदि वर्णित है।
- शान्ति पर्व में युद्ध की समाप्ति पर युधिष्ठिर का शोकाकुल होकर पश्चाताप करना, श्री कृष्ण सहित सभी लोगों द्वारा उन्हें समझाना, युधिष्ठिर का नगर प्रवेश और राज्याभिषेक, सबके साथ पितामह भीष्म के पास जाना, भीष्म के द्वारा श्रीकृष्ण की स्तुति, भीष्म द्वारा युधिष्ठिर के प्रश्नों का उत्तर तथा उन्हें राजधर्म, आपद्धर्म और मोक्षधर्म का उपदेश करना आदि वर्णित है।
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