शिव मंगल सिंह वाक्य
उच्चारण: [ shiv mengal sinh ]
उदाहरण वाक्य
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- आपको हिंदी अकादमी दिल्ली के साहित्य कृति सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के निराला पुरस्कार, शिव मंगल सिंह सुमन पुरस्कार के अतिरिक्त कई अन्य पुरस्कार मिल चुके हैेें।
- अधिवेशन में सम्मिलित हिन्दी लेखकों में राहुल सांकृत्यायन और अज्ञेय के अतिरिक्त सुमित्रानंदन पन्त, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, रामबिलास शर्मा, शिव मंगल सिंह सुमन, अमृत राय, नरेन्द्र शर्मा और प्रकाशचन्द्र गुप्त के नाम विशेष उल्लेख्य हैं.
- -डॉ. शिव मंगल सिंह ' सुमन ' कहा जाता है कि जो कोई अपने जीवन में एक बार भी महाकाल के दर्शन करले, उसे कभी अकाल मौत नही आ सकती है.
- और कभी-कभी तो शिव मंगल सिंह सुमन की तरह यह तक कहने की हिम्मत रखता है कि ' तूफानों की ओर घुमा दे माझी तू निज पतवार, आज हृदय और सिन्धु में साथ उठा है ज्वार।'
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र', राम कुमार वर्मा, डॉ. धीरेंद्र वर्मा, विष्णु प्रभाकर, शिव मंगल सिंह ‘सुमन', बुद्धिनाथ मिश्र और अज्ञेय समेत कई रचनाकारों ने हिंदी और मैथिली साहित्य के इस विभूति को सम्मान दिया ।
- कामयाब टीम में जंक्शन चौकी इंचार्ज जयवीर सिंह, एसओजी प्रभारी राघवराम मिश्रा, एसआई विकास सक्सेना, हेड कांस्टेबल राजीव चौहान, कांस्टेबल शिव मंगल सिंह सोलंकी, मोहम्मद याकूब, मोहम्मद हफीज, बृजेश सिंह व स्टेशन चौकी पर तैनात सिपाही विजय कुमार शामिल रहे।
- ऐसे समय में जबकि आर्थिक कारणों के चलते हमारी साप्ताहिक से मासिक पत्र बनने की मजबूरी सामने हो मुझे प्रेरणा दे रही है डॉ. शिव मंगल सिंह सुमन की कविता-' तूफानों की ओर घुमा दे नाविक निज पतवार।
- वर्ष १९९४ में मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री श्री दिग्विजय सिंह एवं ख्यातिलब्ध साहित्यकार-शिक्षाविद श्री शिव मंगल सिंह ' सुमन' के कर कमलों से वागीश्वरी पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके दादा ने स्वातंत्र्योत्तर संस्कृत-काव्य में हास्य-व्यंग विषय पर शोधोपाधि प्राप्त की थी।
- वर्ष १९९४ में मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री श्री दिग्विजय सिंह एवं ख्यातिलब्ध साहित्यकार-शिक्षाविद श्री शिव मंगल सिंह ' सुमन' के कर कमलों से वागीश्वरी पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके दादा ने स्वातंत्र्योत्तर संस्कृत काव्य में हास्य-व्यंग विषय पर शोधोपाधि प्राप्त की थी।
- आरक्षण कोटे ' के अंदर नहीं हो रहा है वरन् वैसे ही हो रहा है जैसे त्रिलोचन, विष्णु प्रभाकर, बच्चन, शिव मंगल सिंह ‘ सुमन ', धनीराम ‘ प्रेम ', तिलका माझी, प्रेमचन्द्र, निराला आदि पर निकले विशेषांक ।
- वर्ष १ ९९ ४ में मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री श्री दिग्विजय सिंह एवं ख्यातिलब्ध साहित्यकार-शिक्षाविद श्री शिव मंगल सिंह ' सुमन ' के कर कमलों से वागीश्वरी पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके दादा ने स्वातंत्र्योत्तर संस्कृत-काव्य में हास्य-व्यंग विषय पर शोधोपाधि प्राप्त की थी।
- सरोज प्रकाश, श्री प्रकाश, श्री एन. एन. पांडेय, श्री एस. एस. विन्द्रा, शायर शेख निजामी, डॉ. नौशाद सिद्दीकी, श्री राधेश्याम सिन्दुरिया, श्री रामबरन कोरी कशिश, शायरा प्रीतिलता सरू, श्री शिव मंगल सिंह आदि शामिल थे।
- शिव मंगल सिंह सुमन ने पान को राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बनाया आपने प्रेम के पल्लवन सिंचन हिफाज़त का बेहद सुन्दर सार्थक सन्दर्भ उठाया सच मुच नाज़ुक होती है पान की बेल, आपने सारा विज्ञान भी लिख दिया.जानकारी से भरपूर (पोस्ट) काव्यात्मक अभिव्यक्ति.बधाई इस अप्रतिम कविता के लिए.
- मुख्य अतिथि के रूप में डॉ० शिव मंगल सिंह ‘मानव ' केन्द्र निदेशक आकाशवाणी भागलपुर एवं विशिष्ट अतिथि के रूप मे रामचरण सिंह साथी (दिल्ली), सुरेन्द्र दीप (पश्चिम बंगाल), दिनकर शर्मा (झारखंड), डॉ० सतीश राज पुष्करणा (पटना), डॉ० प्रेम चन्द पांडेय (भागलपुर), एवं डॉ० भगवान सिंह भास्कर (सीवान) मंचस्थ थे ।
- सचिवालय को हिन्दी पद्य की मौलिक कृति ‘ चांद सितारे आंगन के ' के लिए ‘ जयशंकर प्रसाद ' पुरस्कार, डा. सुरेश उजाला, संपादक, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग लखनऊ को वर्ष हिन्दी पद्य की मौलिक कृति ‘ बोधिपथ ' के लिए ‘ डा. शिव मंगल सिंह सुमन ' पुरस्कार दिया गया।
- फर्क है तो बस इतना कि जहाँ अब तक वह हमें रामेश्वर शुक्ल अंचल, आचार्य रजनीश, शिव मंगल सिंह सुमन, हरिशंकर परसाई, शरद जोशी जैसे नामवरों के बहुविध आयामों से परिचित कराते रहे हैं, इस बार उन्होंने अपने संस्मरणों के केन्द्र में समाज के उस तबके को रखा है, जिसकी समाज में उपस्थिति तो है, लेकिन पूरी खामोशी के साथ।
- इनका क्षेत्र बैसवारा के अंतर्गत आता है, जिस धरती पर आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, निराला, डॉ. राम बिलास शर्माजी, चन्द्र शेखर आजाद, राणा बेनी माधव, राव राम बक्स सिंह, हसरत मोहानी, शिव मंगल सिंह ' सुमन ' और मुनव्वर राणा ने जन्म लिया! पवित्र गंगा नदी का भी सानिद्ध्य इन्हें प्राप्त है.
- फर्क है तो बस इतना कि जहाँ अब तक वह हमें रामेश् वर शुक्ल अंचल, आचार्य रजनीश, शिव मंगल सिंह सुमन, हरिशंकर परसाई, शरद जोशी जैसे नामवरों के बहुविध आयामों से परिचित कराते रहे हैं, इस बार उन्होंने अपने संस्मरणों के केन् द्र में समाज के उस तबके को रखा है, जिसकी समाज में उपस्थिति तो है, लेकिन पूरी खामोशी के साथ।
- इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक श्रीमती संध्या सुमन राय, जिला अध्यक्ष श्री नागेन्द्र तिवारी, को-आपरेटिव बैंक के चेयरमैन श्री शिव मंगल सिंह तोमर, अनुविभागीय अधिकारी मुरैना डॉ 0 एम. एल. दौलतानी, अनुविभागीय अधिकारी अम्बाह श्री भदौरिया, प्रधान मंत्री सड़क योजना के महाप्रबंधक श्री वा य.क े. सक्सेना, श्री कालीचरण कुशवाह, श्री रामनरेश, बडी संख्या में ग्रामीणजन और अधिकारी उपस्थित थे ।
- शिव मंगल सिंह सुमन / /वक्त के पार-अव्यक्त.उस वक्त की तरह तुमने एक बहुत उंचा-नीचा उबड़-खाबड़,कंटीला-पथरीला,पहाड़ गढा मेरे लिए और कहा-जा रहो और करो इन्तजार ताउम्र ये आजमाने की कोशिश थी,या दूर बहुत दूर रहने की कवायद नही जान पाई...फिर एक पुल बुना मैंने, अपनी संवेदनाओं के छोटे बहुत छोटे टुकड़े जोड़कर, ढलान से थोडा ऊपर, चट्टानी गहरी खाई के ठीक ऊपर, बना पुल तुम्हारे लिए था...
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