श्याम सुंदर दास वाक्य
उच्चारण: [ sheyaam sunedr daas ]
उदाहरण वाक्य
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- बाबू श्याम सुंदर दास, बाबू गुलाब राय, बाबू बालमुकुन्द गुप्त आदि के नाम आज भी कुछ लोग इसी प्रकार लिखते हैं.
- काव्य, नाटक प्रचारिणी सभा द्वारा आयोजित हिंदी शब्द सागर के संपादन में भी उन्होंने बाबू श्याम सुंदर दास तथा शुक्ल जी के साथ कार्य किया।
- काव्य, नाटक प्रचारिणी सभा द्वारा आयोजित हिंदी शब्द सागर के संपादन में भी उन्होंने बाबू श्याम सुंदर दास तथा शुक्ल जी के साथ कार्य किया।
- यहां कबीर की एक ऐसी रचना प्रस्तुत है जो न तो बीजक में है और न ही श्याम सुंदर दास रचित ‘ कबीर ग्रंथावली ‘ में।
- श्याम सुंदर दास की लिखी प्रस्तावना से भक्तिकाल के संबंध में बहुत कुछ जानने को मिला-“…कबीर के जन्म के समय हिंदू जाति की यही दशा हो रही थी।
- अपने विचारों को भली प्रकार समझाने के लिए बाबू श्याम सुंदर दास ने एक ही बात को ' सारांश यह है' 'अथवा', 'जैसे' आदि शब्दों के साथ बार-बार दुहराया है।
- अपने विचारों को भली प्रकार समझाने के लिए बाबू श्याम सुंदर दास ने एक ही बात को ' सारांश यह है' 'अथवा', 'जैसे' आदि शब्दों के साथ बार-बार दुहराया है।
- इसके बाद वे काशी हिंदू विश्व विद्यालय में हिन्दी अध्यापक के पद पर आसीन हुए और श्याम सुंदर दास जी अवकाश ग्रहण करने पर हिन्दी-विभाग के अध्य क्ष बने ।
- प्रशासन ने न्याय प्रक्रिया की जटिलताओं और सूचना-गवाही देने में आम आदमी से सहयोग ना मिलने का भी रोना रोया तो अवकाशप्राप्त न्यायाधीश श्याम सुंदर दास ने भी इससे सहमित जताई.
- इस युग के निबंधकारों में महावीर प्रसाद द्विवेदी, माधव प्रसाद मिश्र, श्याम सुंदर दास, चंद्रधर शर्मा गुलेरी, बाल मुकंद गुप्त और अध्यापक पूर्ण सिंह आदि उल्लेखनीय हैं.
- इसके बाद वे काशी हिंदू विश्व विद्यालय में हिन्दी अध्यापक के पद पर आसीन हुए और श्याम सुंदर दास जी अवकाश ग्रहण करने पर हिन्दी-विभाग के अध्य क्ष बने ।
- बाबू श्याम सुंदर दास ने अपने जीवन के पचास वर्ष हिंदी की सेवा करते हुए व्यतीत किए उनकी इस हिंदी सेवा को ध्यान में रखते हुए ही राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त ने निम्न पंक्तियाँ लिखी हैं-
- बाबू श्याम सुंदर दास ने अपने जीवन के पचास वर्ष हिंदी की सेवा करते हुए व्यतीत किए उनकी इस हिंदी सेवा को ध्यान में रखते हुए ही राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त ने निम्न पंक्तियाँ लिखी हैं-
- कबीर ग्रंथावली के समस्त दोहे और पद अपलोड हुए तो इनके भक्तिरस और दर्शन में डूबने के साथ-साथ इसके संपादक डॉ. श्याम सुंदर दास की लिखी प्रस्तावना से भक्तिकाल के संबंध में बहुत कुछ जानने को मिला-
- इस अवसर पर श्याम सुंदर दास, उमेश दास, हनुमान दास, शिवदास, रामानंद दास, नंदकिशोर, लाड़ली दास, रामदास, गणेश दास, सीताराम दास, लक्ष्मण दास, गंगादास, प्रयाग दास आदि उपस्थित थे।
- बाबू श्याम सुंदर दास, बाबू गुलाब राय, बाबू बालमुकुन्द गुप्त आदि के नाम आज भी कुछ लोग इसी प्रकार लिखते हैं. डॉ. नामवर सिंह और कमलेश्वर यदि उस ज़माने के लेखक होते तो बाबू नामवर सिंह और बाबू कमलेश्वर कहलाते.
- पं. प्रताप नारायण मिश्र ने 'ब्राह्मण', आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने 'सरस्वती', श्याम सुंदर दास ने 'हिंदी नागरी प्रचारिणी पत्रिका', गणेश शंकर विद्यार्थी ने 'प्रताप' का प्रकाशन और संपादन कर उनमें प्रकाशित अपने संपादकीयों और टिप्पणियों से अपने विचारों को जन-जन तक सहज रूप से संप्रेषित किया था।
- इनमें भारतेंदु हरिश्चंद्र, अयोध्यासिंह उपाध्याय “ हरिऔध ', जयशंकर प्रसाद, प्रेमचंद, श्याम सुंदर दास, राय कृष्ण दास, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, रामचंद्र वर्मा, बेचन शर्मा ” उग्र ”, विनोदशंकर व्यास, कृष्णदेव प्रसाद गौड़ तथा डॉ. संपूर्णानंद उल्लेखनीय हैं ।
- डॉ. श्याम सुंदर दास के शब्दों में-” जिस युग में कबीर, जायसी, तुलसी, सूर जैसे रससिद्ध कवियों और महात्माओं की दिव्य वाणी उनके अंत: करणों से निकलकर देश के कोने-कोने में फैली थी, उसे साहित्य के इतिहास में सामान्यत: भक्तियुग कहते हैं ।
- छत्तीसगढ़ विधानसभा में विधायक श्याम सुंदर दास महंत के अपने क्षेत्र के अस्पतालों की दुर्दशा पर जब स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल निरूत्तर होने लगे तो उन्होंने भले ही बहस खतम करने अस्पताल बंद कर देने की धमकी दी हो लेकिन सच तो यह है कि पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है।
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